पोप : युद्ध सदा एक हार है
पोप फ्रांसिस ने पूर्वी कलीसियाओं की सहायक एजेंसियों के प्रतिभागियों से भेंट की और उनके कार्यों के लिए कृतज्ञता के भाव प्रकट किये।
पोप ने पूर्वी कलीसिया में सहायक एजेंसियों के प्रतिभागियों से भेंट करते हुए उनके उदारवादी कार्यों के लिए उन्हें प्रोत्सहन और धन्यवाद दिये।
पोप ने अद्वितीय आध्यात्मिक और ज्ञान संबंधी परंपराओं के संरक्षण हेतु खुशी जाहिर करते हुए कहा कि हम पूर्ववर्ती आचार्यों, धर्मसभा और मठवासी जीवन के बारे में विचार करते हैं जो कलीसिया की अमूल्य निधि हैं। पूर्वी कलीसियाओं में कुछ संत पेत्रुस के उत्तराधिकारी से पूर्णरूपेण संयुक्त हैं जो कथालिक कलीसिया की एकता, उसके इतिहास और उसकी विशेषताओं की सुन्दरता को प्रकट करती है।
पोप ने पूर्वी कलीसिया के विभिन्न देशों जैसे की येरुसालेम, यूक्रेन, सीरिया, लेबेनान और पूरे मध्यपूर्वी प्रांत, काकेशस और टीग्रे में युद्ध की स्थिति को देखते हुए कहा,“यद्यपि युद्ध इससुन्दर में दाग की भांति हैं।” क्योंकि इन देशों में हम पूर्वी कलीसिया के विश्वासियों की बहुलता को पाते हैं जिन्हें क्रूरतापूर्ण युद्ध का सामना करना पड़ रहा है।
उदासीन नहीं रह सकते
पेरित संत पौलुस की प्रेरिताई की याद दिलाते हुए जिसे उन्होंने अति जरुरतमंद लोगों के लिए पूरा किया, संत पापा ने कहा कि हम ऐसी परिस्थितियों में उदासीन नहीं रह सकते हैं। “रोआको के सदस्यों स्वरुप आप स्वयं ईश्वर के संदेश हैं जो दुःख में पड़े लोगों को ऊपर उठा सकते हैं, और यही कारण है कि आप ने तीन दिनों तक आत्म निरिक्षण और विचारमंथन में समय व्यतीत किया है कि कैसे मध्यपूर्वी प्रांतों में दुःख के शिकार लोगों की मदद की जा सके।” संत पापा ने एजेंसी के सदस्यों से सविनय निवेदन करते हुए कहा, “आप की मदद से सामाजिक अधिकारी जरूरतमंदों की साहयता कर सकते हैं, जिसे वे करने की चाह रखते हुए भी नहीं कर सकते हैं या करने में असफल हो जाते हैं।” उन्होंने कहा कि आप स्वार्थपूर्ण कलह से ऊपर उठते हुए, जन साधारण की भलाई हेतु कार्य करें और सुसमाचारी विश्वास का साक्ष्य दें।
पोप की कृतज्ञता
एजेंसी के कार्यों के प्रति कृतज्ञता के भाव प्रकट करते हुए पोप ने कहा कि आप सुसमाचार के प्रचारक, कलीसियाई प्रेरिताई और येसु ख्रीस्त के प्रेम के माध्यम हैं। आप के कार्यों से कितने ही लोगों को लाभ हुआ है,क्योंकि आप आशा बोने वाले, करूणा और विश्वास में सुसमाचार के साक्षी हैं। “आप के कार्य विश्व का ध्यान आकर्षित नहीं करते लेकिन वे ईश्वर की निगाहों में प्रिय हैं।” विनाश का जवाब पुनर्निर्माण, सम्मान के हनन का जवाब आशा, बच्चों की आंसुओं का जवाब प्रेम की मुस्कान, सत्ता के दुर्भावनापूर्ण तर्क का जवाब ख्रीस्तीय सेवा के तर्क से देने के लिए आप सभों का हृदय से धन्यवाद। संत पापा ने कहा, “घृणा और युद्ध से ज़हरीले खेतों में आप जो बीज बोते हैं, वे निश्चित रूप से खिलेंगे।” वे एक अलग दुनिया की भविष्यवाणी होंगे, जो यह नहीं मानती कि ताकत ही सही है, बल्कि अहिंसा से उत्पन्न होने वाली शांति पर विश्वास करती है।
मध्यपूर्वी प्रांत को प्रोत्साहन दें
पवित्र भूमि में युद्धों की स्थिति पर चिंता जारी करते हुए पोप ने विश्वभर के ख्रीस्तीयों से इस बात हेतु आहृवान किया कि वे मध्यपूर्वी विश्वासियों के प्रति अपनी निकटता प्रकट करते हुए उन्हें प्रोत्साहन दें जिससे वे युद्ध के कारण अपने देश को छोड़ने के प्रलोभन से विजय प्राप्त कर सकें। संत पापा ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बतलाया कि वे स्थल जहाँ से सुसमाचार की शांति प्रसारित हुई अपने में दुःखों से ग्रस्ति है। युद्ध और हिंसा का बढ़ावा देने वालों से अपील करते हुए पोप ने कहा,“आप युद्धों की रोकथाम करें क्योंकि युद्ध से शांति कभी स्थापित नहीं की जा सकती है।” वार्ता हेतु हमें युद्ध रोकने की अति आवश्यकता है क्योंकि केवल यही भविष्य के लिए एक स्थायी मार्ग है।
युद्ध समाधान नहीं है
“युद्ध से किसी को विजय हासिल नहीं हुई है बल्कि इससे हर एक का विनाशा होता है।” पोप ने युद्ध के कारण दुःख के शिकार लोगों की पुकार सुनने का आहृवान किया, वे जिन्होंने अपने सबकुछ खो दिया है। “आइए हम युवाओं, आमजनों और लोगों की पुकार सुनें, जो युद्ध की बयानबाजी और खोखले नारों से थक चुके हैं जो लगातार दूसरों पर दोष मढ़ते हैं, दुनिया को अच्छे और बुरे में बांटते हैं, उन नेताओं से थक चुके हैं जिनके लिए एक मेज पर बैठना, बातचीत करना और समाधान निकालना मुश्किल जान पड़ता है।”
अपने संबोधन में पोप ने युद्धग्रस्त यूक्रेन की भी याद करते हुए कहा कि मैं रोज दिन उनके लिए प्रार्थना करता हूं और आप सबों को भी उसके लिए प्रार्थना करने का आहृवान करता हूँ जिससे शांति के मार्ग खुल सके। उन्होंने शांति और युद्ध बंदियों की रिहाई ख्रीस्तीय विश्वास की अमूर्त निशानी बतलाते हुए कहा कि वे शक्ति प्रदर्शन के साधन न बनें।
पलायन पर चिंता
पोप ने पूर्वी कलीसियाओं से हो रहे पलायन के प्रति चिंता व्यक्त कि जहाँ युद्ध के कारण लोगों को जीवन और रोजगार की खोज में अपने देश से भागना पड़ रहा है। यह वर्तमान समय की एक बड़ी त्रासदी है। हाल के दशकों में बड़े पैमाने पर हुए प्रवासन के कारण कुछ कलीसियाओं के अधिकांश अनुयायी अब अपने पारंपरिक क्षेत्र से बाहर ऐसे स्थानों पर जीवन व्यतीत कर रहे हैं, जहां पुरोहितों, संरचनाओं, प्रेरिताई और पर्याप्त प्रशिक्षण की कमी है। परिणामस्वरूप, जिन लोगों को पहले से ही अपनी जन्मभूमि छोड़नी पड़ी है, अब वे अपनी धार्मिक पहचान खोने की जोखिम भी उठा रहे हैं और पीढ़ियों के साथ, आध्यात्मिक विरासत, जो पूरी काथलिक कलीसिया की एक अमूल्य निधि है, कमज़ोर हो रही है।