कार्डिनल पारोलीनः यूक्रेन में न्यायोचित शांति और गाज़ा में संयम

वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पियेत्रो पारोलीन ने गुरुवार को सन्त पापा फ्राँसिस के उस आह्वान को याद किया जिसमें उन्होंने कहा था कि "शब्दों को निरस्त्र करें" ताकि "उन्हें संघर्ष में बदलने से रोका जा सके।" उन्होंने यूक्रेन के लिए "बिलाशर्त" वार्ता और गाज़ा में "संयम" का आह्वान किया और परमाणु हथियारों के कब्जे को "अनैतिक" बताया।

वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पियेत्रो पारोलीन ने गुरुवार को यूरोप पर अमरीकी राष्ट्रपित डॉनल्ड ट्रम्प के बयानों पर, सन्त पापा फ्राँसिस के उस आह्वान को याद किया जिसमें उन्होंने कहा था कि "शब्दों को निरस्त्र करें" ताकि "उन्हें संघर्ष में बदलने से रोका जा सके।"

उन्होंने यूक्रेन के लिए "बिलाशर्त" वार्ता का आह्वान किया और गाज़ा में "संयम की भावना" का आह्वान किया, साथ ही परमाणु हथियारों के कब्जे को "अनैतिक" बताते हुए इसकी निंदा की।

रोम के निकटवर्ती साक्रोफानो में आयोजित शिविर के प्रतिभागियों को सम्बोधित कर कार्डिनल महोदय ने यूक्रेन में न्यायपूर्ण और स्थायी शांति के लिए “बिना किसी पूर्व शर्त” के वार्ता, हमास और इस्राएल की ओर से “संयम की भावना” और गाजा के लिए “हथियारों का सहारा लिए बिना” समाधान की अपील की। कार्डिनल ने उन युद्धों पर चिंता व्यक्त की जो विश्व को विभाजित कर रहे हैं, विशेष रूप से यूरोप और मध्य पूर्व में लड़े जा रहे युद्ध, लेकिन साथ ही मौखिक युद्धों पर भी चिंता व्यक्त की जो तनाव को प्रश्रय दे रहे हैं।

यूक्रेन में वार्ता और गाजा के लिए समाधान
यूक्रेन में युद्धविराम के लिए जारी वार्ताओं के मद्देनज़र कार्डिनल ने आशा व्यक्त की कि "सकारात्मक निष्कर्ष" पर "वास्तव में" पहुंचा जाएगा। उन्होंने कहा: "मेरा मानना ​​है कि महत्वपूर्ण बात यह है कि वार्ता बिना किसी पूर्व शर्त के की जाए ताकि सहमति का बिंदु पाया जा सके और अंततः युद्धविराम पर पहुंचा जा सके और फिर, उस न्यायपूर्ण और स्थायी शांति तक पहुंचने के लिए वास्तविक वार्ता हो जिसकी हम सभी आशा करते हैं और मुझे लगता है कि संघर्षरत पक्ष स्वयं भी इसे प्राप्त करना चाहते हैं।"

कार्डिनल पारोलीन ने गाजा में समाधान का आह्वान भी किया तथा कहा कि अस्थायी युद्धविराम "स्थायी युद्धविराम" में बदल सकता है ताकि "शांति और पुनर्निर्माण की चर्चा शुरू हो सके।" उन्होंने कहा, "मेरा मानना ​​है कि दोनों पक्षों को संयम की बहुत आवश्यकता है, शायद कुछ ऐसा जो हमास या इस्राएलियों द्वारा नहीं अपनाया गया है। उन्होंने कहा कि यह अनिवार्य है कि  हथियारों का सहारा लिए बिना मौजूदा समस्या को हल करने का तरीका खोजने का प्रयास किया जाये।।"

नियमों के प्रति वचनबद्धता  
पेरिस में “इच्छुक लोगों के गठबंधन” के शिखर सम्मेलन का उल्लेख करते हुए कार्डिनल महोदय ने इस बात की पुनरावृत्ति की कि “सम्पूर्ण विश्व का जीवन विभिन्न राष्ट्रों की इच्छा पर निर्भर करता है, इसलिये यह अनिवार्य है कि  वे स्वयं के लिए बनाए गए नियमों का पालन करें”। "यदि कोई राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं है, तो शांतिपूर्ण और रचनात्मक अंतर्राष्ट्रीय जीवन की कोई संभावना नहीं हो सकती"

कार्डिनल पारोलीन ने स्मरण दिलाया कि शीत युद्ध के संदर्भ में और पिछली शताब्दी में यूरोप में हुए रक्तपातपूर्ण विश्व संघर्षों के बाद अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का उदय हुआ था। उन्होंने कहा, "आज विश्व बहुत बदल गया है, शक्ति के कई केंद्र हैं और शायद अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की ओर से विश्व की इन नई वास्तविकताओं के अनुकूल ढलने के लिए पर्याप्त प्रतिबद्धता नहीं दिखाई जा रही है।"

भाषा का "निरस्त्रीकरण"
अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प द्वारा हाल ही में यूरोपीय लोगों को "परजीवी" कहे जाने पर प्रतिक्रिया दर्शाते हुए कार्डिनल पारोलीन ने कहा कि भाषा का "निरस्त्रीकरण" आवश्यक है। हर हालत में भाषा की सौम्यता को बनाये रखने का आह्वान कर उन्होंने कहा हमें "शब्दों को निरस्त्र करने" की ज़रूरत है।

18 मार्च को इटली के समाचार पत्र कोरिएरे देल्ला सेरा के निदेशक लूचानो फोंटाना को लिखे  पत्र में सन्त पापा  फ्रांसिस द्वारा व्यक्त किये भावों को उद्धृत कर कार्डिनल पारोलीन ने कहा, "शब्दों को निरस्त्र करें ताकि वे संघर्ष और युद्ध बनने से बचें।"

उन्होंने कहा कि "यह बात सभी पर लागू होती है और विशेषकर आज, जब सभी क्षेत्रों में ऐसी तनावपूर्ण स्थिति है, तो कम शब्दों का प्रयोग करना, जितना संभव हो सके उतना मौन रहना अच्छा है और यदि आप शब्दों का प्रयोग करते हैं, तो बुद्धिमतापूर्ण शब्दों का प्रयोग करें, ऐसे शब्दों का प्रयोग जो संवाद में, मेलमिलाप में और विभाजन न करने में सहायक बन सकें।।"