98वें मिशनरी दिवस के लिये पोप फ्राँसिस का सन्देश

"जाओ और सभी को भोज में आमंत्रित करो", सन्त मत्ती रचित सुसमाचार के 22 वें अध्याय के नवें पद में निहित इन शब्दों से विश्व मिशनरी दिवस के लिये जारी अपने सन्देश का शुभारम्भ कर पोप फ्राँसिस ने कहा कि इस विषय का चयन उन्होंने इसलिये किया कि क्योंकि इसमें सुसमाचार के कई महत्वपूर्ण आयाम निहित हैं।

काथलिक कलीसिया द्वारा घोषित 98 वाँ मिशनरी दिवस 20 अक्टूबर 2024 को मनाया जायेगा जिसके लिये सन्त पापा फ्राँसिस के सन्देश की प्रकाशना शुक्रवार, 2 फरवरी को की गई।  

सहभागिता, साझेदारी और मिशन
 
"जाओ और सभी को भोज में आमंत्रित करो", सन्त मत्ती रचित सुसमाचार के 22 वें अध्याय के नवें पद में निहित इन शब्दों से विश्व मिशनरी दिवस के लिये जारी अपने सन्देश का शुभारम्भ कर सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि इस विषय का चयन उन्होंने इसलिये किया कि क्योंकि इसमें सुसमाचार के कई महत्वपूर्ण आयाम निहित हैं।

उन्होंने कहा, येसु मसीह के मिशनरी शिष्यों के रूप में, ये शब्द हम सभी के लिए, विश्व धर्माध्यक्षीय धर्मसभा की यात्रा के इस अंतिम चरण के दौरान विशेष रूप से सामयिक प्रतीत होते हैं, जो अपने आदर्श वाक्य, "सहभागिता, साझेदारी और मिशन" रूपी शब्दों में, कलीसिया  को उसके प्राथमिक कार्य पर अर्थात् विश्व में सुसमाचार के प्रचार मिशन पर फिर से केंद्रित करना चाहता है।

पोप ने कहा कि उक्त सुसमचार पाठ के राजा द्वारा दिये गये आदेश कि जाओ और सभी को भोज में आमंत्रित करो में हम उन क्रियाओं को पाते हैं जो सुसमाचार प्रचार मिशन का प्राण हैं और वे हैं,  जाओ और आमंत्रित करो। सन्त पापा ने कहा कि मिशन का अर्थ है अथक रूप से बाहर जाना ताकि उदासीनता और उपेक्षाभाव के सामने भी लोगों का साक्षात्कार ईश्वर से कराया जा सके। उन्होंने स्मरण दिलाया कि अपने पुनःरुत्थान से पूर्व और उसके बाद भी येसु ख्रीस्त भले गड़ेरिये खोई हुई भेड़ों की खोज में निकलते रहे थे। उन्होंने कहा कि येसु मसीह के पदचिन्हों पर चलकर अब कलीसिया भी कठिनाइयों और बाधाओं के बावजूद बिना थके या हिम्मत हारे, पृथ्वी के अन्तिम छोर तक जाना जारी रखेगी।

पोप ने कहा, "मैं इस अवसर पर उन सभी मिशनरियों को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने येसु मसीह के आह्वान के जवाब में, अपनी मातृभूमि से दूर जाने के लिए सब कुछ का परित्याग कर दिया और उन जगहों पर सुसमाचार का शुभसन्देश लेकर पहुँचे जहां लोगों को अभी तक यह प्राप्त नहीं हुआ है, या हाल ही में प्राप्त हुआ है।"

पोप ने कहा, "प्रिय मित्रो, आपका उदार समर्पण उस मिशन के प्रति आपकी प्रतिबद्धता की एक ठोस अभिव्यक्ति है जिसे येसु ने अपने शिष्यों को सौंपा था। उन्होंने कहा कि यह नहीं भुलाया जाये कि प्रत्येक बपतिस्मा प्राप्त ख्रीस्तानुयायी से अपेक्षा की जाती है कि वह सुसमचार प्रचार मिशन में भाग लेकर अपने दैनिक जीवन में वर्तमान विश्व के चौराहों पर येसु मसीह का साक्ष्य प्रदान करे।"

कलीसिया द्वारा घोषित पवित्र वर्ष 2025 में मनाई जानेवाली जयंती की तैयारी में पोप  ने कहा, "प्रार्थना के लिए समर्पित इस वर्ष में, मैं सभी को ख्रीस्तयाग समारोह में भाग लेने और सुसमाचार प्रचार सम्बन्धी कलीसिया के मिशन के लिए प्रार्थना हेतु अपनी प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहता हूं। उद्धारकर्ता येसु ख्रीस्त की आज्ञा का पालन करते हुए, प्रत्येक ख्रीस्तानुयायी यूखारिस्तीय समारोह एवं हर धर्मविधिक प्रार्थना समारोह में, "हे हमारे पिता", प्रार्थना के साथ, "तेरा राज्य आए" प्रार्थना करना बंद नहीं करें। इस तरह, दैनिक प्रार्थना और विशेष रूप से यूखारिस्त हमें आशा के तीर्थयात्री और मिशनरी बनाते हैं, जो ईश्वर में अनन्त जीवन की ओर यात्रा करते हुए उस विवाह भोज की ओर अग्रसर होते हैं जिसे प्रभु ईश्वर ने अपनी सभी सन्तानों के लिये तैयार किया है।"