माता-पिता से दूर हो रहे बच्चे, क्या है कारण आइये जाने

प्रतीकात्मक तस्वीर

आज समाज में एक नया बदलाव देखने को मिल रहा है कि माता-पिता व परिवार से बच्चों का लगाव बेहद कम उम्र में ही खत्म हो रहा है। बच्चे माता-पिता से पैसे व सुविधाएं तो चाहते हैं लेकिन अपने जीवन में उनकी दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं करते। कुछ बच्चे तो इतने मुखर होते हैं कि माता-पिता से दो टूक शब्दों में कह देते हैं कि उन्हें किसी भी प्रकार की रोकटोक पसंद नहीं है। 

आज कल अगर बच्चा रोता या उससे कोई एक्टिविटी करना हैं   यहाँ तक की उससे खाना खिलान होता हैं, तो माता पिता उसके हाथो में मोबइल थमा देते हैं । धीरे-धीरे बच्चा  इसका आदि हो जता उससे माता पिता से ज्यादा मोबाइल महत्वपूर्ण लगने लगता हैं। फिर माता पिता ये बोलते है,  बच्चे  को पुरे समय बस मोबाइल चाहिए। पर वह  भूल जाते है,  की आदत उन्ही ने लगवाई हैं।

विशेषज्ञों के मुताबिक आज के बच्चे में न तो धीरज रह गया है और न ही उन्हें माता-पिता से लगाव। इसका सबसे बड़ा कारण है माता-पिता का बच्चों के प्रति जिम्मेदारियों को बखूबी न निभा पाना। माता-पिता सोचते हैं कि बच्चे के भविष्य के लिए पैसा कमाना व उन्हें अच्छे स्कूल में डलवा देना, उनकी इच्छाएं पैसे से पूरी कर देने से उनके दायित्व पूरे हो जाते हैं। मगर ऐसा नहीं है। इस तरीके से बच्चे के अंदर से भावनाएं खत्म होने लगती हैं व वह भी मशीनी जीवन जीने लगता है। उसे परिवार नहीं बल्कि दोस्तों का साथ अच्छा लगने लगता है। बच्चों में इस व्यवहार परिवर्तन को लेकर कई अभिभावक विशेषज्ञों की सलाह ले रहे हैं। 

टीन एज में बच्चे दोस्तों को ही दुनिया मानने लगे हैं।माता-पिता इतने व्यस्त व हमेशा इतने थके हुए रहते हैं कि बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाते, उनकी हर भावनात्मक जरूरत की भरपाई पैसों से करने की कोशिश करते हैं। इस कोशिश में बच्चा धीरे-धीरे उनसे केवल उतना ही संबंध रखने लगता है जितने में उसकी जरूरतें पूरी होती हैं और अपनी भावनाओं को दोस्तों के साथ जोड़ने लगता है। कई बार इसके दुष्परिणाम भी सामने आते हैं।

'जितनी जरूरत पैसे कमाने की है, उतनी ही जरूरत बच्चों को अपनेपन का अहसास देने की है। आज का बच्चा कम उम्र में ही माता-पिता से दूर हो रहा है व दोस्तों को ही अपनी दुनिया बना रहा है क्योंकि उसे माता-पिता केवल पैसे कमाने की मशीन लगते हैं।''बदलते वक्त में माता-पिता की जिम्मेदारियां दोहरी हो गई हैं लेकिन माता-पिता उन्हें निभा नहीं पा रहे हैं। जिस उम्र में बच्चों को उनके साथ की जरूर होती है उसमें वे बच्चों का साथ नहीं दे पाते और बाद में पछताते हैं।'