जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में स्वदेशी लोग महत्वपूर्ण

संयुक्त राष्ट्र संघ में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक तथा वाटिकन के वरिष्ठ महाधर्माध्यक्ष गाब्रिएल गाच्या ने सम्पूर्ण विश्व में व्याप्त आदिवासियों के अधिकारों के सम्मान का आह्वान किया तथा जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में उनकी भागीदारी को महत्वपूर्ण निरूपित किया है।

संयुक्त राष्ट्र संघ में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक तथा वाटिकन के वरिष्ठ महाधर्माध्यक्ष गाब्रिएल गाच्या ने सम्पूर्ण विश्व में व्याप्त आदिवासियों के अधिकारों के सम्मान का आह्वान कर कहा है कि मानवता के लिए एक अनमोल संसाधन का प्रतिनिधित्व करने वाले क्षेत्रों में आदिवासी जनजातियों के अद्वितीय योगदान को याद रखा जाना चाहिये।

स्वदेशी मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र के स्थायी मंच को संबोधित करते हुए महाधर्माध्यक्ष गाच्या ने कहा कि जलवायु संकट के प्रबंधन के तौर-तरीके, जैव विविधता के विनाशकारी नुकसान पर रोक, पौधों और भूमि का सतत उपयोग ऐसे सभी क्षेत्र हैं जिनमें स्वदेशी लोगों का योगदान महान है इसलिये यह अनिवार्य है कि उनके अधिकारों की रक्षा और सम्मान किया जाये। उन्होंने कहा कि पर्यावरण और जैव विविधता से संबंधित मामलों में उनका अनूठा अनुभव "पूरी मानवता के लिए एक अपूर्णीय संसाधन" है।

सरकारों के समक्ष किये गये सन्त पापा फ्राँसिस के आह्वान को दुहराते हुए महाधर्माध्यक्ष गाच्या ने कहा कि सर्वप्रथम, "सम्पूर्ण विश्व में व्याप्त आदिवासियों को उनकी संस्कृतियों, भाषाओं, परंपराओं और आध्यात्मिकता के साथ पहचानना और उनकी गरिमा और उनके अधिकारों का सम्मान करना अनिवार्य है।"

"वैचारिक उपनिवेशीकरण" के रूपों के खिलाफ चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि इस मामले में स्वदेशी लोगों के लिए पारंपरिक दवाओं के महत्व और मूल्य की मान्यता शामिल होनी चाहिए और साथ ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य देखभाल तक भी जनजातियों की पहुंच सुनिश्चित की जानी चाहिए। उन्होंने इस बात का स्मरण दिलाया कि हालांकि जलवायु परिवर्तन एवं दुष्परिणामों के लिये आदिवासी जनजातियाँ ज़िम्मेदार नहीं हैं तथापि इसका सर्वाधिक दुष्प्रभाव उन्हीं पर पड़ता है। अस्तु, यह नितान्त आवश्यक है कि जनजातियों एवं स्वदेशी लोगों को भी जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में शामिल किया जाये तथा उनके अनुभवों से सीखा जाये।  

महाधर्माध्यक्ष गाच्या ने कहा कि अपने पारंपरिक ज्ञान और अभ्यास के आधार पर स्वदेशी लोग "रचनात्मक तरीकों से जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को अपनाने सहित पारिस्थितिक तंत्र के लचीलेपन को बढ़ाने में मदद करने हेतु एक असाधारण स्थिति में हैं।" उन्होंने कहा कि उनकी सांस्कृतिक विरासत और उनके पारंपरिक ज्ञान को महत्व देकर "बेहतर पर्यावरण प्रबंधन के लिए रास्ते खोलने में मदद मिल सकती है।"