कपुचिनों से पोप : संत फ्रांसिस असीसी के नक्शेकदम पर "शांति के पुरुष" बनें

परिधि पर रहने वालों के साथ निकटता से भाईचारे और मेल-मिलाप को बढ़ावा दें। कपुचिन माइनर धर्मसमाज की 86वीं महासभा के लिए 100 देशों से आये प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए, पोप फ्राँसिस ने फ्रांसिस्कन आध्यात्मिकता के तीन मूलभूत आयामों को याद किया: भाईचारा, उपलब्धता और शांति के प्रति प्रतिबद्धता।

पोप फ्राँसिस ने शनिवार को वाटिकन के कनसिस्ट्री भवन में कपुचिन माइनर धर्मसमाज की 86वीं महासभा के लिए 100 देशों से आये करीब 200 प्रतिभागियों से मुलाकात की। संत पापा ने धर्मसंघ के जनरल फ्राते रोबेर्तो जेनुइन और सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा, “मुझे आपकी 86वीं महासभा के अवसर पर आपसे मिलकर खुशी हुई।”

बैठक के सौहार्दपूर्ण माहौल में  संत पापा ने बिना किसी हिचकिचाहट के बोलते हुए, ब्यूनस आयर्स, अर्जेंटीना में मिले उन कपुचिनों को सम्मान के साथ याद किया, जो "अच्छे दंडमोचक" थे और विशेष रूप से, उनके नाम का उल्लेख किए बिना, उस कपुचिन फ्राते को उन्होंने कार्डिनल बनाया - लुइस पास्कुआल ड्रि - जो "सबकुछ माफ कर देते हैं", इतना तक कि कभी उन्हें लगता था कि वे माफी देने में ज्यादती कर रहे हैं और ऐसा करने के लिए वे ईश्वर से माफी मांगते हैं। फिर संत पापा फ्राँसिस ने इस मुलाकात के लिए पुनः अपनी खुशी व्यक्त की।

पोप ने कहा कि धर्मसमाज में महासभा एक विशेष अवसर और कलीसिया के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। महासभा विभिन्न देशों और संस्कृतियों के मठवासियों को एक साथ लाता है, जहाँ एक-दूसरे को सुनने और आत्मा की एकल भाषा में एक-दूसरे से बात करने के लिए एक साथ आते हैं।

पोप ने कहा कि ईश्वर दुनियाभर में फैले संत फ्रांसिस के बच्चों के माध्यम से काम करना जारी रखते हैं। विशेष रुप से युवा कलीसियायों में ईश्वर चाहते हैं कि वे अपने संस्थापक गरीब फ्राँसिस के नक्शेकदम पर उत्साहपूर्वक ईश्वर के राज्य की घोषणा करें।

पोप ने उनके साथ फ्रांसिस्कन आध्यात्मिकता के तीन आयामों - भाईचारा, उपलब्धता और शांति के प्रति प्रतिबद्धता - पर अपने विचारों को साझा किया जो धर्मसभा के दौरान आत्मचिंतन और मिशनरी प्रेरिताई में मदद कर सकते हैं।

पहला पहलूः भाईचारा
पोप ने कहा कि उनकी महासभा के आदर्श वाक्य "प्रभु ने मुझे भाईयों को दिया" (टेस्टामेंट 14) संत फ्रांसिस के अनुभव की याद दिलाता है। उनके करिश्मा के अनुसार,  उनका मिशन, भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए समुदाय में शुरु हुआ है। इसके आधार पर, हम कह सकते हैं, कि यह "सहयोग का रहस्य" है, कोई भी, ईश्वर की योजना में, खुद को एक द्वीप नहीं मान सकता है, लेकिन हर कोई प्यार में बढ़ने के लिए दूसरों के साथ रिश्ते में है। जो अपने आप से बाहर निकलता और अपनी विशिष्टता को अपने भाईयों के साथ साझा करता है, वह अपने भाइयों के लिए एक उपहार है।

पोप आगे कहते हैं, “आप में से कोई व्यक्ति जो अपनी विशिष्टता का ख्याल रखता है लेकिन इसे अपने भाइयों के लिए उपहार में नहीं बदल पाया है तो वह अभी तक कपुचिन बनना शुरू नहीं किया है।”

दूसरा पहलू: उपलब्धता
पोप ने कहा, “उपलब्धता आप कपुचिनों की एक खासियत है कि आप वहां जाने के लिए तैयार रहते हैं जहां कोई नहीं जाना चाहता, और यह बहुत सुंदर है। आपकी खुली शैली, वास्तव में, हर किसी को गवाही देती है कि जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चीज प्रेम है(1 कुरिं 13:13) और किसी का अस्तित्व हमेशा प्रेम पर समर्पित करने लायक है।”

उपलब्धता, सब कुछ छोड़कर "जहां कोई नहीं जाना चाहता", "मान्यता मांगे बिना" जाने की तैयारी, और यह "एक महत्वपूर्ण संकेत" है:

एक महत्वपूर्ण संकेत, विशेष रूप से हमारे जैसे समय में, जो संघर्षों और बंदियों से चिह्नित है, जहां उदासीनता और स्वार्थ उपलब्धता, सम्मान और साझाकरण पर हावी होने लगते हैं, जिसके गंभीर और स्पष्ट परिणाम होते हैं, जैसे कि गरीबों का अनुचित शोषण और पर्यावरणीय विनाश।

तीसरा पहलू: शांति के प्रति प्रतिबद्धता
पोप ने रेखांकित किया कि लोगों के बीच रहने से आप "विशेषज्ञ 'शांति निर्माता' बन गए हैं, जो मुलाकात के अवसर पैदा करने में सक्षम हैं।" एक आयाम जो संत फ्रांसिस के हृदय के करिश्मे से उत्पन्न होता है: गरीबों और त्याग दिये गए लोगों के साथ निकटता, एक ऐसी निकटता जिसे कभी नहीं भूलना चाहिए।

जैसा कि हम जानते हैं, संत फ़्रांसिस स्वयं "शांति के व्यक्ति" के रूप में उभरे, जिन्हें पूरी दुनिया पहचानती है, कुष्ठरोगियों के साथ उनकी मुलाकात से शुरू होकर, जिनके आलिंगन में उन्होंने अपने गहरे घावों को खोजा और स्वीकार किया और जिनकी उपस्थिति में मुक्तिदाता ईसा मसीह से सामना हुआ। इस प्रकार, क्षमा किए हुए के रूप में, वह क्षमा का वाहक बन गया, प्रेम के प्रिय वितरणकर्ता के रूप में, मेल-मिलाप के सुलझे हुए प्रवर्तक बन गया।

पोप ने आगे कहा, "और आपको ऐसे ही होना चाहिए, प्रेम, क्षमा और मेल-मिलाप का पुरुष", और फिर उन्होंने याद दिलाया कि विश्वास का "परिधि पर रहने वालों के साथ निकटता एक महत्वपूर्ण संबंध" है और रहेगा। इसके बाद उन्होंने कलीसिया में कपुचिन माइनर धर्मसमाज द्वारा किए गए सभी अच्छे कार्यों के लिए धन्यवाद दिया और "विश्वास एवं आशा के साथ" धर्मसमाजी जीवन पथ ​​पर दृढ़ता की आगे बढ़ने हेतु प्रोत्साहित किया। महासभा 15 सितंबर तक चलेगी।