पोप: एक प्रेमपूर्ण समाज को महिलाओं को गर्भपात कराने के दबाव से मुक्त करना चाहिए

पोप फ्राँसिस ने जीवन के लिए इतालवी आंदोलन के तीर्थयात्रियों को संदेश भेजा है और अजन्मे बच्चों का पक्ष लेने का आह्वान किया, जिनके बारे में उन्होंने कहा कि वे हर उस व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं जिनकी कोई आवाज नहीं है।
रोम के जेमेली अस्पताल में द्विपक्षीय निमोनिया से उबरने के दौरान पोप फ्राँसिस ने इतालवी मूवमेंट फॉर लाइफ द्वारा आयोजित तीर्थयात्रा में भाग लेनेवालों को एक संदेश भेजा है। वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन ने शनिवार को संत पेत्रुस महागिरजाघर में एकत्रित तीर्थयात्रियों के लिए ख्रीस्तयाग के दौरान पोप की ओर से संदेश पढ़ा।
पोप फ्राँसिस ने अपने संदेश में कहा, "महिलाओं पर, उनके स्वागत, उदारता और साहस की क्षमता पर अपना भरोसा बनाए रखें।" "महिलाओं को पूरे नागरिक और कलीसियाई समुदाय के समर्थन पर भरोसा करने में सक्षम होना चाहिए।"
उन्होंने समकालीन समाज द्वारा महिलाओं पर डाले जानेवाले दबाव पर दुःख जताया, जिसका ध्यान "संपत्ति, क्रिया, उत्पादन और दिखावट" पर केंद्रित है।
पोप ने कहा कि कलीसिया, मानव व्यक्ति की गरिमा को बढ़ावा देकर और दुनिया की नजर में सबसे कमजोर लोगों को प्राथमिकता देकर समाज के संदेश का मुकाबला करना चाहती है।
उन्होंने कहा, "अजन्मा बच्चा, पूर्ण अर्थों में, हर उस पुरुष और महिला का प्रतिनिधित्व करता है, जिसकी कोई गिनती नहीं है, जिसकी कोई आवाज नहीं है।" "उनका पक्ष लेने का मतलब है दुनिया के सभी त्यागे गए लोगों के साथ एकजुटता में खड़ा होना।"
पोप फ्राँसिस ने ख्रीस्तीयों से “प्रेम की सभ्यता” को बढ़ावा देने का आह्वान किया, जो महिलाओं को “उन दबावों से मुक्त करती है जो उन्हें अपने बच्चे को जन्म न देने के लिए मजबूर करते हैं।”
उन्होंने कहा कि अजन्मे बच्चों को “हम में से एक” के रूप में पहचानने के लिए “दिल से देखना” पड़ता है।
पोप ने जीवन के लिए इतालवी आंदोलन की प्रशंसा की, जिसे 1975 में स्थापित किया गया था और जो कई केंद्र चलाता है जो कठिन गर्भधारण वाली महिलाओं या गर्भपात कराने के दबाव में रहनेवाली महिलाओं की सहायता करते हैं।
उन्होंने कहा कि उनका काम "खुलकर, प्यार और दृढ़ता के साथ जीवन की संस्कृति को बढ़ावा देता है, जो सभी के प्रति सच्चाई को दान के साथ जोड़ता है।"
यह आंदोलन जब अपनी 50वीं वर्षगांठ मना रहा है, पोप फ्राँसिस ने उन सभी लोगों से आग्रह किया जो जीवन को बढ़ावा देना चाहते हैं कि वे "मातृत्व की सामाजिक सुरक्षा और मानव जीवन को उसके सभी चरणों में स्वीकार करने को बढ़ावा दें।"
उन्होंने कहा, "इस आधी शताब्दी में, जब कुछ वैचारिक पूर्वाग्रह कम हो गए हैं और सृष्टि की देखभाल के प्रति युवाओं की संवेदनशीलता बढ़ी है," "दुर्भाग्य से फेंकने की संस्कृति फैल गई है।"
पोप ने सभी से मानव जीवन की सेवा के लिए खुद को समर्पित करने का आह्वान किया, खासकर, जब यह सबसे नाजुक और असुरक्षित हो।
उन्होंने कहा, "[जीवन] पवित्र है, जिसे ईश्वर ने एक महान और सुंदर लक्ष्य के लिए बनाया है।" "एक न्यायपूर्ण समाज का निर्माण अवांछित अजन्मे बच्चों, बुजुर्गों जो अब आत्मनिर्भर नहीं हैं, या असाध्य रोग से पीड़ित हैं उन्हें खत्म करके नहीं किया जा सकता है।"
अंत में, पोप फ्राँसिस ने प्रार्थना की कि कुँवारी मरियम उन लोगों की देखभाल करें जो मानव जीवन को बढ़ावा देते हैं, और उनसे अपने तथा अपने स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना जारी रखने का आग्रह किया।