‘बच्चों के लिए एआई के जोखिम और अवसर’ पर वाटिकन में चर्चा

वाटिकन में 21 और 22 मार्च को ‘बच्चों के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता के जोखिम और अवसर’ शीर्षक से एक सम्मेलन की मेज़बानी की जा रही है, जिसका आयोजन विश्व बाल्यावस्था न्यास और परमधर्मपीठीय ग्रेगोरियन विश्वविद्यालय के सहयोग से पोंटिफिकल एकेडमी ऑफ साइंसेज द्वारा किया जा रहा है।

परमधर्मपीठीय प्रेस द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन में गुरुवार 20 मार्च को प्रकाशित किया गया कि नैतिक दृष्टिकोण से सरकारी नियमों को मजबूत बनाना तथा बच्चों की ‘सुरक्षा, गोपनीयता और गरिमा’ को केन्द्र में रखना सम्मेलन का उद्देश्य है। इसका शीर्षक है: 'बच्चों के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता के जोखिम और अवसर: बच्चों की सुरक्षा के लिए एक सामान्य प्रतिबद्धता'। विज्ञान सम्बन्धी परमधर्मपीठीय अकादमी के अध्यक्ष कार्डिनल पीटर टर्कसन के नेतृत्व में आयोजित प्रेस सम्मेलन में अनेक वैज्ञानिकों ने भाग लिया।

निजी हाथों में नहीं
कार्डिनल टर्कसन ने परियोजना की सामूहिक प्रकृति और नई प्रौद्योगिकियों में परमधर्मपीठ की रुचि पर प्रकाश डालते कहा कि एल्गोरिदम की नई नैतिकता और कथित "एल्गोरिथिक्स" पर चर्चा से परे, यह सुनिश्चित करने के लिए अलग-अलग देशों की ज़िम्मेदारियों पर बहस करना आवश्यक है ताकि कृत्रिम बुद्धिमत्ता पूरी तरह से "निजी हाथों में" न रहे।

प्रेस सम्मेलन में प्रोफेसर फॉन ब्राउन ने कहा कि नई प्रौद्योगिकियों से जुड़े जोखिम वैज्ञानिक समुदाय के लिए तेजी से स्पष्ट हो रहे हैं। इनमें सोशल मीडिया की लत भी शामिल है जो बच्चों के मस्तिष्क विकास को काफी प्रभावित करती है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया से गोपनीयता का उल्लंघन और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए बच्चों की प्राथमिकताओं में हेरफेर भी शामिल हैं।

इस संदर्भ में, प्रोफेसर फॉन ब्राउन ने कहा कि वाटिकन की पोंटिफिकल एकेडमी ऑफ साइंसेज रचनात्मक चर्चा को सुविधाजनक बना सकती है। उन्होंने कहा कि इसके लिये तकनीकी कम्पनियों के साथ वार्ताओं की नितान्त आवश्यकता होगी।

दुर्व्यवहार का पता लगाने में सहयोग

प्रेस सम्मेलन में ही प्रोफेसर ज़ोलनर ने परमधर्मपीठ की दूरदर्शिता को रेखांकित किया जिसने 2017 की शुरुआत में ही "तकनीकी विकास में अग्रणी कंपनियों के प्रतिनिधियों" को बाल संरक्षण में प्रमुख खिलाड़ियों के रूप में पहचाना था। उन्होंने कहा कि इस नेक पद्धति को फिर से शुरु किया जाना चाहिये, विशेष रूप से, कलीसिया द्वारा इसलिये कि कलीसिया का प्राथमिक मिशन सबसे कमज़ोर वर्ग के लोगों सुरक्षा है।

ज़ोलनर ने स्पष्ट किया कि परमधर्मपीठ के पास एक "अद्वितीय" अवसर है: सभी प्रासंगिक हितधारकों को एक साथ लाकर उन मुद्दों का समाधान करना, जिन्हें यदि अलग-अलग हल किया जाए तो अनसुलझे रह जाने का खतरा है।

ऑनलाईन हिंसा
विश्व बाल्यावस्था न्यास की ब्रिटा होल्मबर्ग ने न्यास के बारे में बताया कि यह एक ऐसा संगठन है जिसकी स्थापना 25 वर्ष पहले स्वीडन की रानी सिल्विया ने प्रवासियों, अनाथों और बेघर नाबालिगों जैसे सबसे कमजोर बच्चों की सुरक्षा के मुद्दों को संबोधित करने के लिए की थी।

ऑनलाइन दुर्व्यवहार को चिंताजनक बताते हुए उन्होंने कहा कि पांच में से एक लड़की और सात में से एक लड़का इंटरनेट पर विभिन्न प्रकार की हिंसा का शिकार हुआ है। यह कहते हुए कि "प्रौद्योगिकी समस्या का हिस्सा है, लेकिन इसे समाधान का भी हिस्सा होना चाहिए" उन्होंने सन्त पापा फ्रांसिस द्वारा बताए गए उसी द्वंद्व की ओर इशारा किया, जिन्होंने बार-बार इस बात पर ज़ोर दिया है कि नए उपकरण जोखिम और अवसर दोनों प्रस्तुत करते हैं।