सान पाकियानो विश्वविद्यालय के प्रतिनिधियों को सम्बोधन

स्पेन के बारसेलोना नगर स्थित सान पाकियानों विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों, छात्रों एवं प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को वाटिकन में पोप फ्रांसिस का साक्षात्कार कर उनका सन्देश सुना। इस अवसर पर उन्होंने प्रार्थना के महत्व पर बल दिया।

पोप ने कहा कि आज की मुलाकात को मैंने प्रार्थना पर चिन्तन करना उचित समझा है, इसलिये कि यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने अध्ययन में प्रभु के साथ मिलन की तलाश करने की आवश्यकता पर और इसे प्राप्त करने के लिए कलीसिया के  माध्यम से उन्होंने हमें जो साधन दिए हैं, उन पर विचार करें।  

पोप ने कहा कि धर्मविधि हमें यह भी याद दिलाती है कि ईश्वर के इर्द-गिर्द यह मिलन सभी का है। उन्होंने कहा कि ओपस देई समुदाय के लोग इन दिनों सन्त आन्सेल्म पर अध्ययन कर रहे हैं, जिसमें आप सभी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि कलीसिया एक संगठित लोगों के समुदाय रूप में, अपने सबसे आवश्यक उद्देश्य की खोज के प्रति  खुद को समर्पित करती है, जो कि दिव्य जैरूसालेम में कायम रहेगा, जब हम संतों के साथ स्वर्गदूतों के समूह में शामिल होंगे। सन्त पापा ने कहा कि मनुष्य धर्मविधि के लिए है, क्योंकि वह ईश्वर के लिए है, लेकिन ईश्वर के साथ मनुष्य के मिलन के बिना धर्मविधि एक विपथन मात्र है।

पोप ने कहा कि शायद इसी कारण से संत बेनेडिक्ट अपने भिक्षुओं के लिये इस मापदण्ड को ज़रूरी मानते थे कि क्या कोई वास्तव में ईश्वर की तलाश कर रहा है या नहीं, उम्मीदवार ईश्वर के साथ व्यक्तिगत और सामुदायिक मुलाकात के अर्थ में, आराधना-अर्चना में भाग लेते हुए ओपस देई समुदाय का सदस्य बनने के लिये तैयार है या नहीं। क्या वह आज्ञाकारिता के आग्रह को भूले बिना, अर्थात् सेवा के लिए, भाईचारे के प्रेम के सर्वोच्च आदेश को जीने के लिए, जिसकी अपेक्षा हमसे ईश्वर करते हैं उसके लिये तैयार हैं या नहीं। क्या उम्मीदवार प्रभु येसु के अपमानों, उनके द्वारा क्रूस को गले लगाने और स्वयं को ईश्वर द्वारा प्रतिरूपित होने देने तथा उनके रहस्यमय शरीर के सदस्यों में प्रभु के खुले घाव को छूने के लिये तैयार हैं या नहीं।

विश्वविद्यालयीन प्रतिनिधियों एवं ओपुस देई संस्था के सदस्यों से सन्त पापा ने कहा, मैं आपसे अनुरोध करता हूँ आप हमारी दैनिक धर्मविधि को जीवन में आत्मसात करने के लिये काम करें, ताकि यह ईश्वर एवं मानव के रिश्ते को व्यक्त, प्रश्नांकित और पोषित कर सके। इस तरह, हमारे समुदाय "मनुष्यों के बीच ईश्वर के मंदिर" होंगे, जो अपनी प्रार्थना में "दुल्हे की अदृश्य दिल की धड़कन" की तलाश करते हैं। ऐसी आत्माएं "जो न केवल प्यार करती हैं, आराधना करती हैं, प्रशंसा करती हैं, बल्कि जो सांत्वना देती, सुधार करती और प्रायश्चित करती हैं" और जो ईश्वर की महिमा और मनुष्यों की भलाई के लिए प्रतिबद्ध हैं।