तिमोर-लेस्ते के युवा पोप की यात्रा से बहुत खुश

राष्ट्रीय युवा आयोग के सदस्य रिकारदो दा कोस्ता बेलो के अनुसार, तिमोर-लेस्ते में पोप की यात्रा का एशियाई राष्ट्र के युवाओं पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है, जो हिंसा और अपराध का भी सामना कर रहे हैं।

रिकारदो दा कोस्ता बेलो तिमोर-लेस्ते के राष्ट्रीय काथलिक युवा आयोग के सदस्य हैं। उन्होंने वाटिकन न्यूज़ के फा. बेर्नार्दो सुआते से कलीसिया के जीवन शैली और पहलों में तिमोर काथलिकों की भागीदारी के बारे में बात की। साथ ही तिमोर राष्ट्र में युवा प्रेरिताई के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस ऐतिहासिक घटना के आसपास का खुशनुमा और शांतिपूर्ण माहौल तिमोर समाज में दीर्घकालिक शांति और स्थिरता लाने में योगदान दे सकता है, जो अभी भी हिंसा का सामना कर रहा है और जिसमें युवा आबादी भी शामिल है।

प्रश्न: क्या आप हमें तिमोर लेस्ते की कलीसिया में युवा लोगों की भागीदारी के बारे में बता सकते हैं?

कई कलीसिया और धर्मनिरपेक्ष संगठनों में कई सक्रिय युवा हैं जो युवाओं के साथ काम करते हैं।

कलीसिया की गतिविधियों में भाग लेने वाले युवाओं की संख्या बढ़ती जा रही है, इनमें लौदातो सी आंदोलन, पल्ली और मिशनरी गतिविधियाँ शामिल हैं। कई सीमाओं के कारण, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार द्वारा प्रायोजित सार्वजनिक गतिविधियों तक पहुँच सीमित है।

प्रश्न: आज आपके सामने मुख्य चुनौतियाँ क्या हैं?

तिमोर-लेस्ते में हमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, विशेषकर युवाओं से जुड़ी चुनौतियाँ। सबसे महत्वपूर्ण चुनौती शिक्षा तक पहुँच है। तिमोर-लेस्ते में शिक्षा का स्तर अभी भी अन्य देशों से बहुत पीछे है, खास तौर पर सरकारी स्कूलों में, क्योंकि सरकार ने शिक्षा को प्राथमिकता नहीं दी है।

एक और समस्या आत्मरक्षा के लिए मार्शल आर्ट जिम के प्रसार से संबंधित है, जो युवाओं के बीच बहुत लोकप्रिय हो गए हैं। मार्शल आर्ट अपने आप में बुरी नहीं है, लेकिन कुछ युवा इनका इस्तेमाल अलग-अलग उद्देश्यों, जैसे लड़ाई के लिए करते हैं।

प्रश्न: क्या आपको लगता है कि पोप फ्राँसिस तिमोर-लेस्ते के युवाओं के लिए कुछ अच्छा लेकर आये हैं ?

जैसा कि आप जानते हैं, हमारा देश काथलिक बहुसंख्यक है और अधिकांश युवा भी काथलिक हैं। पोप फ्राँसिस ने यहाँ खास तौर पर युवा काथलिकों के लिए एक अच्छा माहौल बनाया है। यात्रा की तैयारी से पहले हमारे सामने युवा हिंसा की कई समस्याएँ थीं। लेकिन जब यात्रा की खबर आई, तो युवा हिंसा और अपराध कम हो गए।  शायद, पोप की उपस्थिति ने इस देश के युवाओं के बीच थोड़ी शांति लाई है।

जब पोप 9 सितंबर को दिली पहुंचे, तो उनका स्वागत करने के लिए सड़कों पर मौजूद ज़्यादातर लोग युवा काथलिक थे। वे हमारे प्यारे पोप का स्वागत करने के लिए वाकई उत्साहित थे। कुछ लोग तो भावुक भी हो गए और यह सकारात्मक है। हम उम्मीद करते हैं कि यह सिलसिला जारी रहेगा और हमारे समाज और हमारे स्थानीय कलीसिया में शांति और स्थिरता बनी रहेगी।