पूर्वी रीति के ख्रीस्तीय कलीसिया की सार्वभौमिकता को समृद्ध करते

वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर में सातवें नोवेमदियालिस ख्रीस्तयाग के अवसर पर शुक्रवार को प्रवचन करते हुए, कार्डिनल क्लाओदियो गुजेरोत्ती ने विश्वासियों से आग्रह किया कि वे पूर्वी रीति की कलीसियाओं के भाइयों और बहनों का स्वागत करें।

वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर में सातवें नोवेमदियालिस ख्रीस्तयाग के अवसर पर शुक्रवार को प्रवचन करते हुए, कार्डिनल क्लाओदियो गुजेरोत्ती ने विश्वासियों से आग्रह किया कि वे पूर्वी रीति की कलीसियाओं के भाइयों और बहनों का स्वागत करें तथा उन्हें अपने विश्वास में सुदृढ़ रहने में सहायता करें।

पुनःरुत्थान
कार्डिनल गुजेरोत्ती ने इस अवसर पर, विशेष रूप से पास्का सोमवार के दिन सन्त पापा फ्राँसिस के गुज़र जाने के प्रकाश में, प्रभु येसु ख्रीस्त के पुनःरुत्थान पर चिन्तन किया। उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया कि ख्रीस्त का पुनःरुत्थान “मानव स्वभाव में निहित घटना नहीं है” बल्कि यह ईश्वर की ओर से “उनके पवित्रआत्मा के सामर्थ्य से आनेवाली अभूतपूर्व घटना” है।

उन्होंने कहा कि पवित्रआत्मा के सामर्थ्य से ही मनुष्य ईश्वर के दत्तक पुत्र बनते हैं, जो पूरी सृष्टि के साथ उन्हें पुकारते हैं: "अब्बा, पिता"। तथापि, उन्होंने कहा, "आज सृष्टि और मानव व्यक्ति का बहुत कम महत्व है"। इस तथ्य पर उन्होंने ज़ोर दिया कि मनुष्य और प्रकृति के बीच एक अंतर्संबंध बना हुआ है। उन्होंने कहा कि सृष्टि "मानवता की जीवनयात्रा में एक साथी है, जो हमारे साथ एकजुटता में है और बदले में हमारी एकजुटता चाहती है," उन्होंने बताया कि यह सन्त पापा फ्रांसिस का बहुत प्रिय विषय था।

पूर्वी और पश्चिमी कलीसियाओं के बीच भ्रातृत्व
अपने प्रवचन में कार्डिनल क्लाओदियो गुजेरोत्ती ने पूर्वी एवं लातीनी रीति की कलीसियाओं के बीच भ्रातृत्व भाव पर बल देते हुए पूर्वी ख्रीस्तीय आध्यात्मिक समृद्धि की ओर ध्यान आकर्षित कराया।

शुक्रवार को ख्रीस्तयाग समारोह में पूर्वी रीति की कलीसियाओं के कई धर्माधिकारी उपस्थित थे। इस सन्दर्भ में कार्डिनल महोदय ने इस बात पर हर्ष व्यक्त किया कि मतभेदों के बावजूद सामूहिक प्रार्थना में हम सब एकजुट हैं, उन्होंने “प्रभु की भूमि की ख़ुशबू” में ख्रीस्तीय धर्म के आरम्भिक काल के दिनों में निहित अपने इतिहास को याद किया।

उन्होंने ने पूर्वी रीति की कलीसियाओं के अनुभवों, उनकी संस्कृतियों और आध्यात्मिकता के माध्यम से “कलीसिया  की सार्वभौमिकता को समृद्ध करने के निमंत्रण” को स्वीकार करने के लिए इन कलीसियाओं के सदस्यों की उपस्थिति के लिये आभार व्यक्त किया।

उन्होंने कहा, "सन्त पापा फ्रांसिस, जिन्होंने हमें मानवीय अभिव्यक्ति की विविधता और समृद्धि से प्रेम करना सिखाया, आज हमें उनके लिए और उनके साथ प्रार्थना में एकजुट देखकर निश्चित रूप से प्रसन्न हैं।"

कार्डिनल ने इस ख्रीस्तयाग को एक ऐसा क्षण बताया जिसमें हम पूर्वी रीति की कलीसियाओं में अपने भाइयों और बहनों का स्वागत करने और उन्हें अपने विश्वास में सुदृढ़ रहने में मदद करने के लिए खुद को पुनः प्रतिबद्ध करें, “विशेष रूप से अब, जब उनमें से बहुत से लोग अपनी प्राचीन मातृभूमि अर्थात् पवित्र भूमि से भागने के लिए मजबूर हैं।”

प्रार्थना
आनेवाले दिनों में कलीसिया के भावी परमाध्यक्ष के चुनाव हेतु आयोजित कार्डिनल मण्डल की बैठकों के लिये ईशशास्त्रीय प्रार्थना का उच्चार करते हुए उन्होंने कहाः "आओ, सच्चा प्रकाश; आओ, अनन्त जीवन; आओ, छिपा रहस्य; आओ, नामहीन खज़ाना; आओ, अकथनीय वास्तविकता; आओ, अकल्पनीय व्यक्ति; आओ, अनंत आनंद; आओ, संध्या रहित प्रकाश; आओ, उन सभी की अचूक आशा जिन्हें बचाया जाना है। आओ, तुम जो हमेशा मेरी दुखी आत्मा को चाहते हो..."