उत्तर और दक्षिण कोरिया की स्थिति चिंताजनक

सियोल के महाधर्माध्यक्ष, जो प्योंगयांग के प्रेरितिक प्रशासक स्वरूप भी कार्य करते हैं, ने उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच बढ़ती दरार पर अफसोस जताया है।

सियोल के महाधर्माध्यक्ष पीटर सून-टाइक चुंग ने उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच बढ़ते विभाजन पर गहरी चिंता व्यक्त की है, उन्होंने इस बात की चेतावनी दी कि युवा पीढ़ी के बीच पुनर्मिलन की उम्मीद तेजी से खत्म हो रही है।

वाटिकन को दिये गये एक हालिये साक्षात्कार में उन्होने कहा, “मेरा मानना ​​​​है कि दक्षिण में कई युवा यह सोचने लगे हैं कि सुलह या पुनर्मिलन व्यवहारिक मार्ग नहीं हैं। आशा कम हो रही है,''

उत्तर कोरिया ने हाल ही में दक्षिण कोरिया की ओर जाने वाली सभी सड़कों और रेल लाईनों से अपने को तटस्थ कर लिया है, जो उनकी ओर से एक कठोर कदम बताया जाता है। उत्तरी कोरियाई सेना ने दोनों देशों की सेनाओं को “पूरी तरह से अलग” करने की घोषणा की है। उत्तरी कोरियाई सेना ने “दक्षिणी सीमा को अलग-थलग करने और स्थायी रूप से अवरुद्ध करने” के इरादे भी प्रकट किए हैं।  इस भांति इस कदम को “युद्ध रोकने के लिए आत्मरक्षा उपाय” स्वरूप वर्णित किया है। यह प्रतीकात्मक कार्य हाल के वर्षों में पड़ोसी देशों के बीच तनाव के उच्चतम बिंदुओं में से एक है। महाधर्माध्यक्ष चुंग ने इसे निराशा पूर्ण स्थिति की संज्ञा देते हुए शांति की दिशा में काम जारी रखने की आवश्यकता पर जोर दिया।

उन्होंने कहा “मैं समझता हूं कि शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के सपने देखना और कोरियाई समाज में आशा की ज्योति जलाए रखना उचित है, विशेषकर आज, जब वर्तमान गतिरोध और संचार पूरी तरह अवरुद्ध हैं, जिसके कारण स्थिति बहुत अंधकारमय जान पड़ती है।” उन्होंने कलीसिया की प्रेरिताई के संबंध में आगे कहा कि हमें प्रेरिताई प्रार्थना और शांति को बढ़ावा देना है, कलीसिया को इस संदर्भ में सदैव यह पूछने की जरुरत है कि शांति के लिए किया जाना चाहिए।”

सुलह-समझौता के लिए धर्माध्यक्षीय आयोग के अध्यक्ष, चुंचेओन के धर्माध्यक्ष साइमन किम जू-यंग ने महाधर्माध्यक्षों की चिंताओं को दुहराते हुए मानवीय मामलों पर भी वार्ता के पूर्ण विखंडन की ओर ध्यान आकर्षित कराया।         

उन्होंने दुःख जताते हुए कहा, “दोनों पक्ष एक-दूसरे को दुश्मनी की दृष्टि से देख रहे हैं, और हर माध्यम बंद है, यहां तक ​​कि मानवीय सहायता के माध्यम भी, जिसे अतीत में खुला रखा गया था।” इस विभाजन भरी स्थिति के बावजूद धर्माध्यक्ष किम ने उत्तरी कोरिया से कैसे संपर्क किया जाए, इस बात पर जोर दिया, “उत्तरी कोरिया को मानवीय सहायता भेजने के संबंध में, सभी कोरियाई सहमत हैं। लेकिन उत्तर कोरिया ने हर माध्यम को बंद कर रहा है, यहाँ तक ​​कि मानवीय माध्यम को भी।” उत्तर कोरिया की वर्तमान कार्रवाइयों के कारण अंतरराष्ट्रीय संदर्भ भी हो सकते हैं। पर्यवेक्षकों का कहना है कि यूरोप और मध्य पूर्व में संघर्षों से उत्तर कोरिया की हथियारों की बिक्री हुई है, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था को सहारा मिल रहा है, जिससे बाहरी सहायता पर उसकी निर्भरता कम हो गई है। यह आर्थिक बदलाव शासन के बढ़ते अलगाव और दक्षिण कोरिया के साथ फिर से जुड़ने के उसके प्रतिरोध की भावना को उजागर करता है।