पापस्वीकारकर्ता दया के सेवक बनें, पोप फ्राँसिस

पोप फ्रांसिस ने 27 मार्च को एक संदेश में पापस्वीकारकर्ताओं की विशेष भूमिका पर विचार किया और उन्हें आमंत्रित किया कि विश्वासियों के साथ मेल-मिलाप और नवीनीकरण के मार्ग पर चलते हुए वे “दया के सेवक” बनें।
पोप फ्रांसिस ने 27 मार्च को एक संदेश में, 2025 के पवित्र वर्ष की पृष्ठभूमि में पापस्वीकारकर्ताओं की विशेष भूमिका पर विचार किया और उन्हें आमंत्रित किया कि विश्वासियों के साथ मेल-मिलाप और नवीनीकरण के मार्ग पर चलते हुए वे “दया के सेवक” बनें।
गुरुवार को पोप फ्राँसिस ने अपोस्टोलिक पेनिटेंसियेरी अर्थात् प्रेरितिक दण्डागार द्वारा आयोजित आंतरिक फोरम के 35वें पाठ्यक्रम के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए यह प्रोत्साहन भरे शब्द कहे।
ईश्वरीय क्षमा का अनुभव
उन्होंने कहा, "विशेष रूप से जयंतीवर्ष के तीर्थयात्रियों के साथ दया का समारोह मनाना एक सौभाग्य है: ईश्वर ने अपनी कृपा से हमें दया के सेवक बनाया है, यह एक वरदान है जो हमें इसलिए प्राप्त हुआ है क्योंकि हम स्वयं ईश्वरीय क्षमा का अनुभव करने वाले पहले व्यक्ति रहे हैं।"
24 से 28 मार्च तक आयोजित उक्त कार्यक्रम में पापस्वीकारकर्ताओं को उनकी संस्कारात्मक प्रेरिताई के महत्व के बारे में प्रशिक्षण दिया गया।
प्रार्थना का महत्व
प्रतिभागियों को "प्रिय भाइयो" कहकर संबोधित करते हुए, पोप ने उनसे प्रार्थना करने वाले व्यक्ति बनने का आग्रह किया इसलिये कि प्रार्थना उनकी प्रेरिताई का आधार है। सन्देश में उन्होंने लिखा, "प्रार्थना में आपकी प्रेरिताई की नींव निहित है, जिसके माध्यम से आप येसु के कार्य को आगे बढ़ाते हैं, जो अभी भी और निरन्तर यह दुहराते हैं: 'मैं भी तुम्हें दोषी नहीं ठहराता। जाओ, और अब से पाप मत करना' (योहन 8:11)।"
पोप ने कहा, काथलिक कलीसिया के जयन्ती वर्ष के दौरान "प्रभु के ये मुक्तिदायक शब्द सम्पूर्ण कलीसिया में गूंजे (...) जिससे हृदयों का नवीनीकरण हो जो ईश्वर के साथ मेल-मिलाप से प्रवाहित होता है और नवीकृत भाईचारे के रिश्तों का रास्ता खोलता है।"
पोप ने दया और शांति के बीच संबंध पर भी प्रकाश डाला तथा कहा कि सच्ची शांति ईश्वर की दया से उत्पन्न होती है तथा ऐसी आशा का संचार करती है जो निराश नहीं करती।
संदेश के समापन में पोप फ्रांसिस ने पापस्वीकारकर्ताओं की अपरिहार्य संस्कारात्मक प्रेरिताई के लिए आभार व्यक्त किया तथा उन्हें धन्य कुँवारी मरियम के संरक्षण के सिपुर्द किया।