पोप : नाबालिगों की सुरक्षा के लिए कलीसिया के प्रयास कम नहीं होने चाहिए
पोप फ्राँसिस ने नाबालिगों की सुरक्षा के लिए बने परमधर्मपीठीय आयोग को प्रोत्साहित किया है कि वह कलीसिया को सुनने और सम्मान का माहौल सुनिश्चित करने के द्वारा नाबालिगों और कमजोर लोगों की सुरक्षा में मदद करना जारी रखे।
नाबालिगों की सुरक्षा के लिए गठित परमधर्मपीठीय आयोग जब अपनी एक सभा में भाग ले रहा है, पोप फ्राँसिस ने इस अवसर का लाभ उठाते हुए सदस्यों को निमंत्रण दिया है कि वे दुराचार को दूर करने हेतु कलीसिया के प्रयासों को मजबूत करना जारी रखें।
पोप ने आयोग के सदस्यों को उनकी व्यक्तिगत और सामूहिक गवाही के लिए धन्यवाद दिया, और स्वीकार किया कि उनमें से कई ने दुराचार के पीड़ितों की देखभाल के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है।
उन्होंने उनके काम को "एक साहसी बुलावा कहा जो कलीसिया के दिल से आता है और उसे शुद्ध होने और बढ़ने में मदद करता है।"
उन्होंने कहा, परमधर्मपीठीय आयोग ने "कलीसिया को नाबालिगों और कमजोर वयस्कों के लिए एक सुरक्षित स्थान बनाने" के उनके आह्वान के जवाब में पिछले 10 वर्षों में अपने प्रयासों का विस्तार किया है।
पोप ने स्वीकार किया कि जो लोग सुरक्षा देने के क्षेत्र में कार्य करते हैं वे “दुराचार के कलंक और पीड़ितों के दर्द को देखकर निराश हो सकते हैं।”
उन्होंने कहा, “हमारी प्रतिबद्धता को कम नहीं होनी चाहिए” जब कलीसिया टूटे जीवन को जोड़ना और पीड़ितों की पीड़ा को चंगा करना चाहती है।
उनका कार्य कलीसिया को “हमेशा और हर जगह एक ऐसा स्थान बनाना चाहता है जहाँ हरेक व्यक्ति आत्मीयता महसूस कर सके” एवं उचित व्यवहार पा सके।
उन्होंने कहा, “हमने भी इसे महसूस किया है। हम दूसरों को उनका बोझ उठाने में तब तक मदद नहीं कर सकते हैं जब तक कि हम उन्हें खुद नहीं उठाते, हम उन्हें वास्तविक निकटता और करुणा नहीं दिखाते।"
पोप ने आगे कहा कि पीड़ितों के साथ निकटता एक अमूर्त अवधारणा नहीं है बल्कि "एक बहुत ही ठोस वास्तविकता है, जिसमें सुनना, हस्तक्षेप करना, रोकना और सहायता करना शामिल है।"
उन्होंने आयोग के सदस्यों और सभी कलीसियाई अधिकारियों को दुर्व्यवहार से होनेवाली पीड़ा को स्वीकार करने और पीड़ितों की आवाज़ सीधे सुनने के लिए प्रोत्साहित किया।
उन्होंने कहा, "जिनके साथ दुर्व्यवहार हुआ है उनके लिए हमारा प्रत्युत्तर इस प्रेमपूर्ण नजर, इस हार्दिक निकटता से पैदा होती है।" "हमारे इन भाइयों और बहनों का स्वागत किया जाना चाहिए और उनकी बात सुनी जानी चाहिए, क्योंकि ऐसा करने की उपेक्षा करने से उनकी पीड़ा बहुत बढ़ सकती है।"
पोप फ्रांसिस ने आयोग को पीड़ितों के सम्मान में अपना काम करने के लिए आमंत्रित किया, जबकि नाबालिगों की सुरक्षा के लिए उत्तम अभ्यासों को लागू करने के अपने प्रयासों के माध्यम से कलीसिया की निकटता को स्पष्ट किया।
उन्होंने मेमोरेरे पहल के लिए समर्थन व्यक्त किया, जिसका उद्देश्य बच्चों और कमजोर वयस्कों के लिए रोकथाम और सुरक्षा क्षमताओं को प्रशिक्षित करने एवं मजबूत करने में दुनिया भर में स्थानीय कलीसियाओं की सहायता करना है।
उन्होंने कहा, मेमोरेरे पहल, "पीड़ितों और उनके अधिकारों को बढ़ावा देनेवालों के साथ एकजुटता का एक नेटवर्क तैयार करेगी, खासकर, जहाँ संसाधन और अनुभव सीमित हैं।"
अंत में, पोप ने नाबालिगों की सुरक्षा के लिए परमधर्मपीठीय आयोग को उसकी वार्षिक सुरक्षा रिपोर्ट के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि यह कलीसिया को सही दिशा में आगे बढ़ाता है।
उन्होंने अंत में कहा कि संरक्षण आयोग की सेवा, कलीसिया को "दुर्व्यवहार की रोकथाम, इसकी कड़ी निंदा, पीड़ितों के लिए दयालु देखभाल के प्रावधान और एक स्वागत योग्य एवं सुरक्षित स्थान होने के लिए निरंतर प्रतिबद्धता हेतु पूरी तरह से प्रतिबद्ध रहने में मदद करती है।"