रमादान के महीने के लिये वाटिकन ने भेजा सन्देश

वाटिकन स्थित परमधर्मपीठीय अन्तरधार्मिक परिसम्वाद परिषद ने रमादान की शुरुआत के उपलक्ष्य में विश्व के इस्लाम धर्मानुयायियों के नाम एक विशिष्ट सन्देश जारी कर इस तथ्य पर ध्यान केन्द्रित करने का आग्रह किया है कि ख्रीस्तानुयायी और इस्लाम धर्मानुयायी आशा को खोजनेवाले विश्व में बेहतर ज़िन्दगी के लिये क्या कर सकते हैं।
इस वर्ष मुसलमानों का रमादान महीना और ख्रीस्तीयों का चालीसाकाल एक ही समय पड़ रहा है, इसके मद्देनज़र सन्देश में कहा गया कि यह शुद्धिकरण, प्रार्थना और उदारता का खास समय है जो यह स्मरण दिलाता है कि हम सब इस धरती पर तीर्थयात्री हैं और बेहतर जीवन की तलाश में हैं।
रमज़ान और चालीसाकाल
वाटिकन के सन्देश में कहा गया कि रमादान हम काथलिकों के लिये सिर्फ़ उपवास के महीने से कहीं ज़्यादा आंतरिक परिवर्तन का स्कूल है। खाने-पीने से परहेज़ करके, मुसलमान अपनी इच्छाओं को नियंत्रित करते और ज़रूरी चीज़ों की ओर मुड़ना सीखते हैं। आध्यात्मिक अनुशासन का यह समय धर्मपरायणता विकसित करने का निमंत्रण है। यह वह गुण है जो हमें ईश्वर के करीब लाता है और दूसरों के प्रति हमारे हृदयों को उदार बनाता है।
इसी तरह ईसाई परम्परा में चालीसाकाल का पवित्र समय हमें उपवास, प्रार्थना और दान के ज़रिए हमारे दिलों को शुद्ध करने के लिये आमंत्रित करता है। ये आध्यात्मिक अभ्यास, हालांकि अलग-अलग तरीके से व्यक्त किए जाते हैं, हमें याद दिलाते हैं कि आस्था केवल बाहरी अभिव्यक्तियों के बारे में नहीं है, बल्कि आंतरिक रूपांतरण का मार्ग है।
वाटिकन के सन्देश में आगे कहा गया कि अन्याय, संघर्ष और भविष्य के बारे में अनिश्चितता से चिह्नित हमारा विश्व भाईचारे और वास्तविक संवाद के लिए प्यासा है। साथ मिलकर, मुसलमान और ईसाई आशा के साक्षी बन सकते हैं, इस विश्वास के साथ कि इतिहास के बोझ और बहिष्कार को बढ़ावा देने वाली विचारधाराओं के बावजूद मैत्री संभव है। आशा केवल आशावाद नहीं है, अपितु यह हमारे सृष्टिकर्त्ता दयालु ईश्वर में विश्वास में निहित एक गुण है। आपके लिए, प्यारे मुस्लिम मित्रो, आशा ईश्वरीय दया में विश्वास से पोषित होती है, जो क्षमा करती है और मार्गदर्शन करती है। हम ईसाइयों के लिए, यह इस निश्चितता पर आधारित है कि ईश्वर का प्रेम सभी परीक्षओं, कठिनाइयों और बाधाओं से कहीं अधिक मज़बूत है।
मतभेदों से कहीं आगे
सन्देश में कहा गया कि ईश्वर पर हमारा भरोसा एक ऐसा खज़ाना है जो हमें हमारे मतभेदों से कहीं आगे तक जोड़ता है। यह हमें याद दिलाता है कि हम सभी ईश्वर द्वारा सृजित प्राणी हैं, जिन्हें सम्मान और आपसी सम्मान के साथ जीने के लिए बुलाया गया है। अस्तु, हम हिंसा, भेदभाव और बहिष्कार के सभी रूपों को अस्वीकार करके इस पवित्र गरिमा के संरक्षक बनें।
कहा गया कि इस वर्ष, जब हमारी दो आध्यात्मिक परंपराएँ रमज़ान और चालीसाकाल एक साथ मनाई जा रहीं है, तो हमारे पास विश्व को यह दिखाने का एक अनूठा अवसर है कि आस्था लोगों और समाजों को बदल देती है, तथा यह एकता और मेल-मिलाप की शक्ति है।
परमधर्मपीठीय अन्तरधार्मिक परिसम्वाद परिषद के अध्यक्ष कार्डिनल जॉर्ज कूवाकड़ द्वारा हस्ताक्षरित वाटिकन के सन्देश में, अन्त में कहा गया, "हमारी मंगलयाचना है कि रमज़ान के दौरान आपका उपवास और अन्य पवित्र प्रथाएं तथा इसके समापन पर मनाया जाने वाला ईद-उल-फितर का महोत्सव आपको शांति, आशा, भाईचारे और खुशी के प्रचुर फल प्रदान करे।"