परिवार, समाज एवं कलीसिया में दादा-दादी और बुजूर्गों की भूमिका
दादा-दादी और बुजूर्गों के लिए समर्पित 4थे विश्व दिवस का उद्देश्य इस दुखद तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित करना है कि अकेलापन अनेक वृद्ध लोगों के जीवन का एक कष्टकारी भाग है, जो प्रायः फेंक देने की संस्कृति के शिकार होते हैं। इस साल दादा-दादी और बुजूर्गों के लिए समर्पित विश्व दिवस को 28 जुलाई 2024 को मनाया जाएगा।
दादा-दादी और बुजूर्गों के लिए समर्पित 4थे विश्व दिवस की विषयवस्तु है, “बुढ़ापे में मुझे मत त्यागो।” (स्तोत्र, 71:9)
जयन्ती की तैयारी के इस वर्ष में, जिसको पोप ने प्रार्थना के लिए समर्पित किये हैं, विश्व दिवस की विषयवस्तु स्तोत्र 71 से लिया गया है, जो एक बुजुर्ग व्यक्ति की प्रार्थना है जो ईश्वर के साथ अपनी मित्रता की कहानी पर चिंतन करता है।
वाटिकन के लोकधर्मी परिवार और जीवन के लिए गठित विभाग के वेबसाईट पर लिखा गया है, “दादा-दादी और बुजुर्गों के करिश्मे को संजोकर रखने के लिए तथा कलीसिया के जीवन में उनके योगदान को ध्यान में रखते हुए, विश्व दिवस प्रत्येक कलीसियाई समुदाय के प्रयासों का समर्थन करना चाहता है ताकि पीढ़ियों के बीच संबंध मजबूत हो सकें और अकेलेपन से लड़ा जा सके, इस जागरूकता के साथ कि - जैसा कि पवित्र धर्मग्रंथ में कहा गया है - "मनुष्य का अकेला रहना अच्छा नहीं है।" (उत्पत्ति 2:18)।
पोप फ्राँसिस का एक्स संदेश
इसी बात को ध्यान में रखते हुए पोप फ्राँसिस ने युवाओं को हमेशा प्रोत्साहन दिया है कि वे अपने दादा-दादी के करीब रहें।
उन्होंने दादा-दादी और बुजूर्गों के लिए समर्पित विश्व दिवस के पूर्व शनिवार को एक्स पर लिखा, “बुजूर्गों के करीब रहकर और परिवार, समाज एवं कलीसिया में उनकी खास भूमिका को स्वीकार करते हुए, हम खुद अनेक उपहार, वरदान एवं आशीर्वाद प्राप्त करेंगे।”