येसु एवं प्रेरितों के बीच सम्वाद पर कार्डिनल कान्तालामेस्सा

वाटिकन में जारी परमधर्मपीठीय धर्माधिकारियों की चालीसाकालीन साधना के अवसर पर शुक्रवार को प्रवचन करते हुए परमधर्मपीठीय प्रेरितिक उपदेशक कार्डिनल रानियेरो कान्तालामेस्सा ने प्रभु येसु ख्रीस्त एवं प्रेरितों के बीच हुए सम्वाद पर चिन्तन प्रस्तुत किया।    

सन्त मत्ती रचित सुसमाचार के 16 वें अध्याय में निहित प्रेरितों से पूछे गये प्रश्न कि तुम क्या कहते हो कि मैं कौन हूँ? पर चिन्तन करते हुए कार्डिनल कान्तालामेस्सा ने कहा कि इस प्रश्न को हम उस अर्थ में नहीं लेते हैं जिस अर्थ में उस प्रश्न को आमतौर पर समझा जाता है; अर्थात्, मानो येसु यह जानने में रुचि रखते थे कि कलीसिया उनके बारे में क्या सोचती है, या हमारे धर्म तत्व अध्ययनों ने हमें उनके बारे में क्या सिखाया है, अपितु इस प्रश्न को हम ऐसे लेते हैं जैसे कि येसु के मुख से निकले प्रत्येक शब्द को लिया जाना चाहिए, वैयक्तिक रूप से और व्यक्तिगत रूप से भी इन शब्दों को हित एत नुंक यानि उन लोगों के लिये जो इन्हें सुनते हैं वैसे ही समझा जाना चाहिये मानो ये येसु के मुख से निकले हों।

सन्त योहन रचित सुसमाचार के सन्दर्भ में उन्होंने कहा कि सन्त योहन प्रभु येसु के उन शब्दों की प्रकाशना करते हैं जिनमें येसु स्वयं को जीवन की रोटी और विश्व की ज्योति घोषित करते हैं। कार्डिनल महोदय ने कहा कि इन शब्दों को अपनी या विश्व में अथवा कलीसिया में व्याप्त समस्याओं की दृष्टि नहीं बल्कि ईश प्रेम के दृष्टिकोण से देखा और समझा जाना आवश्यक है।

मैं जीवन की रोटी हूँ, प्रभु येसु मसीह के इन शब्दों का उल्लेख कर कार्डिनल कान्तालामेस्सा ने कहा कि येसु अपने शिष्यों को और उनके द्वारा युगयुगान्तर के लोगों तक इस बात को स्पष्ट करना चाहते थे कि एक और रोटी है जिसकी तलाश की जानी चाहिये और जिसका भौतिक रोटी से कोई सम्बन्ध नहीं है, क्योंकि भौतिक रोटी तो वास्तव में उसका संकेत मात्र है।

उन्होंने कहा कि समारी स्त्री से जब येसु पानी मांगते हैं तब भी वही बात थी। येसु उस महिला को भौतिक पानी से परे एक और यथार्थ पानी की खोज तक ले जाना चाहते थे। भौतिक पानी केवल थोड़े समय के लिए प्यास बुझाता है जबकि यथार्थ पानी एक दिन के लिए तृप्त होने वाली सामग्री से अलग है। सामरी महिला से जो रहस्यमयी पानी मांगती है और उसे पाने के लिए मसीहा के आने का इंतजार करती है, येसु कहते हैं: "वह मैं ही हूं जो तुमसे बात करता हूं।" इसी प्रकार जन समुदाय से जो रोटी की मांग कर रहे थे येसु कहते है, जीवन की रोटी मैं हूँ।

कार्डिनल महोदय ने कहा कि येसु द्वारा दिये गये जल और रोटी को हम कहाँ प्राप्त कर सकते हैं? इस प्रश्न पर विचार करना आवश्यक है। कलीसिया के आचार्यों ने हमें सिखाया है कि इन्हें हम संस्कारों में तथा ईश वचन में पा सकते हैं। अस्तु, उन्होंने सभी से आग्रह किया कि विशेष रूप चालीसा काल के दौरान अपने दैनिक जीवन में वे ईश वचन का पाठ करें तथा यूखारिस्तीय संस्कार ग्रहण कर प्रभु येसु द्वारा दी गई जीवन की रोटी प्राप्त करें।