भारत : ख्रीस्त का साक्ष्य देने के लिए युवाओं को प्रेरणा
"प्रभु में आशा" शीर्षक से राष्ट्रीय युवा सम्मेलन में भारत के जालंधर में देशभर से 598 युवा संचालक एकत्रित हुए, जिन्हें सांसारिकता की ओर झुकती दुनिया में अपने विश्वास को जिम्मेदारी से जीने का प्रोत्साहन किया गया।
युवा काथलिक नेता पोप फ्राँसिस के आह्वान "मसीह जीवित हैं! वे हमारी आशा है" पर चिंतन करने के लिए भारत में एकत्र हुए हैं, जिसे उनके प्रेरितिक प्रबोधन क्रिसतुस विवित से लिया गया है।
6वें राष्ट्रीय युवा सम्मेलन में पूरे भारत से 598 प्रतिनिधि शामिल हुए, जिनमें भारतीय काथलिक युवा आंदोलन (आईसीवाईएम) के नेता, युवा प्रतिनिधि, संचालक और पुरोहित शामिल थे, जो 14 क्षेत्रों के 81 धर्मप्रांतों से आए थे।
भारतीय काथलिक युवा आंदोलन द्वारा आयोजित और 21 से 25 अक्टूबर तक भारत के जालंधर स्थित ट्रिनिटी कॉलेज में आयोजित इस सम्मेलन में कलीसिया के निर्माण में युवा काथलिकों की सामूहिक जिम्मेदारी पर जोर दिया गया।
राष्ट्रीय युवा आयोग के कार्यकारी सचिव फादर चेतन मचाडो ने वाटिकन न्यूज को बताते हुए कहा, “सम्मेलन मसीह की गवाही देने के विषय पर केंद्रित था, जो भारत के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की रणनीतिक योजना का एक महत्वपूर्ण बिंदु है। प्रत्येक व्यक्ति को दूसरों को येसु से परिचित कराने में अपनी भूमिका निभाने के लिए बुलाया जाता है।” अराजकता और हिंसा से त्रस्त दुनिया में, कलीसिया युवाओं से "आध्यात्मिक और विश्वास के मामलों से परे सुसमाचार को सामाजिक सुधार के क्षेत्र में ले जाने" का आह्वान करती है।
मीडिया की कहानियों से प्रभावित होने के बजाय, जानकारी का गंभीरता से आकलन करना, अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना और गैर-ख्रीस्तीयों के साथ मिलकर पोप फ्राँसिस द्वारा लिखे, प्रमुख विश्वपत्र पर अध्ययन समूहों में शामिल होना है।
मणिपुर में संकट पर प्रकाश डाला गया, जिससे प्रतिभागियों को ऐसे मुद्दों का सामना करने के लिए सामूहिक आवाज उठाने की तत्काल आवश्यकता को पहचानने में मदद मिली। उनकी चर्चाओं में, भारत में कलीसिया से मणिपुर और इसी तरह की परिस्थितियों का सामना कर रहे क्षेत्रों के पुनर्निर्माण के लिए एक साथ आने का जोरदार आह्वान किया गया।
चुनौतियाँ
सम्मेलन में युवाओं द्वारा सामना की जा रही विविध किन्तु आपस में जुड़ी हुई चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया। एक महत्वपूर्ण मुद्दा जो सम्मेलन में उठाया गया वह था सोशल मीडिया का दबाव जो अक्सर आभासी एवं वास्तविक दुनिया में एक असंतुलन पैदा कर देता है, और युवाओं को जीवन के प्रति सतही दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित करता है।
एक और चुनौती जो पहचानी गई वह थी युवा काथलिकों के लिए प्रासंगिक विश्वास प्रशिक्षण की कमी, जो बाहरी प्रभावों को उनके विश्वास पर हावी होने देती है। बढ़ते धार्मिक तनावों के बीच, सांसारिक दुनिया में मसीह के खुले तौर पर गवाही देने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। दूसरी ओर, युवा अक्सर काथलिक समुदाय द्वारा न्याय किए जाने का अनुभव करते हैं।
अन्य चुनौतियाँ में, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ, बेरोजगारी, जीवन साथी मिलने में देरी और बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल आदि प्रमुख थे जिनपर विचार किये गये। टूटे हुए परिवारों, परेशान पालन-पोषण और पीढ़ीगत अंतराल के नकारात्मक प्रभाव पर भी प्रकाश डाला गया।