पोप की लक्समबर्ग और बेल्जियम यात्रा का लोगो और आदर्श वाक्य जारी

पोप फ्राँसिस की लक्समबर्ग और बेल्जियम की प्रेरितिक यात्रा से पहले, वाटिकन ने इन यात्राओं के लिए आधिकारिक लोगो और आदर्श वाक्य जारी किया।

वाटिकन प्रेस कार्यालय ने मंगलवार 25 जून को संत पापा फ्राँसिस की सितंबर के अंत में लक्समबर्ग और बेल्जियम की प्रेरितिक यात्रा का लोगो और आदर्शवाक्य प्रकाशित किया है।

पहला पड़ाव लक्ज़मबर्ग: “सेवा करना”
पोप 26 सितंबर को बेल्जियम, फ्रांस और जर्मनी से घिरे छोटे यूरोपीय देश की एक दिवसीय यात्रा के लिए लक्समबर्ग पहुँचेंगे।

इस यात्रा के लोगो में पोप फ्राँसिस की एक शैलीगत छवि है, जिसमें वे आशीर्वाद देते हुए हाथ उठाए हुए हैं तथा पृष्ठभूमि में नोट्रे-डेम महागिरजाघर है। इस्तेमाल किए गए रंग, पीला और सफेद, वाटिकन सिटी राज्य के ध्वज के हैं, जबकि नीला रंग लक्समबर्ग काथलिक धर्म के इतिहास में गहराई से निहित माता मरियम की श्रद्धा का संकेत देता है। नीचे दाईं ओर, प्रेरितिक यात्रा का आदर्श वाक्य: "सेवा करना", मसीह को संदर्भित करता है, जो "सेवा कराने नहीं बल्कि सेवा करने के लिए" आए थे (मत्ती 20.28)। इस प्रकार, अपने गुरु के उदाहरण का अनुसरण करते हुए, कलीसिया मानवता की सेवा के लिए बुलायी गई है।

बेल्जियम: आशा की यात्रा
26 सितंबर की शाम को पोप लक्समबर्ग से विदा लेंगे और अपनी प्रेरितिक यात्रा के दूसरे पड़ाव के लिए बेल्जियम की यात्रा करेंगे। यहाँ वे तीन शहरों का दौरा करेंगे और ल्यूवेन और लौवेन-ला-न्यूवे के काथलिक विश्वविद्यालयों की स्थापना की 600वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित समारोहों में भाग लेंगे। वे रविवार 29 को वाटिकन वापस जाएँगे।

यात्रा के इस चरण के प्रतीक चिह्न में बेल्जियम का एक शैलीगत मानचित्र दर्शाया गया है, जिसके बीच में एक सड़क है जिस पर विभिन्न युगों और विभिन्न संस्कृतियों (विभिन्न रंगों द्वारा प्रतीक) की अनेक आकृतियां चल रही हैं, तथा संत पापा बीच में हैं।

नीचे प्रेरितिक यात्रा का आदर्श वाक्य दिया गया है: "एन रूट, एवेक एस्पेरेंस" (रास्ते में, आशा के साथ), जो एक साथ चलने का आह्वान है, उस पथ पर जो देश का इतिहास है, लेकिन साथ ही सुसमाचार, येसु मसीह का मार्ग, हमारी आशा भी है।