स्वर्ग की रानी प्रार्थना में पोप : पुनर्जीवित मसीह पर विश्वास रखें

दिव्य करुणा रविवार के दिन, पोप फ्राँसिस पुनर्जीवित येसु से मुलाकात की परिवर्तनकारी शक्ति पर जोर देते हैं, विश्वासियों से सच्चे जीवन को खोजने और पास्का की खुशी फैलाने के लिए विश्वास, प्रार्थना और प्यार को अपनाने का आग्रह करते हैं।

वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 7 अप्रैल को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया, स्वर्ग की रानी प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, शुभ रविवार।

आज, पास्का का दूसरा रविवार, संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने इसे दिव्य करूणा को समर्पित किया है। (यो. 20:19-30) सुसमाचार कहता है कि येसु, ईश्वर के पुत्र में विश्वास करने से, हम उनके नाम पर अनन्त जीवन प्राप्त कर सकते हैं।(31) संत पापा ने कहा, “जीवन प्राप्त करने का अर्थ क्या है?  

हम सभी जीवन चाहते हैं, लेकिन विभिन्न तरह से इसे प्राप्त किया जा सकता है। उदाहरण के लिए; कुछ लोग जीवन को आनंद लेने और कई चीजों को हासिल करने की उन्मत्त दौड़ में बदल देते हैं: खाने-पीने, आनंद लेने, धन और वस्तुओं का संचय करने, गहरी और नई भावनाओं को महसूस करने में। यह एक ऐसा रास्ता है जो पहली नजर में सुखद प्रतीत होता है लेकिन दिल को संतुष्ट नहीं कर सकता है। यह सही तरीका नहीं है जिसके द्वारा जीवन प्राप्त किया जा सकता है क्योंकि सुख और सत्ता के रास्ते पर चलकर व्यक्ति खुशी प्राप्त नहीं कर सकता। दरअसल, जीवन के कई पहलू अनुत्तरित हैं, जैसे प्रेम, दर्द, सीमा और मृत्यु के अपरिहार्य अनुभव, और हम सभी का साझा सपना: हमेशा जीने की आशा, बिना किसी सीमा के प्यार पाने की आशा, अधूरा रह जाता है।

आज सुसमाचार बतलाता है कि जीवन की यह परिपूर्णता जिसके लिए हम सभी बुलाये गये हैं, येसु में अनुभव किया जा सकता है, वे ही हैं जो हमें परिपूर्ण जीवन प्रदान करते हैं। लेकिन व्यक्ति इसे कैसे प्राप्त कर सकता है, इसे कैसे अनुभव कर सकता है?

आइये देखें कि सुसमाचार में शिष्यों के साथ क्या हुआ। वे जीवन के सबसे दुखद क्षण से गुजर रहे हैं: दुःखभोग के बाद, डर और निराशा में उन्होंने खुद को ऊपरी कमरे में बंद कर लिया। पुनर्जीवित प्रभु उनके पास आते हैं और उन्हें अपना घाव दिखाते हैं। (20)

पोप ने कहा कि वे कष्ट और दर्द के चिन्ह थे, वे अपराध की भावनाएँ भड़का सकते थे, फिर भी येसु के लिए वे दया और क्षमा के माध्यम बन गए। इस प्रकार, शिष्य इस तथ्य को अपने हाथों से छूते और देखते हैं कि येसु के साथ, जीवन की जीत होती है, मृत्यु और पाप पराजित होते हैं। और वे उसकी आत्मा का वरदान प्राप्त करते हैं, जो उन्हें अपने प्यारे बेटों के रूप में, आनंद, प्रेम और आशा से भरपूर एक नया जीवन देते हैं। संत पापा ने प्रश्न करते हुए कहा, "क्या आपके पास उम्मीद है? हम हरेक जन अपने आप से पूछें : मेरी आशा कैसे चल रही है? 

इस तरह हर दिन "जीवन पाने" का तरीका है: क्रूस पर चढ़ाए गए और पुनर्जीवित येसु पर अपनी नजरें टिकाना, संस्कारों और प्रार्थना में उनसे मुलाकात करना, उनकी उपस्थित को पहचानना, उन पर विश्वास करना, खुद को उनकी कृपा के द्वारा स्पर्श किए जाने देना और उनके उदाहरण द्वारा निर्देशित, उनके जैसा प्यार करने की खुशी का अनुभव करना। येसु के साथ हर जीवित मुलाकात हमें और अधिक जीवन पाने में सक्षम बनाती है।

आइये, हम अपने आप से पूछें, क्या मैं येसु के पुनरूत्थान की शक्ति, पाप, डर और मौत पर उनकी विजय पर विश्वास करता हूँ? क्या मैं स्वयं को उसके साथ रिश्ते में बंधने दूँ? और क्या मैं अपने आप को अपने भाइयों और बहनों से प्यार करने और हर दिन आशा रखने के लिए प्रेरित होने देता हूँ?

माता मरियम से प्रार्थना करते हुए संत पापा ने कहा, “मरियम हमें पुनर्जीवित येसु में अधिक से अधिक विश्वास रखने, "जीवन पाने" और पास्का की खुशियाँ फैलाने में मदद करें।"

इतना कहने के बाद पोप ने भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।