चालीसाकालीन क्षमा घृणा से कहीं अधिक शक्तिशाली, पित्साबाल्ला

जैरूसालेम में लातीनी रीति के प्राधिधर्माध्यक्ष कार्डिनल पियरबतिस्ता पित्साबाल्ला ने चालीसाकाल के आरम्भ में एक संदेश जारी करते हुए स्मरण दिलाया है कि "संघर्ष और दोषारोपण की भारी बयानबाजी" कभी भी ईश्वर को येसु में मेल-मिलाप करने से नहीं रोक सकती।

पवित्रभूमि के लोगों को सम्बोधित अपने सन्देश में कार्डिनल पियरबतिस्ता पित्साबाल्ला ने चालीसाकाल के आरम्भ  में युद्ध, स्वार्थ और हिंसा के समय में ख्रीस्तानुयायियों से येसु  मसीह के क्रूस की ओर देखने का आग्रह किया है, जो पास्का के हृदय और विश्व की आशा का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने कहा कि मसीह में प्रत्येक विश्वासी को यह एहसास होना चाहिए कि "विद्वेष और घृणा के हिंसक शब्द, संघर्ष और प्रतिशोध के अहंकारी भाषण ईश्वर को मसीह में मेलमिलाप के वचन बोलने से नहीं रोक सकते।"

एक नवीन अवसर
उन्होंने कहा कि चालीसाकाल अनुग्रह और क्षमा का उपहार प्राप्त करने के लिए एक नवीनीकृत अवसर का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिये कि हम येसु के साथ रेगिस्तान का अनुभव करते हैं। कार्डिनल पित्साबाल्ला ने कहा, "हमें इस नए शब्द, क्रूस के शब्द की आवश्यकता है, जो इस दुनिया और हमारे समय के शक्तिशाली और बुद्धिमान लोगों को मूर्खता की तरह लग सकता है।" तथापि, उन्होंने कहा, "यह एकमात्र ऐसा शब्द है जो सांसारिक मानदंडों को पलट कर आशा और शांति के मार्ग को फिर से खोल सकता है। क्रूस का रास्ता, जिस पर हम कठिनाई से, लेकिन खुशी के साथ सीखते हैं, उपहार और क्षमा का नया तर्क है जो उन पुरुषों और महिलाओं, युवा और बूढ़े, परिवारों और बच्चों का आह्वान करता है जो अपनी सोच और अपने दृष्टिकोण को नवीनीकृत करके इस पर चलने के लिए तैयार हैं, क्योंकि केवल इस तरह से ही हम शांतिपूर्ण भविष्य की आशा कर सकते हैं।

शांति और पुनर्मिलन
कार्डिनल ने पवित्र भूमि में निवास करनेवाले ईसाई समुदायों को आमंत्रित किया कि वे समय निकालकर येसु के दुखभोग की गाथा को पढ़ें और प्रभु के कलवरी और सेपुलचर तक के मार्ग से चिह्नित स्थानों का दौरा करें। उन्होंने याद दिलाया कि मेल-मिलाप तभी प्रभावी हो सकता है जब हम अपने भाइयों और बहनों के प्रति सेवा हेतु समर्पित रहें।

उन्होंने कहा, "यह उपहार जादुई नहीं है, लेकिन इसे प्राप्त किया जाना चाहिए, देखा जाना चाहिए, जिया जाना चाहिए और साझा किया जाना चाहिए।" "अस्तु, हम सभी, पुरोहित और आम लोग, धर्मसमाजी और धर्मसंघी पुरुष और महिलाएँ इसमें शामिल हों और दुनिया में मेल-मिलाप के वचन और सेवा की प्रेरिताई को ले जाने के लिए संयुक्त रूप से ज़िम्मेदारी महसूस करें।"

पुनर्जीवित ख्रीस्त की ओर
प्राधिधर्माध्यक्ष पित्साबाल्ला ने कहा, "जब ईश्वर के साथ मेल-मिलाप हो जाता है, तो ईसाइयों को आपस में मेल-मिलाप करने के आह्वान को गहराई से महसूस करना चाहिए और फिर उस मेल-मिलाप को पूरी मानवता तक प्रसारित करना चाहिए।"

यह देखते हुए कि त्याग का कार्य एक उपहार बन सकता है, उन्होंने विश्वासियों को परिवारों के रूप में एक साथ उपवास और प्रार्थना करने के लिए आमंत्रित किया इसलिये कि यह हमें स्वार्थी चिंताओं से मुक्त करता और दूसरों की जरूरतों के बारे में जागरूक करता है।

इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए कि घृणा ने केवल मृत्यु और विनाश उत्पन्न किया है उन्होंने निष्कर्ष निकाला, "हमें ईश्वर की दया से प्राप्त चालीसाकाल को बर्बाद नहीं करना चाहिए।" उन्होंने कहा, "यह सिर्फ़ एक और चालीसाकाल नहीं है: यदि हम चाहें तो यह एक अलग, एक नया चालीसाकाल बन सकता है! यह पवित्र समय वास्तव में एक जयंती बन सकता है, यानी यह हमारे इस देश के लिए सांत्वना और मेल-मिलाप का समय बन सकता है।"