समर्पित लोग ‘ईश्वर के प्रगाढ़ प्रेम के साक्षी’ बनने के लिए बुलाये गये हैं

कलीसिया की पुत्रियों के धर्मसमाज की सुपीरियर जनरल ने दुनिया भर के समर्पित पुरुषों और महिलाओं को मसीह के प्रतिबिंब बनकर और उन्हें दुनिया के सामने ईश्वर के प्रेम के सच्चे साक्षी बनने की याद दिलाई।

समर्पित जीवन के 29वें विश्व दिवस की पूर्व संध्या पर संध्या प्रार्थना के दौरान संत पापा फ्राँसिस द्वारा दिये गये प्रवचन पर विचार करते हुए, सिस्टर तेरेसा पुरायदाथिल ने समर्पित पुरुषों और महिलाओं के लिए अपने जीवन के माध्यम से ईश्वर के प्रेम की गवाही देने की आवश्यकता पर जोर दिया, जो सबसे मौलिक मार्गदर्शक सिद्धांत है।

कलीसिया की पुत्रियों के धर्मसमाज की सुपीरियर जनरल ने कहा, “आज दुनिया में बहुत अंधकार है। धर्मसंघियों के रूप में, हमें मसीह के उस प्रेम को अपने जीवन में और अपने समुदायिक जीवन में प्रकाश के वाहक बनने के लिए बुलाया जाता है।"

सिस्टर पुरयदाथिल ने वाटिकन न्यूज़ को बताया कि प्रकाश के वाहक होने का मतलब है अपने व्यवहार के माध्यम से लोगों को खुशी देना। "जिस क्षण हम प्रभु से जुड़ते हैं, अंधकार गायब हो जाता है और उनका प्रकाश प्रबल होता है।"

प्रकाश के वाहक
भारतीय धर्मबहन जो लगभग एक दशक से अधिक समय से धर्मसमाज की सुपीरियर जनरल हैं, इस बात पर प्रकाश डाला कि मंदिर में प्रभु के समर्पण के पर्व पर समर्पित जीवन का विश्व दिवस मनाना उल्लेखनीय है, क्योंकि कलीसिया येसु के मिशन को मुक्ति के प्रकाश के रूप में मनाती है।

उन्होंने कहा, "प्रभु के समर्पण के संबंध में, हम मसीह को राष्ट्र के प्रकाश के रूप में मनाते हैं। इसलिए, हम समर्पित पुरुषों और महिलाओं ने अपना जीवन मसीह को समर्पित कर दिया है और हमें उस प्रकाश को लोगों के साथ साझा करना है।"

सिस्टर पुरयदाथिल ने आगे बताया कि कैसे समर्पित व्यक्ति गरीबी, शुद्धता और आज्ञाकारिता के सुसमाचारी सलाहों के माध्यम से समाज का प्रकाश बन सकते हैं।

सुसमाचारी सलाह के माध्यम से गवाही
तीन आध्यात्मिक सिद्धांत जो समर्पित व्यक्तियों का मार्गदर्शन करते हैं, अर्थात् शुद्धता, निर्धनता और आज्ञाकारिता, एक विश्वस्त और मसीह-केंद्रित जीवन जीने की कुंजी हैं।

सिस्टर पुरयदाथिल ने कहा कि शुद्धता के प्रकाश के वाहक होने के लिए, "हमें ईश्वर के प्रगाढ़ प्रेम के साक्षी बनना है।"

सिस्टर पुरयदाथिल ने कहा, "वर्तमान में लोग तत्काल संतुष्टि की तलाश करते हैं, जिसे हम कई लोगों के जीवन में देखते हैं, यहाँ तक कि दम्पतियों में भी। हमें याद रखना चाहिए कि समर्पित लोगों के रूप में हम सच्ची मुलाकात के स्थायी आनंद के साक्षी हैं। इसलिए, हमें परिपक्व होना चाहिए और अविभाजित हृदय से मसीह के प्रेम के प्रति समर्पित होना चाहिए। हमें लोगों के साथ महसूस करने की ज़रूरत है, न कि केवल कुछ संतुष्टि की तलाश करना।"

चूंकि समर्पित व्यक्तियों ने सादगी का जीवन अपनाया है, इसलिए सिस्टर पुरयदाथिल ने उन लोगों को चेतावनी दी जिनकी गरीबी के व्रत की रोशनी अनावश्यक संचय के कारण मंद पड़ गई है।

उन्होंने कहा, "धर्मसंघियों ने खुद को ईश्वर के कार्य के लिए समर्पित कर दिया है और सादगी का जीवन अपनाया है, स्वार्थ, लालच और अनावष्यक चीजों को इकट्ठा करने की इच्छा, आपकी उदारता में बाधक बन सकता है।"

 आज्ञाकारिता के प्रकाश के वाहक होने की आवश्यकता को संबोधित करते हुए, सिस्टर पुरयदाथिल ने कहा कि येसु ने ईश्वर पिता की इच्छा के अनुसार उनकी योजना को पूरा किया, एक ऐसा कदम जिसने उन्हें क्रूस पर मृत्यु की ओर अग्रसर किया।

उन्होंने समझाया, "आज्ञाकारिता में, हम ईश्वर की पुकार सुनते हैं, हम उनकी कही बातों पर ध्यान देते हैं और उनकी इच्छा को पूरा करते हैं जिसे येसु ने अपने जीवन में पूरा किया। इस तरह से समर्पित व्यक्तियों के रूप में, हमें मसीह की तरह जीना है और इस समाज और कलीसिया के लिए ईश्वर की इच्छा की परियोजना को पूरा करना है।"

सार्वभौमिक और भाईचारे का अनुभव
सिस्टर पुरयदाथिल ने यह कहते हुए अपना वक्तव्य समाप्त किया कि शनिवार को संत पेत्रुस महागिरजाघर में संत पापा के साथ संध्या प्रार्थना बहुत समृद्ध करने वाली थी। उन्होंने कहा कि महागिरजाघऱ में धर्मसंघी पुरुषों और महिलाओं का एक साथ आना एक सार्वभौमिक अनुभव था, जिसमें संत पापा ने कई कार्डिनलों, धर्माध्यक्षों और हजारों समर्पित महिलाओं और पुरुषों की उपस्थिति में संध्या प्रार्थना का नेतृत्व किया।