परमधर्मपीठ ने किया बौद्धिक संपदा पर 'महत्वपूर्ण' संधि का स्वागत
जिनिवा स्थित संयुक्त राष्ट्र संघीय कार्यालय में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक वाटिकन के वरिष्ठ प्रतिनिधि महाधर्माध्यक्ष एत्तोरे बालेस्त्रेरो ने बौद्धिक संपदा पर 'महत्वपूर्ण' नई संधि का स्वागत किया है।
जिनिवा स्थित संयुक्त राष्ट्र संघीय कार्यालय में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक वाटिकन के वरिष्ठ प्रतिनिधि महाधर्माध्यक्ष एत्तोरे बालेस्त्रेरो ने बौद्धिक संपदा पर 'महत्वपूर्ण' नई संधि का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यह नई अंतर्राष्ट्रीय संधि एक “गतिशील और दूरदर्शी” आईपी प्रणाली की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
संयुक्त राष्ट्र संघ सम्बन्धी विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) के सदस्य देशों को संबोधित करते हुए महाधर्माध्यक्ष बालेस्त्रेरो ने संधि को एक "महत्वपूर्ण और दूरदर्शी कदम" बताया।
संधि
डब्ल्यूआईपीओ के सदस्य देशों ने इस वर्ष मई में समझौते को अपनाया था - जो "बौद्धिक संपदा, आनुवंशिक संसाधन और संबद्ध पारंपरिक ज्ञान" से संबंधित है। यह संधि उन पेटेंट आवेदकों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कानून में एक नई प्रकटीकरण आवश्यकता स्थापित करती है जिनके आविष्कार आनुवंशिक संसाधनों और/या संबद्ध पारंपरिक ज्ञान पर आधारित हैं।
यह एक दशक से अधिक समय में पहली डब्ल्यूआईपीओ संधि है, जिसमें देशज जातियों एवं स्वदेशी लोगों के आनुवंशिक संसाधनों तथा पारंपरिक ज्ञान से निपटने की बात कही गई है।
अर्थपूर्ण कदम
डब्ल्यूआईपीओ सदस्य देशों की सभाओं की 65वीं श्रृंखला में शामिल देशों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए, महाधर्माध्यक्ष बालेस्त्रेरो ने कहा कि यह संधि एक "गतिशील दूरदर्शी आईपी [बौद्धिक संपदा] प्रणाली" की दिशा में एक "महत्वपूर्ण कदम" है।
उन्होंने कहा कि परमधर्मपीठ "स्वदेशी लोगों और स्थानीय समुदायों की भागीदारी" पर ज़ोर देने की सराहना करती है, जो "उन विशिष्ट सांस्कृतिक और न्यायिक संदर्भों के प्रति संवेदनशील है जिनमें वे रहते हैं।"
महाधर्माध्यक्ष बालेस्त्रेरो ने कहा कि यह संधि कूटनीतिक स्तर पर "पारंपरिक ज्ञान और पारंपरिक सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों पर वार्ता के पुनरुद्धार" को बढ़ावा देने में मदद करेगी। इसके अलावा, उन्होंने ने कहा, परमधर्मपीठ इस तथ्य को "महत्वपूर्ण" मानती है कि यह संधि सर्वसम्मति से हासिल की गई थी।
महाधर्माध्यक्ष बालेस्त्रेरो ने अपने भाषण को समाप्त करते हुए डब्ल्यूआईपीओ के साथ भविष्य में सहयोग हेतु परमधर्मपीठ की प्रतिबद्धता की पुष्टि की, ताकि "आईपी-सिस्टम को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से रचनात्मक संवाद को बढ़ावा मिल सके"। उन्होंने कहा कि यह, अखण्ड मानव विकास का समर्थन करने के लिए परमधर्मपीठ की व्यापक प्रतिबद्धता का हिस्सा है।