अध्ययन से पता चलता है कि वैश्विक प्रवासियों में ख्रीस्तीयों का समूह सबसे बड़ा है
प्यू रिसर्च सेंटर की नई रिपोर्ट वैश्विक प्रवास में ख्रीस्तियों की महत्वपूर्ण उपस्थिति को इंगित करती है, जो दर्शाती है कि दुनिया के लगभग आधे (47 प्रतिशत) अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी ख्रीस्तीय के रूप में पहचाने जाते हैं।
नई प्यू रिपोर्ट द्वारा दिये गए डेटा में ख्रीस्तियों को सबसे बड़ा धार्मिक समूह बताया गया है, जो लगभग 47 प्रतिशत है, जो मूल और गंतव्य दोनों देशों में धार्मिक जनसांख्यिकी को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है। लैटिन अमेरिका, यूरोप और उप-सहारा अफ्रीका जैसे ख्रीस्तीय-बहुल क्षेत्रों से प्रवास ने इस प्रवृत्ति में योगदान दिया है। आर्थिक कारक, राजनीतिक अस्थिरता और संघर्ष ने लाखों ख्रीस्तियों को विदेश में नए अवसरों और सुरक्षा की तलाश करने के लिए प्रेरित किया है।
अध्ययन में कहा गया है, "लोग कई कारणों से अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर जाते हैं, जैसे कि नौकरी ढूंढना, शिक्षा प्राप्त करना या परिवार के सदस्यों से मिलना। लेकिन धर्म और प्रवास अक्सर निकटता से जुड़े होते हैं।"
वैश्विक प्रवासियों में मुसलमान दूसरा सबसे बड़ा धार्मिक समूह है, जो कुल का 29 प्रतिशत है। मुसलमानों का प्रवास, विशेष रूप से मध्य पूर्व जैसे संघर्ष-ग्रस्त क्षेत्रों से, स्थिरता और बेहतर आर्थिक संभावनाओं की तलाश से प्रेरित है।
यहूदी, हालांकि पूर्ण संख्या में एक छोटा समूह है, लेकिन उनके प्रवास की संभावना सबसे अधिक है, वैश्विक यहूदी आबादी का लगभग 20 प्रतिशत अपनी मातृभूमि से बाहर रहता है। अध्ययन में कहा गया है, "बहुत से प्रवासी धार्मिक उत्पीड़न से बचने या समान धार्मिक विश्वास रखने वाले लोगों के बीच रहने के लिए चले गए हैं।
अक्सर लोग अपने धर्म को अपने साथ ले जाते हैं, जिससे उनके नए देश के धार्मिक स्वरूप में धीरे-धीरे बदलाव आते हैं।" हालांकि, कभी-कभी प्रवासी अपने धर्म को त्याग देते हैं और अपने नए मेजबान देश के बहुसंख्यक धर्म, किसी अन्य धर्म या किसी भी धर्म को अपना लेते हैं।"
यह प्रवास ऐतिहासिक कारकों और कुछ क्षेत्रों में यहूदी समुदायों द्वारा सामना की जाने वाली समकालीन चुनौतियों दोनों से प्रभावित होता है। अध्ययन यह भी दर्शाता है कि प्रवास ने कई गंतव्य देशों में धार्मिक विविधता को बढ़ावा दिया है, अक्सर ऐसे क्षेत्रों में नए धार्मिक समुदायों का आगमन हुआ है, जहां पहले धार्मिक विविधता सीमित थी।