पोप : पवित्र आत्मा प्रार्थना करना सीखलाते हैं
पोप फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह में पवित्र आत्मा के एक महत्वपूर्ण कार्य का जिक्र करते हुए कहा कि वे हमें निवेदन प्रार्थना करना सीखलाते हैं।
पोप फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों, सुप्रभात।
पवित्र आत्मा के पवित्रिकरण कार्य, ईश वचन और संस्कारों के अलावे प्रार्थना में व्यक्त होते हैं, जिस पर आज हम चिंतन करेंगे। पवित्र आत्मा ख्रीस्तीय प्रार्थना का विषय और उद्देश्य दोनों हैं, अर्थात वे हमें प्रार्थना करने हेतु अग्रसर करते और प्रार्थना में हमें प्राप्त होते हैं। ईश्वरीय संतान के रुप में न कि गुलामों की भांति हम पवित्र आत्मा को प्राप्त करने हेतु प्रार्थना करते हैं और हमें प्रार्थना करने के लिए पवित्र आत्मा दिया जाता है।
पोप ने कहा कि हमें सदैव स्वतंत्रता में प्रार्थना करने की जरुरत है ईश संतानों की भांति न की गुलामों की तरह।“आज हम बहुत सारी चीजों के लिए प्रार्थना करते हैं, इस विचार से भी कि यदि हम ऐसा नहीं करते तो नरक जायेंगे। लेकिन यह सच्ची प्रार्थना नहीं है, प्रार्थना एक स्वतंत्रता है।” उन्होंने कहा कि हम तब प्रार्थना करते हैं जब पवित्र आत्मा हमारी सहायता करते हैं। जब हमें किसी चीज की आवश्यकता होती है हम प्रार्थना करते हैं और जब नहीं, हम कुछ नहीं करते हैं। ऐसी स्थिति में हम स्वयं से पूछे,“मुझे प्रार्थना की रूचि क्यों नहीं होतीॽ मेरे जीवन में क्या हो रहा हैॽ संत पापा कहा कि स्वतः प्रार्थना करना हमारे लिए बहुत सहायक होता है, यह स्वतंत्र संतानों की तरह प्रार्थना करना है, गुलामों की भांति नहीं।
पोप ने कहा कि सर्वप्रथम हमें पवित्र आत्मा को प्राप्त करने हेतु प्रार्थना करना चाहिए। इस संदर्भ में, येसु हमें सुसमाचार में विशेष वाक्य के बारे कहते हैं, “बुरे होने पर यदि तुम लोग अपने बच्चों को सहज ही अच्छी चीजें देते हो, तो तुम्हार स्वर्गिक पिता मांगने वालों को पवित्र आत्मा क्यों नहीं देगाॽ” “हम अपनों के लिए अच्छी चीजें देते हैं तो पिता हमें पवित्र आत्मा क्यों नहीं प्रदान करेंगेॽ यह हमें साहस से आगे बढ़ने की मांग करता है।” नये विधान में इस बात को पाते हैं कि प्रार्थना करने के समय सदैव पवित्र आत्मा उतरते हैं। यर्दन नदी में बपतिस्मा के समय जब येसु प्रार्थना करते तो पवित्र आत्मा उनके ऊपर उतरते हैं, और शिष्यों के ऊपर पेन्तोकोस्त के समय, जब वे प्रार्थना कर रहे होते हैं।
पवित्र आत्मा हेतु प्रार्थना
हम पवित्र आत्मा के ऊपर केवल अपनी इसी “शक्ति” को पाते हैं। प्रार्थना की शक्ति, प्रार्थना का विरोध नहीं करती बल्कि प्रार्थना करने में, वह हममें आती है। कार्मेल पर्वत के ऊपर, बाल देवता के झूठे नबी होम बलि हेतु की आग प्रार्थना करते हुए चिल्लाते हैं लेकिन कुछ नहीं होता है क्योंकि वे मूर्तिपूजक थे, वहीं नबी एलिसा प्रार्थना करते और स्वर्ग से आग गिरती और बलि की सारी चीजों को भस्म कर देती है। कलीसिया इस उदाहरण का अनुसरण निष्ठामय ढ़ंग से करती है, कलीसिया सदैव अपने में पवित्र आत्मा के लिए इस बात का उच्चारण करती है “आओ, आओ, आओ, हे पवित्र आत्मा।” हम यह विशेष रुप में ख्रीस्तीयाग में करते हैं जिससे वे ओस की तरह उतरते हुए बलि के रुप में चढ़ाये जाने वाली रोटी और दाखरस को पवित्र करें।
पवित्र आत्मा में सच्ची प्रार्थना की शक्ति
वहीं हम एक दूसरे विषय को पाते हैं जो हमारे लिए अति महत्वपूर्ण और प्रोत्साहन देता है, पवित्र आत्मा हमें सच्ची प्रार्थना करने की शक्ति प्रदान करते हैं। संत पौलुस इसके बार में जोर देते हुए कहते हैं, “पवित्र आत्मा दुर्बलता में हमारी सहायता करता है। हम यह नहीं जानते कि हमें कैसे प्रार्थना करनी चाहिए, किन्तु हमारी अस्पष्ट आहों द्वारा आत्मा स्वयं हमारी लिए विन्ती करता है। वह समझता है कि आत्मा क्या कहता है, क्योंकि आत्मा ईश्वर की इच्छानुसार संतों के लिए विन्ती करता है।”
ईश्वरीय राज्य की चाह करें
पोप ने कहा कि यह सत्य है कि हम प्रार्थना करना नहीं जानते हैं। हमारी इसी कमजोरी के कारण अतीत में प्रार्थना को सिर्फ एक शब्द में व्यक्त किया जाता था, जैसे की एक विशेषण, एक संज्ञा और एक क्रियाविशेषण के रुप में। इसे याद करना सहज है जिसे लातीनी भाषा नहीं जानने वाले भी याद कर सकते हैं, हमारे लिए इसे अपने में याद करना उचित है क्योंकि यह अपने में एक पूरे सिद्धांत को वहन करता है, “माली, माला,माले पेतिमुस” अर्थात बुरे होते हुए, हम बुरी चीजों की मांग, बुरे तरीके से करते हैं। येसु कहते हैं, “सर्वप्रथम ईश्वर के राज्य की खोज करो... और बाकी अन्य चीजें तुम्हें यूं ही मिल जायेंगी।” लेकिन इसके बदले में हम अन्य चीजों की खोज करते हैं, मुख्यतः अपनी इच्छाओं की और ईश्वर के राज्य के बारे में पूरी तरह भूल जाते हैं। हम ईश्वरीय राज्य की चाह करें और बाकी चीजें हमें मिल जायेंगी।
प्रार्थना ईश्वर के अंदर रहना
पोप ने कहा, “हाँ, पवित्र आत्मा हमारे कमजोरी में सहायता हेतु आते हैं, लेकिन वे इससे भी महत्वपूर्ण चीज को हमारे लिए करते हैं। वे हमें ईश्वर की संतान की भांति अपना साक्ष्य देने को प्रेरित करते और हमारे ओठों में पिता शब्द को रखते हैं। “हम पवित्र आत्मा की सहायता के बिना, “अब्बा, पिता” नहीं कह सकते हैं।” ख्रीस्तीय प्रार्थना दूरभाष में एक ओर व्यक्ति का दूसरी ओर पिता से बातें करना नहीं है, यह ईश्वर हैं जो हममें प्रार्थना करते हैं, हम ईश्वर के संग ईश्वर से प्रार्थना करते हैं। प्रार्थना में हम ईश्वर के अंदर रहते और ईश्वर को अपने में प्रवेश करने देते हैं।