यूक्रेन युद्ध के हज़ार दिन, कार्डिनल जुप्पी युद्ध समाप्त हो

रूसी-यूक्रेनी युद्ध के 1000 दिन पूरे होने पर रोम के सान्ता मरिया इन त्रास्तेववरे मरियम महागिरजाघर में बुधवार को बोलोन्या के महाधर्माध्यक्ष तथा इतालवी काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल मातेओ मरिया ज़ूप्पी ने ख्रीस्तयाग अर्पित किया तथा इस अवसर पर युद्ध की समाप्ति का आह्वान किया।

युद्ध समाप्ति के लिये प्रार्थना
परमधर्मपीठ के लिये यूक्रेन के राजदूतावास की पहल पर पूर्वी यूरोप में शांति स्थपना हेतु ख्रीस्तयाग का आयोजन किया गया था, जिसमें यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर ज़लेन्स्की की धर्मपत्नी ओलेना ज़लेन्स्की भी उपस्थित थीं, जिन्होंने सन्त पापा फ्राँसिस से भी मुलाकात की।      

ख्रीस्तयाग समारोह के बाद श्रीमती ज़ेलेन्स्की ने यूक्रेन के पक्ष में सन्त पापा फ्राँसिस की अपीलों के लिये धन्यावाद ज्ञापित किया और कहा, "आज हम मानवता द्वारा हिंसा के ख़िलाफ़ खड़े होने का हज़ारवां दिन मना रहे हैं।" सन्त पापा फ्राँसिस के प्रति आभार: "यूक्रेनी लोगों का समर्थन करने के लिये तथा उनके प्रति सांत्वना भरे शब्दों से मैं अत्यधिक प्रभावित और प्रेरित हूं।"

ख्रीस्तयाग प्रवचन में कार्डिनल ज़ूप्पी ने युद्ध समाप्ति का आह्वान करते हुए कहा, "आज हम आग्रहपूर्वक युद्ध की समाप्ति और न्यायसंगत एवं स्थायी शांति की आर्त याचना करते हैं।" उन्होंने कहा, "शांति और न्याय एक हैं, दो बहनों की तरह जो एक दूसरे की मदद करते, समर्थन करते और सुरक्षा प्रदान करते हैं।"

असाधारण भाईचारे के 1000 दिन
कार्डिनल ज़ूप्पी ने युद्ध के 1000 दिनों का स्मरण दिलाते हुए कहा,  22 फरवरी 2022 से शुरु हुए युद्ध के ये हजार दिन, "तूफान के एक हजार दिन रहे हैं, लेकिन असाधारण और गहन भाईचारे के भी एक हजार दिन रहे हैं, जो अविश्वसनीय रूप से बढ़ गया है और जो न केवल थका है, बल्कि और भी आश्वस्त और ज़रूरी हो गया है।"

इस बात की ओर उन्होंने ध्यान आकर्षित कराया कि "हाल के दशकों में यूक्रेनी लोगों का इतिहास बड़ी पीड़ा से चिह्नित रहा है", हालांकि यूक्रेनी लोगों ने इस दौरान असाधारण शक्ति और सहनशीलता का उदाहरण दिया है।

सन्त पापा फ्राँसिस के शांतिदूत रूप में कीव और मोस्को की यात्राएं करनेवाले कार्डिनल मातेओ ज़ूप्पी ने कहा कि युद्ध कभी शीघ्र समाप्त होनेवाली घटनाएँ नहीं होती, वे दीर्घकाल तक लोगों को पीड़ित करती रहती हैं। तथापि, उन्होंने कहा, रात दिन मांगती और दर्द सांत्वना के लिए, बदला माफ़ी के लिए, अंधेरा रोशनी के लिए, नफरत मेल-मिलाप के लिए तरसती है और जब सब कुछ अंधकारमय लगता है तब सबसे गहरी रात हमसे प्रकाश में विश्वास करने का आग्रह करती है।

सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें  के शब्दों को उद्धृत कर उन्होंने कहा कि जब रात सबसे गहरी होती है तब ही सुबह की रोशनी आती है।"