महाधर्माध्यक्ष विंसेंट आइंद को मिला पोप के अधिकार का प्रतीक पालियुम
राँची के महाधर्माध्यक्ष विंसेंट आइंद ने बृहस्पतिवार 25 जुलाई को, वाटिकन के प्रेरितिक राजदूत माननीय महाधर्माध्यक्ष लियोपोलदो जिरेल्ली के कर कमलों से पोप द्वारा महाधर्माध्यक्ष को प्रदत्त अधिकार का प्रतीक चिन्ह पालियुम ग्रहण किया।
पालियुम आरोपण की धर्मविधि बृहस्पतिवार को सुबह 6.15 बजे पवित्र ख्रीस्तयाग के साथ राँची के संत मरिया महागिरजाघर में सम्पन्न हुई। मिस्सा बलिदान की शुरुआत 50 से अधिक उपस्थित पुरोहितों और 13 धर्माध्यक्षों के जुलूस से हुई।
काथलिक कलीसिया में नवनियुक्त महाधर्माध्यक्षों को पालियुम आरोपित किये जाने की परम्परा लम्बे समय से चली आ रही है। इसे पोप अपने हाथों से प्रदान करते हैं किन्तु इस बार उन्होंने अपने प्रतिनिधि, भारत एवं नेपाल के प्रेरितिक राजदूत माननीय महाधर्माध्यक्ष लियोपोलदो जिरेली को रांची भेजा था।
पालियुम का अर्थ
प्रेरितिक राजदूत जिरेली ने पालियुम का अर्थ समझाते हुए कहा, “पालियुम संत पापा से जुड़े रहने और उसके द्वारा प्राप्त अधिकार का प्रयोग नम्रता से पूरा करते हुए सम्पूर्ण कलीसिया की देखभाल करने की जिम्मेदारी का प्रतीक है।"
पालियुम सफेद मेमने के ऊन से बना, दो इंट चौड़ा, 12 इंच लम्बा और घुमावदार अवरण है। जिसका प्रयोग संत पापा किसी भी यूखरिस्त समारोह के दौरान और महाधर्माध्यक्षगण विशेष अवसरों और त्योहारों के दौरान करते हैं। पालियुम में ऊन, कमजोर, बीमार और खोये हुए भेड़ों को इंगित करता है जिनको भला चरवाहा अपने कंधे पर उठाकर उसकी सेवा करता और उस, नवजीवन प्रदान करता है। इसमें आगे और पीछे दो काले पट्टे मेमना के खूर को इंगित करते हैं जो महाधर्माध्यक्ष का अपने धर्मप्रदेश में चरवाहा होने का प्रतीक है। जो ख्रीस्त अपने भले चरवाहे का अनुसरण करते हुए अपनी भेड़ों की देखभाल करता है।
महाधर्माध्यक्ष जिरेली ने कहा, “पालियुम मेमने के ऊन से बना है, ख्रीस्त ईश्वर के मेमने हैं जिन्होंने हमारे पापों को हर लिया है और जो भले चरवाहे के रूप में अपनी भेड़ों की देखभाल करते हैं। उनकी आगुवाई करते, उनका मार्गदर्शन करते, एवं उन्हें प्रेरित करते हैं। यह उस चरवाहे के रूप में स्वयं प्रभु येसु भी याद दिलाता है जो खोयी हुई भेड़ों के रूप में मानव जाति को घर वापस लाने के लिए अपने कंधे पर बिठाते हैं।”
पालियुम प्रतिस्थापन की धर्मविधि
इसके पश्चात् पालियुम प्रतिस्थापन की धर्मविधि आरंभ हुई जिसमें महाधर्माध्यक्ष विंसेंट आइंद ने पोप के राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोल्दो जिरेली के सम्मुख अपने और कलीसिया के विश्वास, उसकी शिक्षा की घोषणा की। साथ ही, महाधर्माध्यक्ष विंसेंट आइंद संत पापा फ्राँसिस के प्रति वफादार बने रहने, कलीसिया की शिक्षा को सिखाने और नम्रता पूर्वक अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाहन करने की प्रतिज्ञा की। इसके पश्चात् ही महाधर्माध्यक्ष लियोपोल्दो जिरेली ने अशीष की प्रार्थना करते हुए महाधर्माध्यक्ष विंसेंट आइंद को पालियुम प्रदान किया। तत्पश्चात् महाधर्माध्यक्ष विंसेंट आइंद ने मिस्सा बलिदान को आगे बढ़ाया। अपने धर्मोपदेश में उन्होंने प्राप्त अधिकारों का प्रयोग अपनी सेवा के लिए नहीं किंतु लोगों की सेवा के लिए करने पर जोर दिया। मिस्सा के अंत में महाधर्माध्यक्ष आइंद ने सभी धर्माध्यक्षों, पुरोहितों एवं पल्लीवासियों का धन्यवाद करते हुए अपने मिशन कार्य में ईश्वर से प्रार्थना करने का आग्रह किया।
विश्वासी समुदाय की उपस्थिति
इस पालियुम स्थापन समारोह में पोप के राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोल्दो जिरेली, महाधर्माध्यक्ष विंसेंट आइंद, माननीय फेलिक्स टोप्पो रांची के पूर्व आर्चबिशप, माननीय थियोदोर मसकारेनहस डाल्टनगंज के बिशप, माननीय विंसेंट बरवा सिमडेगा के बिशप, माननीय पिंगल एक्का गुमला के बिशप, माननीय विनय कांडुलना खूंटी के बिशप, माननीय आनंद जोजो हजारीबाग के बिशप, माननीय फ्रांसिस तिर्की पूर्णिया के बिशप, माननीय विसुवाशम सेल्वाराज पोर्ट ब्लेयर के बिशप, माननीय जुलियस मरांडी दुमका के बिशप, माननीय अंतोनिस बाड़ा अम्बिकापुर के बिशप, 50 से अधिक पुरोहित एवं हजारों की संख्या में ख्रीस्त विश्वासी शामिल हुए।