पवित्र भूमि के पीड़ितों से पोप : मैं आपके करीब हूँ

इस्राएल पर हमास के हमलों के एक वर्ष पूरे होने पर, जिसने पवित्र भूमि को युद्ध में धकेल दिया, पोप फ्राँसिस ने क्षेत्र के काथलिकों को एक पत्र लिखकर उन लोगों के प्रति अपनी निकटता व्यक्त की है, जो "उस विनाश को झेल रहे हैं जिसे शक्तिशाली लोग दूसरों पर थोपते हैं तथा युद्ध को समाप्त करने में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और शक्तिशाली देशों की शर्मनाक अक्षमता" की निंदा की है।

7 अक्टूबर 2024 को प्रेषित पत्र में, उस "दुखद दिन" से एक वर्ष बाद, जब "घृणा के फ्यूज तार को जलाया गया (...) जो हिंसा के चक्र में फट गया", पोप फ्राँसिस पवित्र भूमि के काथलिकों तक पहुंचते हैं "जहाँ खून और आंसू अभी भी बह रहे हैं।"

पोप ने पत्र में लिखा, “मैं आप सभी की याद कर रहा हूँ और आपके लिए प्रार्थना कर रहा हूँ।” साथ ही उन्होंने “हथियारों को खामोश करने और युद्ध की त्रासदी को समाप्त करने में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और सबसे शक्तिशाली देशों की शर्मनाक अक्षमता” की निंदा की।  

उन्होंने कहा, “गुस्सा बदले की भावना के साथ बढ़ रहा है, जबकि ऐसा लगता है कि बहुत कम लोग इस बात की परवाह करते हैं कि किस चीज की सबसे ज्यादा जरूरत है और क्या सबसे ज्यादा वांछित है: संवाद और शांति।”

उन्होंने जोर देकर कहा, “युद्ध एक पराजय है, हथियार भविष्य का निर्माण नहीं करते बल्कि नष्ट करते हैं, हिंसा कभी शांति नहीं लाते। इतिहास इसका साक्षी है फिर भी वर्षों के संघर्ष ने हमें कुछ भी नहीं सिखाया है।”

ईश्वर का प्रिय एक रक्षाहीन झुंड
पवित्र भूमि में रहनेवाले "छोटे, रक्षाहीन झुंड" को धन्यवाद देते हुए, जो "शांति के लिए प्यासे" हैं, जो अपनी भूमि में रहना चाहते, प्रार्थना करते और सब कुछ के बावजूद प्यार करते हैं, संत पापा ने पवित्र भूमि के काथलिकों को "ईश्वर के प्रिय बीज" कहा।

उन्होंने उन्हें प्रोत्साहन दिया कि वे अपने चारों ओर के अंधकार में खुद को डूबाये बिना, फल देने और जीवन देने का तरीका खोजें।

पोप ने लिखा, "अपनी पवित्र भूमि में रोपें, आशा के अंकुर बनें, क्योंकि विश्वास की रोशनी, आपको नफरत के शब्दों के बीच प्यार की गवाही देने, बढ़ते टकराव के बीच मुलाकात करने और बढ़ती दुश्मनी के बीच एकता की ओर ले जाती है।"

और यह कहते हुए कि वे "एक पिता के हृदय से" अपने बच्चों को लिख रहे हैं, जो "आज एक वास्तविक शहादत का अनुभव कर रहे हैं, पोप उनसे "युद्ध की सर्दी के बीच शांति के बीज" बोने और "अहिंसक शांति की शक्ति के साक्षी बनने" के लिए कहते हैं।

प्रार्थना और उपवास का दिन
इसपर गौर करते हुए कि आज लोग यह नहीं जानते कि शांति कैसे पाएँ,  संत पापा ने कहा कि "ख्रीस्तीय होने के नाते, हमें ईश्वर से शांति की याचना करते हुए कभी नहीं थकना चाहिए।"

उन्होंने प्रार्थना और उपवास को "प्रेम का हथियार कहा जो इतिहास बदल सकता है, हमारे एकमात्र सच्चे दुश्मन : बुराई की भावना जो युद्ध को बढ़ावा देती है, उसे हरा सकता है।"

पत्र के दूसरे भाग में संत पापा वहाँ के पीड़ित लोगों को सम्बोधित करते हैं, "मैं तुम्हारे साथ हूँ, मैं तुम्हारे करीब हूँ।" पोप फ्राँसिस ये शब्द अपने ख्रीस्तीय भाइयों और बहनों के लिए कहते हैं, लेकिन साथ ही हर धर्म और संप्रदाय के उन पुरुषों और महिलाओं के लिए भी कहते हैं जो मध्य पूर्व में युद्ध के पागलपन से पीड़ित हैं।

गज़ा के लोगों के लिए जो हर दिन उनकी यादों और प्रार्थनाओं में हैं:

उन माताओं के लिए जो अपने मृत या घायल बच्चों को देखकर रोती हैं, "जैसे मरियम येसु को देखकर रोई थी";

आप लोगों के लिए "जो आसमान से आग बरसने के डर से ऊपर देखने से डरते हैं";

आपके लिए जो "आवाजहीन हैं, क्योंकि योजनाओं और रणनीतियों की सभी बातों के बावजूद, उन लोगों के लिए कोई चिंता नहीं है जो युद्ध की तबाही झेलते हैं, जिसे शक्तिशाली लोग दूसरों पर थोपते हैं;"

आपके लिए जो शांति और न्याय के प्यासे हैं, "और बुराई के तर्क के आगे झुकने से इनकार करते हैं और, येसु के नाम पर, "अपने दुश्मनों से प्यार करते हैं और उन लोगों के लिए प्रार्थना करते हैं जो आपको सताते हैं।"

युद्ध में पीड़ित लोगों की सहायता करनेवालों के प्रति आभार
अंत में, पोप ने "शांति के पुत्रों और पुत्रियों" के लिए धन्यवाद के शब्द कहे, उन लोगों के लिए, जो दुनिया भर में पीड़ित लोगों की सहायता करते हैं, और धर्माध्यक्षों एवं पुरोहितों के लिए "जो अकेले और परित्यक्त महसूस करने वालों को ईश्वर की सांत्वना देते हैं।"

"प्रभु येसु में प्रिय भाइयों और बहनों, मैं आपको आशीर्वाद देता हूँ और हार्दिक स्नेह के साथ आपको गले लगाता हूँ। शांति की रानी, ​​हमारी माता मरियम, आप पर नजर रखें। कलीसिया के संरक्षक संत जोसेफ आपकी रक्षा करें।"