ग्रेगोरियन यूनिवसिटी में पोप : विद्वानों को 'ज्ञान के भिखारी' होना चाहिए
पोप फ्राँसिस ने मंगलवार को रोम स्थित 16वीं शताब्दी पुराने ग्रेगोरियन यूनिवर्सिटी का दौरा किया जहाँ उन्होंने आज के विश्व में इसके मिशन पर प्रकाश डाला।
इस वर्ष के आरंभ में, परमधर्मपीठीय ग्रेगोरियन विश्वविद्यालय का – जो 16वीं शताब्दी में संत इग्नासियुस द्वारा स्थापित एक प्रसिद्ध जेसुइट-संचालित संस्थान है –परमधर्मपीठीय बिब्लिकुम और ओरिएंटल संस्थानों के साथ विलय हो गया।
मंगलवार, 5 नवंबर को, पोप फ्राँसिस ने नव-विलयित संस्थान का दौरा किया, और एकत्रित संकाय, कर्मचारियों और छात्रों को एक लंबा भाषण दिया।
मूल की ओर वापसी
अपने भाषण में संत पापा ने उस संकेत पर चितंन किया जो 16वीं शताब्दी के रोम के केंद्र स्थित एक जेसुइट घर के दरवाजे पर लगा था जो एक दिन रोमन कॉलेज और बाद में ग्रेगोरियन यूनिर्सिटी बन गया।
पोप ने कहा, “संकेत में लिखा था : “व्याकरण, मानविकी और ख्रीस्तीय सिद्धांत का स्कूल।”
उन्होंने प्रश्न करते हुए कहा, “आज हम इस साधारण संकेत से क्या सीख सकते हैं?” पहली सीख, उन्होंने कहा कि येसु संघियों द्वारा प्रदान किये जानेवाले विभिन्न विषयों के मिश्रण से आती है, मानविकी के साथ धार्मिक विज्ञान का मिश्रण। उन्होंने सुझाव दिया कि आज इसे “धार्मिक विज्ञानों को मानवीय बनाने, मानवीयता में अनुग्रह की चिंगारी को प्रज्वलित करने और पुनर्जीवित करने” के निमंत्रण के रूप में पढ़ा जा सकता है।
दूसरी सीख, पोप ने कहा, “उस सच्चाई से ली जा सकती है कि क्लास बिना फीस के दिये जाते थे।”
पोप ने कहा कि यह नि:शुल्कता ही है जो "हमें ईश्वर के आश्चर्यों के लिए खोलती है... नि:शुल्कता ही है बिना किसी हेरफेर के शिक्षा देती है, विकास में आनन्दित होती और कल्पना शक्ति को बढ़ावा देती है।"
'ज्ञान के भिखारी'
पोप फ्राँसिस ने काथलिक शिक्षा में विनम्रता की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
उन्होंने कहा कि बहुत लंबे समय तक, "पवित्र विज्ञान ने बाकी सभी को नीचा दिखाया", "हम बनाम दूसरे" की मानसिकता के साथ - एक दृष्टिकोण, उन्होंने जोर देते हुए कहा, जिसके कारण "कई गलतियाँ हुईं।" पोप ने कहा कि अब समय आ गया है कि कलीसिया के शिक्षक "विनम्र बनें, यह स्वीकार करें कि हम सब कुछ नहीं जानते ... यह एक जटिल दुनिया है और शोध के लिए सभी के इनपुट की आवश्यकता है।" पोप ने आग्रह किया कि जिस चीज की आवश्यकता है, वह है ऐसे विश्वविद्यालय जिनमें "कम पदानुक्रम हो, एक-दूसरे के बगल में अधिक टेबल हों - हर कोई ज्ञान का भिखारी हो, इतिहास के घावों को छू रहा हो।"
एक व्यापक दृष्टिकोण
हाल ही में हुए ग्रेगोरियन यूनिवर्सिटी के विलय पर चिंतन करते हुए संत पापा ने कहा कि इस अनुमोदन को उन्होंने इस उम्मीद से दिया है कि यह “केवल प्रशासनिक पुनर्गठन” की अवस्था नहीं, बल्कि “अपने मिशन को पुनः परिभाषित करने” का अवसर बने।
इस संबंध में, पोप ने विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को चेतावनी दी कि वे “विश्व और कलीसिया में क्या हो रहा है” उसके व्यापक दृष्टिकोण के बिना खुद को “विलय, निलंबन और बंद” तक सीमित न रखें। पोप ने सवाल किया, “क्या आपने खुद से पूछा है कि आप कहाँ जा रहे हैं और आप जो कर रहे हैं, वह क्यों कर रहे हैं? आपको पता होना चाहिए कि आप कहाँ जा रहे हैं, और क्षितिज से नजर न हटाएँ।”