माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण समुद्र के लिए कितना खतरनाक है

दुनिया के सबसे प्राचीन और सुदूर वातावरण में से एक अंटार्कटिका को माइक्रोप्लास्टिक के प्रभावों से निपटना होगा क्योंकि यह इसकी पारिस्थितिक स्थिरता को खतरे में डाल रहे हैं।

प्लास्टिक प्रदूषण हमारे रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित करता है, जिससे हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों को खतरा है। प्लास्टिक की थैलियोंको अक्सर जानवर निगल जाते हैं, प्लास्टिक की बोतलें समुद्र और नदियों में जमा हो जाती हैं, और मछली पकड़ने के फेंके गये उपकरणों में फंसने से समुद्री जीव अंधाधुंध मर रहे हैं।

पोप फ्राँसिस ने बार-बार सभी नेक दिल पुरुषों और महिलाओं से ईश्वर की रचना की देखभाल करने और इसकी जैव विविधता को संरक्षित करने का आह्वान किया है और महासागरों की रक्षा करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है। 2022 में एक टेलीविज़न साक्षात्कार में, उन्होंने कहा था "समुद्र में प्लास्टिक फेंकना अपराध है। यह जैव विविधता, पृथ्वी, सब कुछ नष्ट कर देता है। अगर हालात नहीं बदले तो हमारे पोते-पोतियों को (...) 30 साल के भीतर एक निर्जन दुनिया में रहना पड़ेगा।"

फिर भी, प्लास्टिक से बनी : एक और मूक प्रदूषणकारी वस्तु, माइक्रोप्लास्टिक ने हाल में वैज्ञानिकों और राजनेताओं को चिंतित कर दिया है।

माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण की समस्या
माइक्रोप्लास्टिक 5 मिमी से छोटे आकार के प्लास्टिक कण होते हैं। उन्हें या तो जानबूझकर इस आकार का बनाया जाता है अथवा यह बड़ी प्लास्टिक के क्षरण से उत्पन्न होता है।

माइक्रोप्लास्टिक अब पृथ्वी पर लगभग हर वातावरण में पाए जाते हैं, जैसे जल निकाय, मिट्टी, हवा, और यहां तक ​​कि अंटार्कटिका एवं उसके समुद्रों सहित दुनिया के सबसे प्राचीन क्षेत्रों तक भी पहुंच गए हैं।

माइक्रोप्लास्टिक्स के साथ एक खास समस्या यह है कि उनका आकार छोटा है, जो उसे वायुमंडल के विभिन्न तत्वों के माध्यम से दुनिया के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में आसानी से ले जाता है। इतालवी राष्ट्रीय अनुसंधान परिषद के ध्रुवीय विज्ञान संस्थान की शोधकर्ता एंजेलिना लो जुदिचे ने कहा, "उनके हल्के वजन के कारण, माइक्रोप्लास्टिक्स को हवा या समुद्री धाराओं द्वारा अविश्वसनीय रूप से लंबी दूरी तक ले जाया जा सकता है।" "इस प्रक्रिया को लंबी दूरी का परिवहन कहा जाता है।"

लो जुदिचे ने कहा, "हालांकि, वैज्ञानिक और पर्यटक अंटार्कटिक क्षेत्रों का दौरा तेजी से कर रहे हैं, और पर्यावरण संरक्षण प्रबंधन ढांचे के बावजूद, यह प्लास्टिक सामग्री क्षेत्र को प्रदूषित करने में योगदान दे रहा है।" शोधकर्ताओं के अनुसार, अंटार्कटिक क्षेत्रों में पाया जानेवाला सबसे आम प्रकार का प्लास्टिक पॉलीथीन टेरेफ्थेलेट (PET) है, जिसका उपयोग शीतल पेय की बोतलों और कपड़ों की वस्तुओं के उत्पादन के लिए किया जाता है।

उन्होंने बताया, "हम हर दिन सिंथेटिक कपड़ों का इस्तेमाल करते हैं, और रोजाना इसे पहनने एवं बार-बार धोने की दोनों ही प्रक्रियाएँ एक सीधा रास्ता प्रदान कर सकती हैं जिनके माध्यम से कपड़ा फाइबर अंटार्कटिक पर्यावरण में प्रवेश कर सकते हैं।" और एक बार वहाँ पहुँचने के बाद, माइक्रोप्लास्टिक जानवरों द्वारा गलती से निगला जा सकता है, खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर सकते हैं और अपने उच्चतम स्तर तक पहुँच सकते हैं। इसका प्रभाव यह होता है कि खाद्य श्रृंखला के आधार पर जानवर माइक्रोप्लास्टिक को निगल लेते हैं क्योंकि वे उन्हें खाद्य पदार्थ समझ लेते हैं। इन जानवरों को फिर शिकारियों द्वारा खाया जाता है, जो बदले में अन्य शिकारियों के लिए शिकार बन जाते हैं, खाद्य श्रृंखला में ऊपर तक पहुँचने जारी रहती हैं।

उदाहरण के लिए, टोरंटो विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक अध्ययन में पहली बार आर्कटिक चर में माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी की सूचना दी गई थी, जो सालमोन के ही परिवार की एक ठंडे पानी की मछली है और उत्तरी यूरोप सहित आर्कटिक और उप-आर्कटिक क्षेत्रों में पायी जाती है। आर्कटिक चर का उपयोग आम तौर पर मानव उपभोग के लिए किया जाता है, जो इस बात पर जोर देता है कि ध्रुवीय क्षेत्रों में माइक्रोप्लास्टिक का प्रसार हमारे लिए भी एक बड़ी समस्या हो सकती है। इतालवी राष्ट्रीय अनुसंधान परिषद के ध्रुवीय विज्ञान संस्थान की मारिया पापाले ने कहा, "ऐसा इसलिए है क्योंकि माइक्रोप्लास्टिक भारी धातुओं और जहरीले कार्बनिक यौगिकों जैसे अन्य प्रदूषकों को जमा कर सकता है।" "खाद्य श्रृंखला में फैलकर, ये प्रदूषक अंततः हमारे पेट तक पहुँच सकते हैं।"

प्लास्टिस्फेयर: माइक्रोप्लास्टिक्स माइक्रो-इकोसिस्टम के रूप में
रोगजनक सूक्ष्मजीवों के साथ भी ऐसी ही प्रक्रिया होती है, जो अक्सर माइक्रोप्लास्टिक्स से चिपक जाते हैं और इसलिए जानवरों के बीच आसानी से फैल सकते हैं।

पापाले ने कहा, "वास्तव में, सूक्ष्मजीवों द्वारा माइक्रोप्लास्टिक वस्तुओं पर कब्जा करना बहुत आम बात है"।
जलीय वातावरण में, माइक्रोप्लास्टिक्स एक स्थिर, लंबे समय तक रहनेवाला और गतिशील वातावरण प्रदान करनेवाला है, जिसपर सूक्ष्मजीव विकसित हो सकते हैं और इस तरह तुरंत उनसे चिपक जाते हैं। इससे एक नया प्लास्टिक-आधारित माइक्रो-इकोसिस्टम बनता है, जिसे प्लास्टिस्फेयर के नाम से जाना जाता है।
प्लास्टिस्फेयर में प्रकाश संश्लेषक जीव, शिकारी और शिकार, सहजीव और परजीवी रहते हैं, जिससे उनमें रहनेवाले सूक्ष्मजीवों के बीच अविश्वसनीय मात्रा में संभावित अंतःक्रियाएँ संभव होती हैं। पापाले ने बताया, "वे पूरी तरह से काम करनेवाले पारिस्थितिकी तंत्र हैं।" प्लास्टिस्फेयर के प्रभाव हाल ही में किए गए शोध के अनुसार, प्लास्टिस्फेयर में रहनेवाले सूक्ष्मजीव समुदाय अपने आस-पास के स्वतंत्र, स्वतंत्र समुदायों से काफी अलग होते हैं।