फादर फाल्टस : गज़ा न्याय के लिए भूखा और प्यासा है

महीनों से, फिलिस्तीनी क्षेत्र में न तो भोजन पहुँचा है और न ही दवा, वहीँ बिजली की कमी है और बमबारी जारी है। पहले से ही जान गंवानेवालों, मलबे में दबे लोगों, घायलों और अनाथों की संख्या बहुत ज्यादा है, और अब भूख से मरनेवालों की संख्या भी उतनी ही दर्दनाक है।

"धन्य हैं वे जो धार्मिकता के भूखे और प्यासे हैं, क्योंकि वे तृप्त किये जायेंगे।" गज़ा के लोग दुखद स्थिति से गुजर रहे हैं और बेबसी का एहसास हमें आशा और विश्वास खोने पर मजबूर करता है, फिर भी, यह उम्मीद है कि गज़ा के भूखे और प्यासे लोग एक दिन तृप्त होंगे, न्याय की माँग के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को फिर से जगाती है।

एक विरोध प्रदर्शन
पिछले रविवार को, निराशा और भुला दिए जाने के एहसास ने गज़ा के लोगों को दुनिया को यह बताने के लिए एक विशाल विरोध प्रदर्शन शुरू करने के लिए प्रेरित किया कि बच्चे भूख से मर रहे हैं। लगभग दो साल की कठिनाई और पीड़ा के बाद, लोगों के शरीर कमज़ोर और दुर्बल हो गए हैं, और वे जीवित रहने के लिए बुनियादी जरूरतों के बिना महीनों से तड़प रहे हैं। पिछले कई महीनों से, गज़ा में भोजन, दवाइयाँ और बिजली नहीं पहुँच रही है—ये ज़रूरी चीजें जरूरतमंदों से बस कुछ किलोमीटर की दूरी पर ही रोक दी जाती हैं, और यह अमानवीय है। एम्बुलेंस के सायरन की आवाज एक लंबी और बहरा कर देनेवाली आवाज पैदा करती है जो उन लोगों की मंद चेतना को जगा दे जो चुपचाप नरसंहार देख रहे हैं, एक ऐसा नरसंहार जब भूखे को खाना और प्यासे को पानी न दिया जाए। यह एक ऐसे विश्व का सबसे बड़ा कलंक है, अमिट शर्म है जिसने आर्थिक हितों और सत्ता के लालच को अपने मूल्यों के पैमाने पर सबसे ऊपर रखा है, और मानव जीवन एवं मानवाधिकारों के हनन को सबसे नीचे।

वास्तविक समय में मृत्यु
बुजुर्ग, विकलांग और बच्चे उस जनता का एक बड़ा और नाजुक हिस्सा हैं जिनके पास अब घर नहीं है और शायद जमीन भी नहीं है—यह आबादी तंबुओं और अस्थायी आश्रयों में सोते हुए जानलेवा हमलों का शिकार होती है। मरनेवालों, मलबे में दबे लोगों, घायलों और अनाथों की पहले से ही बहुत बड़ी संख्या के साथ, अब हमें भूख से मरनेवालों की भी उतनी ही दर्दनाक संख्या को जोड़ना होगा। दुनिया जानती है कि कई महीनों से अनगिनत बच्चे कुपोषण से जूझ रहे हैं और हजारों लोग भूख से मर रहे हैं।

यह अविश्वसनीय लगता है, लेकिन यह सब कुछ ही किलोमीटर दूर उस दुनिया से हो रहा है जो अपनी जरूरतों से ज्यादा उपभोग करती है और जरूरी संसाधनों को बर्बाद करती है। दुनिया भूख से मरते बच्चों की अपरिहार्य मौतों को देखती है, जीती है: रोटी के एक टुकड़े के लिए अपमानजनक ढंग से कतार में खड़े 900 बच्चों में से ज्यादातर पिता थे जो अपने परिवारों के लिए खाना ढूँढ़ने की कोशिश कर रहे थे। जो लोग किसी तरह जिंदा रहने के लिए कुछ लेकर घर लौट पाए, उन्होंने अक्सर अपने बच्चों को मरा हुआ पाया। एक वीडियो में एक बुजुर्ग और कमजोर व्यक्ति की दिल दहला देनेवाली त्रासदी दिखाई गई, जो खाने के लिए कतार में खड़ा था और भूख एवं गर्मी से मर गया। गज़ा में मेरे दोस्तों, और इतने सारे लोगों के लिए यह रोजमर्रा की, दर्दनाक सच्चाई है – इंसान, बच्चे जो दुनिया के सभी बच्चों की तरह, बिना किसी राष्ट्रीयता या धर्म के भेदभाव के सम्मान के हकदार हैं।

पीड़ा की तस्वीर जो की लोगों के अंतःकरण को एक करती
हिंसा के इस लंबे दौर में, गज़ा में बच्चों, विकलांगों और बुज़ुर्गों की पीड़ा की तस्वीरें ही उन लोगों की अंतरात्मा को एकजुट करती रही हैं जो इतने दर्द के आगे खुद को असहाय महसूस करते हैं, जो गज़ा में जो कुछ हुआ है और जो हो रहा है उसमें भागीदार नहीं बनना चाहते। गज़ा के बच्चों की गहरी, उदास आँखें, पीड़ा और भूख से बहते आँसू, और गंभीर शारीरिक और भावनात्मक आघात मानवता के लिए एक मौन पुकार हैं।

संत पिता के जोरदार अपीलें, एम्बुलेंस के सायरन की हृदयविदारक ध्वनि, अंतर्राष्ट्रीय नागरिक समाज, राष्ट्राध्यक्षों और प्रतिष्ठित अधिकारियों व हस्तियों की एकजुटता, ये सब उन लोगों द्वारा अनसुना कर दिया जाता है जो निहत्थों के विरुद्ध हर प्रकार के हथियार का प्रयोग करते रहते हैं, और जिन्हें यह एहसास नहीं है कि वंचित अधिकार एक ऐसी विरासत है जिसे इतिहास से मिटाया नहीं जा सकता। गज़ा के बच्चों की आँखें, आँसू, टूटे और कांपते हुए छोटे शरीर हमें आक्रोशित करते हैं और हमें शांति की पुकार करने पर मजबूर करते हैं, हमें न्याय की भूख और प्यास से भर देते हैं।