पोप ने वेरोना अखाड़ा के कलाकारों को प्रेम, उदारता, आनंद देने हेतु प्रोत्साहित किया
ऐतिहासिक और विश्व-प्रसिद्ध इतालवी अखाड़ा की शतवर्षीय जयन्ती के अवसर पर, वाटिकन में वेरोना के अखाड़ा फाउंडेशन का स्वागत करते हुए पोप फ्राँसिस ने कलाकारों को प्यार, खुशी और उदारता के साथ आगे बढ़ने के लिए आमंत्रित किया।
पोप फ्रांसिस ने बृहस्पतिवार को वेरोना का अखाड़ा (अरेना दी वेरोना) फाऊंडेशन के 300 सदस्यों से वाटिकन के क्लेमेंटीन सभागार में मुलाकात की। फाऊँडेशन अपनी स्थापना की शतवर्षीय जयन्ती मना रहा है। इसकी स्थापना 1913 में जुसेप्पे वेरदी के ऐइडा (ऑपेरा) के शानदार प्रदर्शन के साथ शुरू हुआ था और आज तक जारी है।
पोप ने गौर किया कि अखाड़ा ने उत्तम स्तर की रचनात्मकता को सौ सालों तक जीवित रखा और इस मूल्यवान धरोहर को भावी पीढ़ी को हस्तांतरित किया है। उन्होंने कहा, “यह बहुत सुंदर है: यह कृतज्ञता और उदारता का एक बुद्धिमान, रचनात्मक एवं ठोस रूप है।”
बहुमुखी गुणों से सम्पन्न इस विरासत का इतिहास 20वीं सदी पुराना है लेकिन वेरोना के लोगों ने इसे सुरक्षित रखा है और समय-समय पर इसकी मरम्मत पर ध्यान दिया। इस तरह यह अब सौ साल पुरा कर चुका है।
पोप ने याद किया कि वेरोना के इस ऐतिहासिक अखाड़े के निर्माण से लेकर अब तक इसे संभालकर रखने में कितने लोगों का अथक परिश्रम एवं समर्पण रहा है।
संत पौलुस जिन्होंने कलीसिया की तुलना शरीर से की है, पोप ने कहा, “जब वे इसकी तुलना एक शरीर से करते हैं जिसमें कई अंग होते हैं: प्रत्येक अंग अपने विशिष्ट कार्य में दूसरों का पूरक होता है।(1 कोर.12,1-27)
वास्तव में, सौ साल की कला का निर्माण किसी एक व्यक्ति द्वारा नहीं किया जा सकता, न ही चुने हुए लोगों के एक छोटे समूह द्वारा: इसके लिए एक बड़े समुदाय के योगदान की आवश्यकता है, जिसका काम व्यक्तियों की उपस्थिति से बढ़कर होता है और जिसमें जो लोग शामिल होते हैं उन्हें मालूम है कि वे न केवल अपने लिए, बल्कि अपने बाद आनेवालों के लिए भी कुछ निर्माण कर रहे हैं।”
फाँडेशन के सदस्यों से पोप ने कहा, “मैं आपके साथ उन पुरुषों और महिलाओं की बड़ी भीड़ को देख रहा हूँ जो आपसे पहले आए थे और जिन्हें आप आदर्श रूप में यहां लेकर आए हैं: एक भीड़... जो हमें याद दिलाती है कि 'जीवन की तरह कला' में भी विनम्र और उदार होना कितना महत्वपूर्ण है।”
“विनम्रता और उदारता”, पोप ने कहा कि सच्चे कलाकार के दो गुण हैं जो उनकी कहानी बताते हैं!
इसलिए पोप ने उन्होंने प्रोत्साहन दिया कि वे अपना काम जारी रखें और “उसे प्रेम से करें, व्यक्तिगत सफलता के लिए नहीं बल्कि दूसरों को कुछ खूबसूरत चीज देने के लिए।” पोप ने कहा, “कला से खुशियाँ देना, शांति फैलाना, सद्भाव का संचार करना! हम सभी को इसकी बहुत जरूरत है। मैं आपको तहे दिल से आशीर्वाद देता हूँ।”