पापुआ न्यू गिनी में ख्रीस्तयाग : पोप का उपदेश
पापुआ न्यू गिनी में अपनी प्रेरितिक यात्रा के दूसरे दिन रविवार को पोप फ्राँसिस ने पोट मोरेस्बी के सर जॉन गुईजे स्टेडियम में करीब 35,000 विश्वासियों के साथ ख्रीस्तयाग अर्पित किया।
उन्होंने उपदेश में कहा, “आज प्रभु ने हमसे जो पहले शब्द कहे हैं, वे हैं, “ढारस रखो, डरो मत!” (इसा. 35:4) नबी इसायस इन्हीं शब्दों के साथ उन लोगों को संबोधित करते हैं जिन्होंने हिम्मत खो दी थी। वे इसी तरह अपने लोगों को प्रोत्साहित करते हैं और कठिनाइयों एवं पीड़ाओं के बीच भी, उन्हें आशा के क्षितिज और भविष्य की ओर अपनी आँखें उठाने के लिए आमंत्रित करते हैं जहाँ ईश्वर हमें बचाने के लिए आ रहा है। क्योंकि प्रभु निश्चित रूप से आएंगे, और उस दिन, "अंधों की आंखें देखने और बहरों के कान सुनने लगेंगे।"(इसा. 35:5)
पोप ने कहा, ये भविष्यवाणी येसु में पूरी होती है। वे मसीहा हैं जिसे पिता ने इसलिए भेजा ताकि निराश लोगों को ढारस मिले, पापियों को क्षमा मिले, अंधे को दृष्टि मिले और बहरे सुन सकें। इस संबंध में, आज का सुसमाचार हमें एक बहरे व्यक्ति के ठीक होने के बारे में बताता है जो बोल नहीं सकता था। (मार. 7:31-37) संत मारकुस रचित सुसमाचार पाठ में दो बातों पर विशेष रूप से जोर दिया गया है: बहरे व्यक्ति की दूरी और येसु की निकटता। आइए हम इन दो महत्वपूर्ण विशेषताओं पर चिंतन करें।
हम उसे एक भौगोलिक क्षेत्र में देखते हैं जिसे हम आज की भाषा में “परिधि” कहेंगे। डेकापोलिस का क्षेत्र जॉर्डन के पार, येरूसालेम के धार्मिक केंद्र से बहुत दूर है। यह गैर यहूदियों का निवास स्थान था और उनके रीति-रिवाजों के कारण, इसे एक अशुद्ध क्षेत्र माना जाता था, जो ईश्वर से बहुत दूर था। इसके अलावा, यह बहरा व्यक्ति एक और तरह की दूरी का भी अनुभव करता है: वह ईश्वर और दूसरों से दूर है क्योंकि वह बात नहीं कर सकता, वह बहरा है इसलिए सुनने में असमर्थ है, और गूंगा भी है और इसलिए बोल नहीं सकता है। वह दुनिया से कटा हुआ है, अलग-थलग है, वह अपनी बहरी और गूंगी स्थिति का गुलाम है, इसलिए दूसरों तक नहीं पहुँच सकता या उनसे संवाद नहीं कर सकता।
हम उस व्यक्ति की स्थिति को दूसरे तरह से भी समझ सकते हैं, क्योंकि हम भी ईश्वर और अपने भाई-बहनों के साथ संगति और मित्रता से कट जाते हैं, जब हमारे कान और जीभ के बजाय, हमारे हृदय अवरुद्ध हो जाते हैं। वास्तव में, जब कभी हम अपने आप को बंद कर लेते हैं या स्वार्थ, उदासीनता, जोखिम उठाने या खुद को जोखिम में डालने के डर, नाराजगी, घृणा और इस तरह की अन्य बातों के कारण खुद को ईश्वर और दूसरों से दूर कर लेते हैं, तो हमारे दिल में एक तरह का आंतरिक बहरापन और गूंगापन आ जाता है। और यह हमें ईश्वर से, हमारे भाइयों और बहनों से, खुद से और जीने के आनंद से दूर कर देता है।
येसु की निकटता
संत पापा ने कहा, “भाइयो एवं बहनो, ईश्वर इस दूरी का जवाब येसु की निकटता से देते हैं। अपने पुत्र के माध्यम से, ईश्वर हमें सबसे पहले यह दिखाना चाहते हैं कि वे निकट और दयालु हैं, वे हमारी परवाह करते हैं और किसी भी दूरी को पार कर सकते हैं। सुसमाचार पाठ में हम येसु को बाहरी क्षेत्रों में जाते हुए देखते हैं, अपने धार्मिक क्षेत्र यहूदिया को छोड़कर, गैर-यहूदी लोगों से मिलने के लिए ( मारकुस 7:31)। इस तरह, येसु दूरियों को कम करते हैं, दूर माने जानेवाले लोगों को करीब लाते हैं, और खुद को उन लोगों से परिचित कराते हैं जिन्हें अजनबी माना जाता है। इसके अलावा, जब वे बहरे व्यक्ति को उसके पास लाते हैं, तो पाठ कहता है कि प्रभु ने "अपनी उंगलियाँ उसके कानों में डालीं, और उसने थूका और उसकी जीभ को छुआ।" (पद 33)।
इस प्रकार, प्रभु अशुद्ध व्यक्ति को छूते हैं, और ऐसा करके वे एक संबंध स्थापित करते हैं, दूरी को पाटकर खुद को उसके करीब लाते हैं। यह येसु की निकटता है, जो हमारे जीवन को छूने और हर दूरी को मिटाने के लिए आते हैं। जैसा कि संत पॉल कहते हैं, अपने आगमन से येसु ने उन लोगों के लिए शांति की घोषणा की जो दूर थे (एफिसियों 2:17)।
अपनी निकटता के माध्यम से, येसु मानवीय गूंगापन और बहरेपन को ठीक करते हैं। वास्तव में, जब कभी हम दूरी महसूस, या हम खुद को ईश्वर से, अपने भाइयों एवं बहनों से या उन लोगों से दूर रखना चाहते हैं जो हमसे अलग हैं, तो हम खुद को बंद कर लेते हैं, खुद को बाहरी दुनिया से अलग कर लेते हैं। हम अंततः अपने अहंकार के इर्द-गिर्द ही घूमते रहते हैं, ईश्वर के वचन और अपने पड़ोसी की पुकार के प्रति बहरे हो जाते हैं, और इसलिए ईश्वर या अपने पड़ोसी से बात करने में असमर्थ हो जाते हैं। हालाँकि, येसु हमारे पास आते और बहरे व्यक्ति की तरह हमसे कहते हैं, "इफ्फता", यानी, "खुल जा" (मरकुस 7:34)। जी हाँ, क्योंकि यीशु हमारे हृदय की कठोरता पर विजय पाते हैं, हमें अपने भय पर विजय पाने, अपने कान खोलने और अपनी जीभ को खोलने में सहायता करते हैं; इस प्रकार, हम अपने आपको ईश्वर के प्रिय बच्चों के रूप में तथा एक दूसरे के भाई-बहन के रूप में पुनः खोजते हैं।
संत पापा ने कहा, भाइयो और बहनो, आप जो प्रशांत महासागर में इस बड़े द्वीप पर रहते हैं, आपने कभी-कभी खुद को दुनिया के किनारे स्थित एक दूरवर्ती और अलग देश के रूप में सोचा होगा। शायद, आपने कुछ कारणों से कभी-कभी ईश्वर और सुसमाचार से दूरी महसूस की होगी, या एक-दूसरे से बात करने में असमर्थ रहे होंगे।
फिर भी, जैसा कि उन्होंने बहरे व्यक्ति के साथ किया था, आज प्रभु आपके करीब आना चाहते हैं, दूरियाँ मिटाना चाहते हें, आपको बताना चाहतें हैं कि आप उनके हृदय के केंद्र में हैं और आप में से प्रत्येक उनके लिए महत्वपूर्ण है। वे आपके बहरेपन और गूंगेपन को ठीक करना चाहते हैं।