पेंतेकोस्त पर स्वर्ग की रानी प्रार्थना : पवित्र आत्मा को कैसे सुनें

पेंतेकोस्त महापर्व के अवसर पर पोप फ्राँसिस ने स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया और विश्वासियों को आत्मजाँच करने का आग्रह किया कि वे किस प्रकार पवित्र आत्मा को अच्छी तरह सुनते हैं। उन्होंने पवित्र आत्मा को अच्छी तरह सुनने का तरीका बतलाया।

वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 19 मई को पेंतेकोस्त महापर्व के अवसर पर पोप फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया। स्वर्ग की रानी प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, खुश पेंतेकोस्त महापर्व, सुप्रभात।

आज, पेंतेकोस्त महापर्व है, हम मरियम और प्रेरितों पर पवित्र आत्मा उतरने का महापर्व मनाते हैं।

धर्मविधि के सुसमाचार पाठ में येसु पवित्र आत्मा की बात करते हैं और कहते हैं कि वे हमें "वह सब कुछ सिखा देंगे, जो उन्होंने सुना है।" (यो. 16,13) लेकिन इस अभिव्यक्ति का क्या मतलब है? पवित्र आत्मा ने क्या सुना है? वे हमें किसके बारे बताते हैं?

पिता और पुत्र किन शब्दों में बात करते हैं?
वे हमसे ऐसे शब्दों में बात करते हैं जो स्नेह, कृतज्ञता, विश्वास, दया जैसी अद्भुत भावनाओं को व्यक्त करते हैं। ये शब्द जो हमें ईश्वर के शाश्वत प्रेम जैसे सुंदर, उज्ज्वल, ठोस और स्थायी रिश्ते से अवगत कराते हैं, शब्द जिनको पिता और पुत्र बोलते हैं। वे प्रेम के परिवर्तनकारी शब्द हैं, जिन्हें पवित्र आत्मा हमारे लिए दोहराते हैं, और जिन्हें सुनना हमारे लिए अच्छा है। क्योंकि ये शब्द हमारे दिलों में वैसी ही भावनाओं और इरादों को जन्म देते एवं विकसित करते हैं। ये फलदायी शब्द हैं।

अपने आपको हर दिन पोषित करना
यही कारण है कि हर दिन आत्मा से प्रेरित होकर, ई्श्वर के वचन, येसु के वचन से अपने आपको पोषित करना महत्वपूर्ण है और कई बार मैं कह चुका हूँ: सुसमाचार का एक अंश पढ़ें, एक छोटा, जेब के आकार का सुसमाचार लें और इसे अपने साथ रखें एवं अनुकूल अवसरों का लाभ उठायें। पुरोहित और कवि क्लेमेंट रेबोरा अपने मन-परिवर्तन के बारे बतलाते हुए अपनी डायरी में लिखते हैं: "और ईश वचन ने मेरे बकबक को शांत कर दिया!" (जीवनी)। ईश्वर का वचन हमारी व्यर्थ बातचीत को शांत करता है। यह हमें गंभीर शब्द, सुंदर शब्द, आनंदमय शब्द कहने के लिए प्रेरित करता है।

पवित्र आत्मा की आवाज को जगह देना
यही पवित्र आत्मा की आवाज को अपने भीतर जगह देने का तरीका है। और फिर आराधना – मौन में की गई आराधना - विशेषकर सरल मौन प्रार्थना में। आपस में एक दूसरे को अच्छे शब्द कहने में, अपने दिल में कहें ताकि बाद में दूसरों को भी कह सकेंगे। क्योंकि यह दिलासा देनेवाले, आत्मा की आवाज से आता है।

पोप ने कहा, “सुसमाचार पढ़ना और उस पर मनन करना, मौन रहकर प्रार्थना करना, अच्छे शब्द कहना, कोई कठिन काम नहीं हैं, हम सभी ऐसा कर सकते हैं। यह अपमान करने, गुस्सा करने से ज्यादा आसान हैं...। हम अपने आप से पूछें: इनका मेरे जीवन में क्या स्थान है? मैं पवित्र आत्मा को बेहतर ढंग से सुनने और दूसरों के लिए उसकी प्रतिध्वनि बनने के लिए उन्हें कैसे विकसित कर रहा हूँ?

पेंतेकोस्त में प्रेरितों के साथ उपस्थित मरियम हमें पवित्र आत्मा की आवाज के प्रति विनम्र बनायें। इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।