चान्दाविला की कुँवारी की भक्ति को वाटिकन से मिली सहमति

वाटिकन स्थित परमधर्मपीठीय विश्वास एवं धर्मसिद्धान्त परिषद के अध्यक्ष कार्डिनल विक्टर मैनुअल फर्नांडीज के एक पत्र के साथ, परिषद ने स्पेन के चान्दाविला में वर्जिन ऑफ सॉरोज़ के अभयारण्य से जुड़ी भक्ति के संबंध में मेरिदा-बडाजोज़ के महाधर्माध्यक्ष द्वारा प्रस्तावित "कोई बाधा नहीं" पर अपनी सहमति दे दी है।

"कोई बाधा नहीं"
कार्डिनल फर्नांडीज़ के पत्र में कहा गया कि परमधर्मपीठीय परिषद "स्वेच्छा से अपनी सहमति देती है" ताकि मेरिदा-बडाजोज़ के महाधर्माध्यक्ष होसे रोड्रिग्ज कारबालो को "कोई बाधा नहीं" की घोषणा के साथ आगे बढ़ सकें।  साथ ही, "चान्दाविला का अभयारण्य, उसकी सादगी और भक्ति का एक समृद्ध इतिहास उन विश्वासियों तक पहुँच सके जो इसके करीब जाना चाहते हैं तथा उन्हें आंतरिक शांति, सांत्वना और मनपरिवर्तन का स्थान प्रदान करता रहे।''

28 जुलाई को स्पेन के महाधर्माध्यक्ष जोस रोड्रिग्ज कारबालो द्वारा लिखे गये पत्र के जवाब में, परमधर्मपीठीय विश्वास एवं धर्मसिद्धान्त परिषद के अध्यक्ष कार्डिनल विक्टर मैनुअल फर्नांडीज ने गुरुवार 22 अगस्त को सन्त पापा फ्रांसिस द्वारा अनुमोदित एक पत्र में यह बात लिखी। महाधर्माध्यक्ष कारबालो ने पुर्तगाल की सीमा के पास घटी, 1945 की घटनाओं का उल्लेख किया था, जिनमें स्पेनिश शहर चान्दाविला के एस्त्रेमादुरा  में, दो युवतियों को माँ मरियम, आवर लेडी ऑफ सॉरोज़  अर्थात् दुखों का माता के रूप में दिखाई दीं थीं।

पिछले 17 मई को परमधर्मपीठीय विश्वास एवं धर्मसिद्धान्त परिषद द्वारा प्रकाशित मानदंडों के अनुसार, "भले ही घटना की अलौकिक प्रामाणिकता पर कोई निश्चितता व्यक्त नहीं की गई है, पवित्र आत्मा की कार्रवाई के कई संकेत पहचाने जाते हैं" जिसे "धर्मप्रान्तीय धर्माध्यक्ष को प्रेरितिक मूल्य की सराहना करने और एक पवित्र स्थान पर संभावित तीर्थयात्राओं के माध्यम से भी "इस आध्यात्मिक प्रस्ताव के प्रसार को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इसके अलावा, विश्वासियों को "विवेकपूर्ण तरीके से अपना जुड़ाव" देने के लिए अधिकृत किया जाता है।

चान्दाविला की मरियम
चान्दाविला में दु:खों की माता मरियम के प्रति भक्ति का जन्म द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में आध्यात्मिक अनुभवों के साथ हुआ था, जब दस वर्षीय मार्सेलिना बैरोसो एक्सपोज़ितो और 17 वर्षीय अफरा ब्रिगिडो ब्लैंको को मई 1945 के बाद से कई बार इसी स्थल पर मरियम दर्शन प्राप्त हुए थे।

कार्डिनल महोदय ने लिखा, “माँ मरियम के प्यार भरे निमंत्रण ने इन गरीब और पीड़ित लड़कियों को अपनी गरिमा में वृद्धि महसूस करने की आशा और अनुभव प्रदान किया। नरकट और घास से बने साधारण लबादे के साथ  पवित्र कुँवारी मरियम ने इन छोटी लड़कियों के घुटनों की रक्षा की, जो माँ मरियम की कोमलता की एक सुंदर अभिव्यक्ति है। साथ ही यह सुंदरता का अनुभव था, क्योंकि पवित्र कुँवारी मरियम उन्हें चमकदार नक्षत्रों से घिरी हुई दिखाई पड़ीं, जिन्हें अक्सर रात में एस्त्रेमादुरा के छोटे गांव के साफ आसमान में देखा जा सकता है।

कथित दर्शन के बाद, दोनों लड़कियों ने "एक विवेकपूर्ण और बिल्कुल भी दिखावटी जीवन नहीं" जिया और खुद को कल्याणकारी कार्यों के प्रति समर्पित कर दिया। उन्होंने बीमारों, बुजुर्गों और अनाथों की देखभाल की तथा इस प्रकार उन लोगों तक कुँवारी मरियम की ममता और प्यार को लोगों तक पहुंचाया।