7 अक्टूबर की वर्षगांठ पर पोप : हमें फिर से संवाद करना सीखना होगा

पोप लियो 14वें ने दो साल पहले इज़राइल पर हमास के हमले और उसके बाद की घटनाओं पर चर्चा की और कहा कि तुर्की और लेबनान की उनकी आगामी यात्रा का उद्देश्य मध्य पूर्व में शांति का संदेश पहुँचाना है।
“ये दो साल बेहद दर्दनाक रहे हैं। दो साल पहले, एक आतंकवादी हमले में 1,200 लोग मारे गए थे। हमें सोचना होगा कि दुनिया में कितनी नफ़रत है और खुद से पूछना होगा कि हम क्या कर सकते हैं। दो सालों में, लगभग 67,000 फ़िलिस्तीनी मारे गए हैं। हमें नफ़रत कम करनी होगी, हमें वार्तालाप और शांतिपूर्ण समाधान खोजने की क्षमता को फिर से तलाशना होगा।”
ये शब्द पोप लियो 14वें के थे, जो इज़राइल पर हमास के आतंकवादी हमले की दूसरी बरसी पर बोल रहे थे। यह एक ऐसे संघर्ष की शुरुआत थी जिसने गाज़ा को तबाह कर दिया और हज़ारों फ़िलिस्तीनी नागरिकों की जान ले ली।
यह टिप्पणी कास्टेल गंडोल्फो स्थित विला बारबेरिनी के प्रवेश द्वार के बाहर संत पापा का इंतज़ार कर रहे पत्रकारों से की गई, जहाँ उन्होंने मंगलवार का ज्यादा समय बिताया था।
आतंकवाद और यहूदी-विरोध के विरुद्ध एक कदम
पोप लियो ने आतंकवाद और यहूदी-विरोध की हालिया घटनाओं की निंदा की और शांति के सुसमाचार संदेश की पुष्टि की।
उन्होंने कहा, "यह निश्चित है कि हम आतंकवाद में लिप्त समूहों को स्वीकार नहीं कर सकते; दुनिया में इस प्रकार की घृणा को हमेशा अस्वीकार किया जाना चाहिए। साथ ही, यहूदी-विरोध का अस्तित्व, चाहे वह बढ़ रहा हो या नहीं, चिंताजनक है। हमें हमेशा शांति और प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा का सम्मान करना चाहिए। यही कलीसिया का संदेश है।"
निरंतर प्रार्थना की शक्ति
अंत में, पोप ने सभी विश्वासियों को पवित्र भूमि में खूनी संघर्ष की समाप्ति के लिए प्रार्थना जारी रखने का आह्वान किया और संवाद एवं सुलह को बढ़ावा देने के लिए कलीसिया की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
उन्होंने कहा, "कलीसिया ने सभी से शांति के लिए प्रार्थना करने का आग्रह किया है, खासकर इस महीने [अक्टूबर] में। हम कलीसिया के पास उपलब्ध तरीकों से हर समय संवाद को बढ़ावा देने का भी प्रयास करेंगे।"
वाटिकन मीडिया को दिए गए वाटिकन के राज्य सचिव कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन के साक्षात्कार पर इज़राइली दूतावास की आलोचनात्मक प्रतिक्रिया के बारे में पूछे गए एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, संत पापा लियो 14वें ने कहा कि "कार्डिनल ने इस मामले पर परमधर्मपीठ की स्थिति को बहुत स्पष्ट रूप से व्यक्त किया है।"
तुर्की की यात्रा: एकता का क्षण
आज, परमधर्मपीठ ने आधिकारिक तौर पर पोप लियो 14वें की तुर्की और लेबनान की पहली प्रेरितिक यात्रा की घोषणा की, जो 27 नवंबर से 2 दिसंबर तक चलेगी। पत्रकारों ने संत पापा से ऐसे संवेदनशील और राजनीतिक रूप से तनावपूर्ण क्षेत्र की यात्रा के कारणों के बारे में पूछा।
उन्होंने कहा, "तुर्की की यह यात्रा, निचेया परिषद की 1,700वीं वर्षगांठ से प्रेरित है। मेरा मानना है कि यह वास्तव में एक महत्वपूर्ण क्षण है। यह एक ऐसी यात्रा है जो पोप फ्राँसिस करना चाहते थे। सभी ख्रीस्तियों के लिए, यह विश्वास में सच्ची एकता का क्षण होगा। हमें इस ऐतिहासिक अवसर को नहीं गंवाना चाहिए। यह पीछे मुड़कर देखने के बारे में नहीं है लेकिन - यह आगे देखने के बारे में है।"
लेबनान में सुसमाचार की सांत्वना पहुँचाना
इस बीच, पोप लियो ने कहा कि उनकी लेबनान यात्रा का मुख्य उद्देश्य उन लोगों को सांत्वना प्रदान करना है, जिन्होंने 4 अगस्त, 2020 को बेरूत बंदरगाह विस्फोट के बाद से एक के बाद एक आघात झेले हैं।
पोप ने स्पष्ट किया, "लेबनान में, मुझे एक बार फिर मध्य पूर्व में, एक ऐसे देश में जिसने इतना कुछ सहा है, शांति का संदेश देने का अवसर मिलेगा। पोप फ्राँसिस भी वहाँ जाना चाहते थे। वे विस्फोट के बाद, लेबनान के लोगों ने जो कुछ भी सहा है, उसके बाद उन्हें गले लगाना चाहते थे। हम शांति और आशा का यह संदेश पहुँचाने का प्रयास करेंगे।"