साक्ष्य, साहस और व्यापक दृष्टि है संचार का रस
फ्राँस से आये काथलिक संचार माध्यम कर्मियों का वाटिकन में स्वागत करते हुए पोप फ्राँसिस ने शुक्रवार को कहा कि साक्ष्य साहस और व्यापक दृष्टि है संचार का रस।
पोप ने कहा कि सर्वप्रथम संचार और सम्प्रेषण माध्यम कार्य साक्ष्य के साथ जुड़ा है, क्योंकि यह शब्दों और छवियों से बना है और साक्ष्य देने को साझा करने का एक तरीका है। यही वह चीज़ है जो हमें धर्मनिरपेक्ष मीडिया के साथ हमारे संबंधों में विश्वसनीय बनाती है; और यही वह चीज़ है जो हमारे संचार नेटवर्क को तेजी से आकर्षक बनाती है और दिन-ब-दिन एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक बढ़ती जाती है।
पोप ने इस बात पर गहन दुख व्यक्त किया कि कुछेक पुरोहितों द्वारा बच्चों के विरुद्ध यौन दुराचार की घटनाओं के बाद से कलीसियाई संचार माध्यमों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है और लज्जित भी होना पड़ा है। उन्होंने कहा कि इस बुराई की बाद फ्राँस में शुद्धिकरण का एक दौर शुरु हुआ है जो कलीसिया के सदस्यों को आगे बढ़ने की शक्ति प्रदान करता है, क्योंकि, उन्होंने कहा, "सबसे अंधकारमय क्षण प्रायः वे होते हैं जो प्रकाश से पहले आते हैं।"
फ्राँस में अपनी प्रेरितिक यात्रा का स्मरण करते हुए सन्त पापा ने कहा, "मार्सिलिया में मैं देख सका कि फ्रांस की कलीसिया में कितनी संजीवता है। आपके धर्मप्रान्तों में, आपकी धर्मसमाजों में, आपके संस्थानों और अभियानों में जो भी अच्छाई है उसे संचार के माध्यम से साझा करने में संकोच न करें। संचार के माध्यम से कलीसिया में एकता और विश्व में भ्रातृत्व को प्रोत्साहित करने में संकोच न करें। रचनात्मक बनें, स्वागतयोग्य रहें, समाज सभी की प्यारी माँ के रूप में कलीसिया के वचन सुनना चाहता है।"
पोप ने कहा, "दूसरा तथ्य है साहस, आप डरें नहीं, बल्कि साहसपूर्वक भलाई करने में आगे बढ़े, सत्य के प्रचार हेतु आगे बढ़ें और उस साहस का वरण करें जो विनम्रता धारण करने से और पेशेवर गंभीरता से आता है, और जो आपके संचार को एक सामंजस्यपूर्ण तथा साथ ही उदार और बहिर्मुखी नेटवर्क बनाता है।"
पोप ने कहा, "हम जानते हैं, यह आसान नहीं है लेकिन ये आपका और हमारा मिशन है। भले ही प्राप्तकर्ता उदासीन, संशयवादी, कभी-कभी आलोचनात्मक, यहां तक कि शत्रुतापूर्ण भी लगें, तो भी आप निराश न हों। उनकी आलोचना न करें बल्कि उनके साथ सुसमाचार के आनंद को साझा करें क्योंकि सुसमचार उस प्रेम का स्रोत है जो हमें ईश्वर को जानने और विश्व को बुद्धिगम्य करने में सक्षम बनाता है।"
पोप ने कहा, "तीसरा शब्द है, दूर तक देखने के लिए, व्यापक दृष्टि। इसका अर्थ हैः संपूर्ण विश्व को उसकी सुंदरता और जटिलता में देखना। हमारे समय के कोलाहल के बीच, आवश्यक को देखने में असमर्थता, यह पता लगाना कि जो हमें एकजुट करता है वह हमेशा हमें विभाजित करने वाले से बड़ा होता है; और जिसे प्रेम से आने वाली रचनात्मकता के साथ संप्रेषित किया जाना चाहिए।"