करौंदाबेड़ा के त्रिशहीदों की 31वीं पुण्य तिथि पर तीर्थयात्रा संपन्न

करौंदाबेड़ा के तीन शहीदों : फा. लौरेंस कुजूर, फा. जोसफ डुंगडुंग एवं ब्रा. अमर अनूप इंदवार की 31वीं पुण्यतिथि पर लाखों विश्वासी तीर्थयात्रा में शामिल हुए। महाधर्माध्यक्ष विंसेंट आईंद ने कहा कि उनके शहीद होने के कारण हमारा विश्वास मजबूत हुआ है।
करौंदाबेड़ा झारखंड की कलीसिया के लिए वह महान स्थल है जहाँ दो पुरोहित एवं एक ब्रादर शहीद हो गये थे। शहीदों की 31वीं पुण्यतिथि पर राँची काथलिक महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष विंसेंट आईंद विशिष्ट अतिथि रहे एवं तीर्थयात्रियों के लिए पवित्र मिस्सा बलिदान का अनुष्ठान किया। उनके साथ, गुमला धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष एवं तीर्थयात्रा के आयोजक लीनुस पिंगल एक्का, हजारीबाग धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष आनंद जोजो, एवं खूंटी धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष विनय कुंडलना भी शामिल हुए।
02, सितम्बर 1994 की रात को गुमला के करौंदाबेड़ा पल्ली में कुछ असामाजिक तत्वों ने फा. लौरेंस कुजूर, फा. जोसफ डुंगडुंग एवं ब्रा. अमर अनूप इंदवार पर हिंसक प्रहार कर हत्या कर दीं। इन्हीं की शहादत का स्मरण करते हुए गुमला धर्मप्रांत प्रत्येक वर्ष करौंदाबेड़ा में तीर्थयात्रा का आयोजन करता है। इस अवसर पर करौंदाबेड़ा में लाखों तीर्थयात्री तीनों शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने एवं प्रार्थना करने के लिए पहुंचें। रोजरी माला बिनती के साथ धर्मविधि आरंभ हुई। मिस्सा बलिदान के पूर्व ही फा. लौरेंस कुजूर, फा. जोसफ डुंगडुंग एवं ब्रा. अमर अनूप इंदवार की समाधि पर महाधर्माध्यक्ष विंसेंट आईंद ने पुष्प अर्पित किये एवं झंडा फहराया। तत्पश्चात पवित्र मिस्सा शुरू हुआ। बारिश होने के बावजूद दूर दराज से आए तीर्थयात्री प्रार्थना में डटे रहकर अपने अविचलित विश्वास का परिचय दिया।
मिस्सा बलिदान के दौरान महाधर्माध्यक्ष विंसेंट आईंद ने अपने धर्मोपदेश में कहा "जब तक गेहूँ का दाना मिट्टी में गिरकर मर नहीं जाता है तब तक अकेला ही रहता है लेकिन मरने पर बहुत फल लाता है। प्रभु येसु के मरने से उनके अनुयायी समाप्त नहीं हुए बल्कि विश्वभर में फैल गए। वैसे ही फा. लौरेंस कुजूर, फा. जोसफ डुंगडुंग एवं ब्रा. अमर अनूप इंदवार के शहीद होने पर हमारा विश्वास मजबूत हुआ है।" उन्होंने दारू हंडिया की वजह से बिखरते परिवारों पर चिंता व्यक्त करते हुए नशे के आदि लोगों को संबोधित करते हुए प्रभु येसु एवं गेहूँ के समान त्याग करते हुए फल उत्पन्न करने का सन्देश दिया।
शहीद फादर लौरेन्स कुजूर का जन्म 1925 में ग्राम हर्रा पतराटोली, चैनुपर, जिला गुमला में हुआ था। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा टोंगो में, उच्च शिक्षा संत जोन्स राँची में, महाविद्यालय संत जेवियर राँची में तथा दर्शनशास्त्र एवं ईशशास्त्र संत अल्बटर्स सेमिनरी राँची से की थी।
शहीद फादर जोसेफ डुंगडुंग का जन्म 1951 में, ग्राम पकरोली टैंसेर, जिला सिमडेगा में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा टैसेर में, उच्च शिक्षा रेंगारीह में, कॉलेज संत जेवियर राँची में, दर्शनशास्त्र संत अल्बटर्स सेमिनरी राँची और ईशशास्त्र मैंगलोर हुई था। पुरोहिताभिषेक: 1985 को सामटोली में हुआ था।
शहीद ब्रदर अमर अनुप इन्दवार का जन्म 1973 में, ग्राम दिकदोन रोशनपुर पल्ली, जिला गुमला में हुआ था। परिवार में वे अकेले खीस्तीय थे।
उनकी प्राथमिक एवं उच्च शिक्षा रोशनपुर में, कॉलेज संत जेवियर, राँची में, और दर्शनशास्त्र संत अर्बटस सेमिनरी राँची में हुई थी।
करौंदाबेड़ा के त्रिशहीदों के 31वीं पुण्य तिथि के अवसर पर आयोजित तीर्थयात्रा में रांची कैथोलिक महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष विंसेंट आईंद मुख्य अतिथि के रूप में, गुमला धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष एवं तीर्थयात्रा के मुख्य आयोजक लीनुस पिंगल एक्का, हजारीबाग धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष आनंद जोजो, खूंटी धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष विनय कुंडलना, सिमडेगा के विधायक श्री भूषण बाड़ा, गुमला के विधायक श्री भूषण तिर्की, विभिन्न स्थानों से आए 100 से अधिक पुरोहितगण, धर्मबहनें, सेमिनरी छात्र एवं हज़ारों की संख्या में ख्रीस्त विश्वासी शामिल हुए।