आर्जेन्टीना के तीर्थयात्रियों से पोप फ्राँसिस
माम्मा आन्तुल्ला के नाम से विख्यात मरिया अन्तोनिया दे सान होसे आर्जेन्टीना की एक काथलिक धर्मबहन थीं जिन्होंने दिव्य उद्धारकर्ता की पुत्रियाँ नामक धर्मसंघ की स्थापना की थी। 2016 में पोप फ्राँसिस ने मरिया अन्तोनिया की मध्यस्थता से लोगों को मिली चमत्कारी चंगाई के बाद उन्हें धन्य घोषित किया था।
आर्जेन्टीना से धन्य मरिया अन्तोनिया दे सान होसे की सन्त घोषणा के लिये रोम आये तीर्थयात्रियों ने शुक्रवार को वाटिकन में सन्त पापा फ्राँसिस का साक्षात्कार कर उनका सन्देश सुना।
माम्मा आन्तुल्ला के नाम से विख्यात मरिया अन्तोनिया दे सान होसे आर्जेन्टीना की एक काथलिक धर्मबहन थीं जिन्होंने दिव्य उद्धारकर्ता की पुत्रियाँ नामक धर्मसंघ की स्थापना की थी। 2016 में सन्त पापा फ्राँसिस ने मरिया अन्तोनिया की मध्यस्थता से लोगों को मिली चमत्कारी चंगाई के बाद उन्हें धन्य घोषित किया था।
धन्य मरिया अन्तोनिया की सन्त घोषणा सन्त पेत्रुस महागिरजाघर में 11 फरवरी के लिये निर्धारित है। इस अवसर के लिये आर्जेन्टीना से रोम आये धर्माध्यक्षों, पुरोहितों एवं लोकधर्मी विश्वासियों का अभिवादन करते हुए सन्त पापा ने कहा कि आज पहले से कहीं अधिक ज़रूरतमन्दों के प्रति माम्मा आन्तुल्ला द्वारा दर्शाई गई दया की आवश्यकता है।
अपने विश्व पत्र फ्रातेल्ली तूती के शब्दों को दुहराते हुए, उन्होंने कहाः माम्मा आन्तुल्ला की दानशीलता, विशेष रूप से सबसे जरूरतमंदों की सेवा में, आज एक ऐसे समाज के बीच बड़ी ताकत से खुद को उजागर करती है जो यह भूलने का जोखिम उठा रहा है कि "कट्टरपंथी व्यक्तिवाद को हराना सबसे कठिन वायरस है।" उन्होंने कहा, "यह एक धोखा है। यह हमें विश्वास दिलाता है कि किसी की महत्वाकांक्षाओं को खुली छूट देना ही सब कुछ है।"
पोप ने कहा कि धन्य मरिया अन्तोनिया में हमें "समाज के अंतिम और परित्यक्त के लिए एक विकल्प मिलता है, उन लोगों के लिए जिन्हें समाज ने त्याग दिया है, और अलग फेंक दिया है।" इस तरह माम्मा आन्तुल्ला हम सबके लिये एक उदाहरण और एक प्रेरणा हैं। मेरी मंगल आशा है कि उनका उदाहरण आपको हमारे भाइयों के बीच प्रेम और कोमलता का प्रतीक बनने में मदद करे।"
इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए कि पवित्रता का मार्ग विश्वास और परित्याग का मार्ग है, सन्त पापा ने स्मरण दिलाया कि जब धन्य मारिया अन्तोनिया बोयनस आयर्स में केवल एक क्रूस हाथ में लिये नंगे पैर पहुंचीं थीं, क्योंकि उन्होंने अपनी सुरक्षा खुद में नहीं, बल्कि ईश्वर पर छोड़ दी थी, उनका भरोसा केवल ईश्वर पर था। उन्होंने अनुभव किया कि ईश्वर हममें से प्रत्येक से क्या चाहते हैं, ताकि हम ईश्वर की बुलाहट को अपने जीवन की स्थिति में खोज सकें, क्योंकि जो कुछ भी है, उसे हमेशा "ईश्वर की महिमा और आत्माओं की मुक्ति के लिए सब कुछ" प्राप्त करने में संक्षेपित किया जाएगा।"
पोप ने कहा कि मरिया अन्तोनिया को अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा किन्तु उन्होंने ईश्वर पर भरोसा रखते हुए अपने सभी कार्यों में सुसमाचार का साक्ष्य देना जारी रखा। इस अर्थ में, एक और संदेश जो धन्य मरिया अन्तोनिया वर्तमान विश्व को देना चाहती हैं वह यह कि विपरीत परिस्थितियों में हार न मानें, चुनौतियों के बावजूद सभी के लिए सुसमाचार लाने के अपने अच्छे इरादों को न छोड़ें।
पोप ने कहा कि प्रायः "किसी का परिवार या उसका कार्यस्थल भी वह शुष्क वातावरण हो सकता है जहां व्यक्ति को विश्वास बनाए रखना चाहिए और उसे प्रसारित करने का प्रयास करना चाहिए।" उन्होंने कहा कि प्रभु ईश्वर में दृढ़ता से निहित होने के कारण, हमें इसे एक अवसर के रूप में देखना चाहिए जहां हम सुसमाचार के आनन्द को प्रसारित करने के लिये अपने आस-पास के वातावरण को भी चुनौती दे सकें।