खुशी का केक अर्पित किया गया पोप लियो 14 वें को

पोप लियो 14 वें को गुरुवार 22 मई को सन्त रीता के पर्व दिवस पर हिप्पो के धर्माध्यक्ष द्वारा सुझाई गई सामग्री से प्रेरित केक "दे बेयाता वीता" अर्पित किया गया।
पोप लियो 14 वें को गुरुवार 22 मई को सन्त रीता के पर्व दिवस पर हिप्पो के धर्माध्यक्ष द्वारा सुझाई गई सामग्री से प्रेरित केक "दे बेयाता वीता" अर्पित किया गया।
“खुशी का केक”
सन्त अगस्टीन का “खुशी का केक” नाम से विख्यात यह केक मैदे, बादाम और शहद से बनी एक मिठाई है। पोप ने अपने एक पुराने परिचित द्वारा भेजे गए इस उपहार की सराहना की और इसे सन्त अगस्टीन धर्मसमाजी भाइयों के साथ साझा किया। स्मरण रहे कि पोप लियो भी इसी धर्मसमाज के सदस्य हैं।
संत ऑगस्टीन का "नुस्खा"
“खुशी का केक” मिठाई का प्रयोग सर्वप्रथम उत्तरी इटली के कसागो ब्रियान्ज़ा में किया गया था, जहां सन्त अगस्टीन ने अपनी कृति "दे बेयाता वीता" लिखा था। अपनी माता सन्त मोनिका द्वारा तैयार इस मिठाई को सन्त अगस्टीन ने अपने 32वें जन्मदिन पर अपने भाइयों एवं बहनों के साथ साझा करते हुए कहा थाः "मुझे लगता है कि मुझे अपने जन्मदिन पर न केवल हमारे शरीर के लिए, बल्कि हमारी आत्मा के लिए भी अधिक प्रचुर भोजन की पेशकश करनी चाहिए।" भोजन से पूर्व उन्होंने अपने मेहमानों को समझाया कि भौतिक भोजन के अलावा एक आध्यात्मिक भोज भी है जो आत्मा को पोषित करता है और खुशी की ओर ले जाता है। उन्होंने कहा, सत्य पर भोजन करना और ईश्वर की इच्छा के अनुसार कार्य करना व्यक्ति को खुश करता है।
शुभकामनाओं सहित
यह मिठाई आज भी खुशी की मंगलकामना के रूप में दी जाती है, जो पोप लियो 14 वें को, आठ मई को आरम्भ, उनके परमाध्यक्षीय काल के लिये शुभकामनाओं सहित 22 मई को सन्त रीता के पर्व दिवस पर अर्पित की गई।