हर 4 मिनट में एक बच्चा हिंसा से मौत का शिकार हो रहा है
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने चिंता व्यक्त की है कि विश्वभर में हर वर्ष लाखों बच्चे हिंसा के शिकार हो रहे हैं, तथा यह भी चिंता जताई है कि हर चार मिनट में विश्व में कहीं न कहीं एक बच्चा हिंसा के कारण मारा जा रहा है।
यह परेशान करनेवाला आँकड़ा संयुक्त राष्ट्र बाल कोष, यूनिसेफ द्वारा बताया गया है, जिसने बच्चों के खिलाफ हिंसा कितनी व्यापक है, इस पर वैश्विक रिपोर्ट प्रकाशित किया है।
यूनिसेफ का यह बयान ऐसे समय में आया है जब विश्व के नेता, नागरिक समाज, अधिवक्ता, पीड़ित और युवा इस सप्ताह कोलंबिया के बोगोटा में बच्चों के विरुद्ध हिंसा समाप्त करने पर प्रथम वैश्विक मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के लिए एकत्रित हो रहे हैं।
बच्चों के विरुद्ध हिंसा पर स्वीडन की सरकार और यूनिसेफ के प्रतिनिधि एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से कोलंबियाई सरकार द्वारा आयोजित मंत्रिस्तरीय सम्मेलन का उद्देश्य नीतियों को बढ़ावा देना, संसाधनों को स्थानांतरित करना और यह प्रदर्शित करना है कि बच्चों के विरुद्ध विभिन्न प्रकार की हिंसा को रोकना और समाप्त करना संभव है।
बयान में विस्तार से बताया गया है कि किस तरह हर साल दुनियाभर में लाखों लोग इस घटना से प्रभावित होते हैं, साथ ही, यह भी प्रमाणित किया गया है कि आज जीवित लगभग 90 मिलियन बच्चों ने यौन हिंसा का सामना किया है।
लड़कियों के लिए अधिक जोखिम
इसमें कहा गया है कि 650 मिलियन लड़कियाँ और महिलाएँ, जो आज जीवित पाँच में से एक हैं, बचपन में यौन हिंसा की शिकार हुई थीं।
370 मिलियन से अधिक ऐसे लोग हैं, (8 में से लगभग 1) जिन्होंने बलात्कार या यौन उत्पीड़न का सामना किया है। नाजुक परिस्थितियों में लड़कियों को और भी अधिक जोखिम का सामना करना पड़ता है, जहाँ बचपन में बलात्कार और यौन उत्पीड़न की शिकार चार में से एक है।
करीब 50 मिलियन बालिकाएँ 15-19 की उम्र में अपने ही पति या पुराने पुरूष मित्रों से शारीरिक रूप से या यौन हिंसा की शिकार होती हैं।
इसके अलावा, इसमें बताया गया है कि 410 से 530 मिलियन लड़के और पुरुष, जो कि लगभग सात में से एक है, बचपन में यौन हिंसा का सामना किया है, जिनमें 240 से 310 मिलियन ऐसे हैं, जिनके साथ बलात्कार या यौन उत्पीड़न हुआ है।
घरेलू हिंसा
इसके अलावा, इसमें इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि 1.6 बिलियन बच्चे, जिसके बारे में यूनिसेफ का कहना है कि यह संख्या तीन में से लगभग दो बच्चे हैं, "नियमित रूप से घर पर हिंसक दंड का सामना करते हैं।"
शोक के अनुसार "दो तिहाई से अधिक बच्चे शारीरिक दंड और मनोवैज्ञानिक आक्रामकता दोनों के अधीन हैं", जबकि इस बात पर खेद व्यक्त किया गया है कि हिंसा औसतन हर साल 20 वर्ष से कम आयु के लगभग 130,000 बच्चों और किशोरों की जान ले लेती है।
मौत का खतरा लड़के बच्चों को अधिक
शोध यह भी प्रकट करता है कि हिंसा से मौत का अधिक खतरा लड़कों को है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि हिंसा से मारे गए हर चार बच्चों और किशोरों में से तीन लड़के थे। किशोरावस्था के अंतिम चरण में हिंसा से मरने का जोखिम तेजी से बढ़ता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि हिंसा से मरने वाले 10 में से 7 बच्चे 15 से 19 वर्ष की आयु के थे और उनमें से अधिकांश लड़के थे। अंत में, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने बताया कि करीब 550 मिलियन बच्चे, यानी लगभग चार में से एक, ऐसी माताओं के साथ रहते हैं जो अपने पुरूष साथी की हिंसा की शिकार हैं।
इस सच्चाई को देखते हुए, यूनिसेफ ने मंत्रिस्तरीय सम्मेलन को "एक महत्वपूर्ण अवसर" कहा है।
खासकर, दुनिया भर में बच्चों के लिए अधिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए। वे पालन-पोषण सहायता कार्यक्रमों तक सार्वभौमिक पहुँच प्रदान करने के प्रयासों का आह्वान करते हैं जो पोषण संबंधी देखभाल को बढ़ावा देते हैं; सुरक्षित और सक्षम स्कूली वातावरण का एक सार्वभौमिक प्रावधान; और अंत में, एक लक्षित प्रतिक्रिया, और उन सभी बच्चों के लिए सहायता सेवाएँ जिन्हें उनकी आवश्यकता है।