बेनेदिक्त 16 वें मृत कार्डिनलों, धर्माध्यक्षों की स्मृति में

वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर में शुक्रवार को पोप फ्राँसिस ने पोप बेनेदिक्त 16 वें तथा सभी मृतक कार्डिनलों एवं धर्माध्यक्षों की आत्मा शांति के लिये प्रभु ईश्वर से याचना करते हुए ख्रीस्तयाग अर्पित किया।

ख्रीस्तयाग प्रवचन में पोप ने  ईश्वर की महत्ती दया पर चिन्तन किया। सुसमचार पाठ को उद्धृत कर उन्होंने कहा कि अपने एकलौते पुत्र की मृत्यु पर विलाप करती विधवा पर येसु ख्रीस्त को दया आ गई थी और इसी प्रकार हमारे प्रिय सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें, जिनका निधन विगत वर्ष हुआ, उन्होंने भी प्रभु येसु ख्रीस्त की दया का अनुभव किया था और इसी के फलस्वरूप "देऊस कारितास एस्त" विश्व पत्र लिखकर इस तथ्य को प्रकाशित किया था कि येसु का हृदय सब पर अपनी दृष्टि डाले हुए है।

पोप फ्राँसिस ने कहा कि बेनेडिक्ट 16 वें ने हमें कई बार स्मरण दिलाया कि विश्वास मुख्य रूप से समझने योग्य कोई विचार या अनुसरण करने योग्य कोई नैतिक उपदेश नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा तथ्य है जिसका साक्षात्कार करना अनिवार्य है यह तथ्य है येसु मसीह, जिनका हृदय हमारे लिए प्यार से धड़कता है और जिनकी आँखें हमारी पीड़ा पर दुखी होती और दया दर्शाती हैं।

सुसमाचार पाठ के सन्दर्भ में पोप ने कहा कि मृत्यु की त्रासदी के आगे येसु मसीह रुक गये। सन्त लूकस बताते हैं कि येसु को उस विधवा पर तरस हो आया जो अपने पुत्र की मृत्यु के कारण अपने जीने का साधन खो चुकी थी उन्होंने उसपर दया की। पोप ने कहा कि मृत पुत्र को जिलाने की बात यही दर्शाती है कि ईश्वरत्व और दिव्यता हमारे दुख और पीड़ा के संपर्क में आकर प्रकाशमान होती है क्योंकि उनका हृदय असीम करुणा से परिपूर्ण है। सन्त पापा ने कहा कि येसु ख्रीस्त के अनुयायियों का भी आह्वान किया जाता है कि वे पीड़ितों के प्रति दयावान बनें और हर हालत में उनकी सहायता को तत्पर रहें।

पोप ने कहा कि प्रभु येसु ने उस महिला पर दया की और उसके एक अभूतपूर्व चमत्कार किया क्योंकि वह विधवा थी और उसका पुत्र एक अनाथ था। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार पवित्र धर्मग्रन्थ बाईबिल हमें सर्वाधिक कमज़ोर व्यक्तियों की, अजनबियों की, परित्यक्त लोगों की सहायता करने के लिये आमंत्रित करता है। उन्होंने कहा कि कमज़ोर लोग ही ईश्वर के सबसे क़रीब हैं, इसलिये इनसे दूर रहकर हम ईश्वर के क़रीब नहीं हो सकते। इनके प्रति दयावान रहने के बिना हम प्रभु की कृपा और आशीर्वाद की अपेक्षा नहीं कर सकते।

पोप ने कहा कि विधवाओं, अनाथों, अजनबियों एवं परित्यक्त लोगों से हम विनम्रता का पाठ सीख सकते हैं, क्योंकि ये लोग विनम्र होकर अपनी सारी आशाओं और अपनी सारी आकाँक्षाओं को प्रभु ईश्वर के सिपुर्द कर देते हैं। वे अपनी शक्ति पर निर्भर नहीं रहते बल्कि ईश्वर की दयालुता एवं उनकी कभी विफल न होनेवाली सुरक्षा पर भरोसा करते हैं।

पोप ने कहा कि निर्धन और कमज़ोर आत्मनिर्भरता के किसी भी अनुमान को अस्वीकार करते हुए,  ईश्वर की आवश्यकता को पहचानते और उन पर भरोसा करते हैं। उनकी विनम्रता ही ईश्वर को सुग्राह्य और प्रसन्न करने वाली "निम्नता" है, यह वह है रास्ता जो स्वर्ग की ओर जाता है।  हम भी विनम्र रहते हुए अपने जीवन में ईश्वर के लिये जगह बनायें और उनमें अपने विश्वास को सुदृढ़ करें।

प्रभु ईश्वर से हम सब मिलकर प्रार्थना करें कि वे हमें करुणा और विनम्रता का वरदान दें ताकि हम भी उस प्रभु में पूर्ण विश्वास की अभिव्यक्ति कर सकें जो जीवन और मृत्यु के स्वामी हैं। इसी भाव से हम हमारे प्रिय मृतक भाइयों के लिये प्रभु ईश्वर से प्रार्थना करें, जिन्होंने प्रेरितिक जीवन जीकर विनम्रतापूर्वक इस धरती पर अपना समय व्यतीत किया, हमारी प्रार्थना है कि प्रभु में वे अनन्त शांति के भागीदार बनें।