कमज़ोरी में भी पोप कर रहे कलीसिया और मानवता की सेवा

रोम स्थित येसु को समर्पित महागिरजाघर में गुरुवार को पोप फ्राँसिस के स्वास्थ्यलाभ हेतु आयोजित ख्रीस्तयाग समारोह के अवसर पर प्रवचन करते हुए वाटिकन के विदेश मंत्री महाधर्माध्यक्ष पौल गालाघार ने कहा कि पोप कमज़ोरी में भी कलीसिया एवं मानवता की सेवा कर रहे हैं।
महाधर्माध्यक्ष गालाघार ने कहा कि पोप "उनके प्रति निकटता और प्रार्थनाओं के लिए" सम्पूर्ण विश्व के लोगों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा, "वे उस निकटता और प्रार्थनाओं के लिए आभारी हैं, जो विशेष रूप से इन हाल के दिनों में, उनके लिए, उनकी सार्वभौमिक प्रेरिताई के लिए और उनके स्वास्थ्य की बहाली के लिए स्वर्ग से प्रचुर मात्रा में आ रही हैं।"
बुराई का ख़तरा
महाधर्माध्यक्ष महोदय ने इस अवसर पर युद्धरत देशों में बढ़ती बुराई के खतरे पर प्रकाश डालते हुए कहा कि "एक ऐसी कूटनीति की आवश्यकता है जो दयनीय मानवीय हितों से अलग हो" तथा सामान्य भलाई के पक्ष में हो। चालीसाकाल के दौरान, विश्व के समक्ष युद्धों के कारण प्रस्तुत चुनौतियों के लिये, सबसे प्रार्थना का आग्रह कर उन्होंने कहा कि ईश्वर प्रेम हैं तथा प्रार्थना द्वारा यह प्रेम प्रवाहित होता है। उन्होंने कहा कि ईश्वर का प्रेम पाने का का अर्थ है आध्यात्मिक पुनर्जन्म प्राप्त करना जो "आशा, स्वतंत्रता और शांति के नए स्थान और नए क्षितिज खोलता है।"
उन्होंने स्मरण दिलाया कि हमारे दिनों में भी बुराई का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है और कभी-कभी अंधकार प्रकाश पर हावी होता प्रतीत होता है, जिसे हम यूक्रेन, फिलिस्तीन, इस्राएल, लेबनान, म्यांमार, सूडान, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और संघर्ष के अन्य स्थानों में जारी युद्धों में दुखद रूप से देख रहे हैं।
महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि युद्ध के विपरीत आध्यात्मिक पुनर्जन्म साक्षात्कार के मार्ग की ओर ले जाता है, हालांकि बाधाओं की कमी नहीं है। "कुछ लोग, दुर्भाग्यवश, घृणा, दुर्व्यवहार और हर स्तर पर युद्ध के विकृत तर्क को अपनाते हुए लगातार मौत की संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं, जिसके चलते "दुनिया जातीय समूहों और सभ्यताओं, संस्कृतियों और धर्मों के टकराव का दृश्य बन जाती है"।
सामान्य भलाई की सेवा में कूटनीति
महाधर्माध्यक्ष गालाघार ने कहा कि झगड़ों और युद्धों की तर्कणा से परे ख्रीस्त के अनुयायियों का आह्वान किया जाता है कि वे प्रेम, न्याय और शांति के मूल्यों को फैलायें। उन्होंने कहा, "वे समय और स्थान धन्य हैं, जहां हम एक ही मेज़ के चारों ओर बैठ कर तर्क और विवेक की ताकत पर भरोसा करते हैं, और मानव गरिमा के अकथनीय मूल्य को अपने क्षितिज के रूप में देखते हैं!"
उन्होंने कहा कि आज ऐसी कूटनीति की आवश्यकता है जो सामान्य भलाई के लिए स्वतंत्र रूप से कार्य कर सके, तथा सभी के लिए न्याय और शांति की सर्वोच्च भलाई सुनिश्चित करने के लिए एक साथ सहयोग कर सके!
अन्तरात्मा की आवाज़
महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि कई मौकों पर सन्त पापा फ्राँसिस ने मुलाकात के तर्क को अपनाने का आग्रह किया है, क्योंकि मनुष्य उदार और परोपकारी रिश्तों से बना है। इस प्रकार, उन्होंने कहा, सन्त पापा फ्रांसिस द्वारा उल्लिखित बहिर्गामी कलीसिया भी ऐसे लोगों से निर्मित है जो दूसरों की ओर देखते तथा सामान्य भलाई की सेवा करने में रुचि रखते हैं। उन्होंने कहा, वास्तव में, आत्म-केन्द्रित होना एक बंद स्थान है, एक पिंजरा है जो व्यक्ति को सबके लिए "आशीर्वाद" बनने से रोकता है। उन्होंने कहा कि जो लोग दूसरों को बचाने के लिए आगे आते हैं, उन्हें जीवन देते हैं, और जो लोग दूसरों को जीवन से वंचित कर उन्हें मृत्यु देते हैं, उनके बीच बहुत बड़ा अंतर है!
महाधर्माध्यक्ष गालाघार ने कहा कि हमें "एक उच्चतर प्रकाश" की आवश्यकता है जो हमें हमारे निर्णयों में मार्गदर्शन दे और उन्हें आगे बढ़ाने में हमारी सहायता करे और ऐसा वास्तव में प्रार्थना द्वारा ही हो सकता है। प्रार्थना, उन्होंने कहा, "मौन और अन्तरात्मा की आवाज़ सुनने से आती है, यह प्रभु की आवाज़ है जो मन और हृदय के आंतरिक अभयारण्य में गूंजती है।"