परमधर्मपीठ : युद्धों में नागरिकों पर हमले अस्वीकार्य

संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के लिए वाटिकन के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष एतोरे बलेस्त्रेरो ने जिनेवा में रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट के 34वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया और नागरिकों की सुरक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून का सम्मान करने हेतु सशस्त्र संघर्षों में सभी पक्षों के नैतिक दायित्व पर जोर दिया।

परमधर्मपीठ ने एक बार फिर मध्य पूर्व और यूक्रेन सहित दुनिया भर में चल रहे संघर्षों के बीच अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून (आईएचएल) के व्यवस्थित उल्लंघन की कड़ी निंदा की है, और दोहराया है कि नागरिकों पर अंधाधुंध हमला करना नैतिक रूप से "अस्वीकार्य" है।

जेनेवा में रेड क्रॉस और रेड क्रेसेंट के 34वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए वाटिकन के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष एत्तोरे बलेस्त्रेरो ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन में अंधाधुंध हमलों के कारण सशस्त्र संघर्षों में नागरिक आबादी को लगातार पीड़ित किया जा रहा है। उन्होंने कहा, "मारे गए नागरिकों को कभी भी 'अतिरिक्त-क्षति' नहीं माना जा सकता है।"

महाधर्माध्यक्ष बलेस्त्रेरो ने घनी आबादी वाले क्षेत्रों में विस्फोटक हथियार के लिए भी वाटिकन की गहरी चिंता व्यक्त की, जिससे विस्थापन एवं शहर, स्कूल, अस्पताल, पूजा स्थल और नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचों की भारी क्षति होती है।

उन्होंने याद दिलाया कि “अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून” का पालन न केवल संभव है बल्कि अनिवार्य है पोप फ्राँसिस के शब्दों के साथ, इस बात की पुनः पुष्टि करते हुए कि युद्ध की तबाही के बीच भी प्रत्येक व्यक्ति पवित्र है।

उन्होंने कहा, “हम युद्ध को अपरिहार्य नहीं मान सकते, न ही युद्ध के समय में सब कुछ को जायज मान सकते हैं।”

अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून पर जन जागरूकता फैलाना
वर्तमान परेशान करनेवाले विश्व संदर्भ के मद्देनजर, महाधर्माध्यक्ष बलेस्त्रेरो ने अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून और इसके नैतिक आधार को प्रसारित करने के उद्देश्य से एक शैक्षिक प्रक्रिया की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला और इन मुद्दों पर “सार्वजनिक विवेक को फिर से जागृत करने” में काथलिक कलीसिया के समर्थन का वचन दिया।

संघर्षों में कृत्रिम बुद्धिमता के हथियारीकरण को रोकने की आवश्यकता
उन्होंने कहा कि तकनीकी प्रगति और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के हथियारीकरण के मद्देनजर आज यह और भी महत्वपूर्ण है, जो तेजी से शत्रुता को बढ़ावा देने में एक केंद्रीय तत्व बनता जा रहा है।

इस संबंध में, वाटिकन पर्यावेक्षक ने कहा कि परमधर्मपीठ डिजिटल और साइबर प्रौद्योगिकियों के जिम्मेदाराना उपयोग का समर्थन करता है, तथा आग्रह करता है कि उन्हें "शांतिपूर्ण उद्देश्यों, सहयोग और पारस्परिक समृद्धि के लिए" आरक्षित रखा जाए।

"मानव व्यक्ति को केंद्र में रखने और गरिमा का संरक्षण, मानवता के मूल सिद्धांतों की सुरक्षा और जीवन के सर्वोच्च मूल्य की रक्षा सामूहिक चेतना में दृढ़ता से मौजूद रहनी चाहिए।"

वाटिकन की प्रतिबद्धता
महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि इस जागरूकता प्रयास को सहयोग देने के लिए वाटिकन ने आगामी चार सालों में तीन संकल्प लिया है : अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून में काथलिक सैन्य पुरोहितों (चैपलिन) को प्रशिक्षित करना, इसके नैतिक आधारों को बढ़ावा देना, विशेष रूप से नागरिकों और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए, तथा पारस्परिक सम्मान को बढ़ावा देने के लिए अंतरधार्मिक संवाद को बढ़ावा देना, जो मानव गरिमा की रक्षा और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून को सूचित करनेवाले मूल्यों की उन्नति में योगदान देता है।

इस बात को पुनः याद करते हुए कि युद्ध हमेशा एक हार है, महाधर्माध्यक्ष बलेस्त्रेरो ने संत पापा की अपील दुहरायी कि हथियार नहीं, आतंकवाद नहीं, युद्ध नहीं लेकिन करुणा, न्याय और संवाद ही शांति निर्माण के लिए उपयुक्त साधन हैं।

जेनेवा में सम्मेलन में बहस की गई विषयवस्तु
रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट का 34वाँ अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 28-31 अक्टूबर तक चलेगा, जिसमें 191 राष्ट्रीय रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट सोसाइटीज और जिनेवा कन्वेंशन के 196 सदस्य देशों के प्रतिनिधि भाग लेंगे। इस सम्मेलन की विषयवस्तु 'अनिश्चितता से निपटना - मानवता को मजबूत बनाना' नागरिकों और मानवतावादियों की सुरक्षा को बढ़ाना; स्थानीय स्तर पर संचालित टिकाऊ मानवीय कार्रवाई को प्रोत्साहन देना; जलवायु चुनौती के सामने पूर्वानुमान, तैयारी और अनुकूलन, 'आपदा कानून' का महत्व; युद्ध में डिजिटल प्रौद्योगिकियों का प्रभाव आदि विषयवस्तुओं के तहत विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के अनुपालन पर केंद्रित है।