येसु के पवित्र हृदय पर पोप फ्राँसिस का नया विश्वपत्र

पोप फ्राँसिस का चौथा प्रेरितिक विश्वपत्र "दिलेक्सित नोस" "येसु ख्रीस्त के हृदय के मानवीय और ईश्वरीय प्रेम" पर चिंतन रेखांकित करता है, तथा विश्वास की कोमलता, सेवा के आनंद और मिशन के उत्साह को भूलने से बचने के लिए सच्ची भक्ति के नवीनीकरण का आह्वान करता है।

"'उन्होंने हमसे प्रेम किया', संत पौलुस ख्रीस्त के बारे कहते हैं ( रोम 8:37), ताकि हमें महसूस हो सके कि हमें उस प्रेम से कभी कुछ भी "अलग नहीं कर सकता" (रोम 8:39)": इन्हीं शब्दों के साथ पोप फ्राँसिस का चौथा विश्वपत्र शुरू होता है, जिसका शीर्षक है दिलेक्सित नोस ।

पोप ने परिचयात्मक अनुच्छेद में लिखा, यह विश्वपत्र येसु ख्रीस्त के हृदय के मानवीय और ईश्वरीय प्रेम को समर्पित है: "उनका खुला हृदय हमारे आगे बढ़ा है और बिना किसी शर्त के हमारा इंतजार करता है, केवल हमसे अपना प्रेम और अपनी दोस्ती बढ़ाने के लिए कहता," "क्योंकि 'उन्होंने पहले हमसे प्रेम किया' (1 यो. 4:10)। इस प्रकार हम येसु में अपने प्रति ईश्वर का प्रेम जान गये हैं और उस में विश्वास करते हैं। (1यो.4:16)।"

ख्रीस्त का प्रेम उनके पवित्र हृदय में दर्शाया गया है
पोप लिखते हैं कि हमारे समाज में, "हम धार्मिकता के विभिन्न रूपों का प्रसार देख रहे हैं, जिनका प्रेम के ईश्वर के साथ व्यक्तिगत संबंध से कोई लेना-देना नहीं है" (87), जब ख्रीस्तीय धर्म "विश्वास की कोमलता, दूसरों की सेवा करने की खुशी, मिशन के लिए व्यक्तिगत प्रतिबद्धता के उत्साह" को भूल रहा है। (88)

जवाब में, पोप फ्राँसिस ने ख्रीस्त के पवित्र हृदय में दर्शाए गए प्रेम पर एक नया चिंतन प्रस्तुत किया है। उन्होंने पवित्र हृदय के प्रति "सच्ची भक्ति" के नवीनीकरण का आह्वान किया है, यह याद दिलाते हुए कि ख्रीस्त के हृदय में "हमें संपूर्ण सुसमाचार मिलता है" (89)। उनका हृदय ही है जिसमें "हम वास्तव में खुद को जानते और प्रेम करना सीखते हैं।"(30)

दिलेक्सित नोस और उनके सामाजिक विश्वपत्र लौदातो सी और प्रतेल्ली तूत्ती (217) के बीच संबंधों को देखते हुए ऐसा लगता है कि दुनिया ने अपना दिल खो दिया है। पोप फ्राँसिस बताते हैं कि ख्रीस्त के प्रेम को महसूस  करके, "हम भाईचारे का बंधन बनाने, प्रत्येक मानव की गरिमा को पहचानने और अपने आमघर की देखभाल करने के लिए एक साथ काम करने में सक्षम हो सकते हैं।"

और “ख्रीस्त के हृदय की उपस्थिति में,” वे प्रभु से “इस पीड़ित दुनिया पर दया करने” और इस पर “अपने प्रकाश और प्रेम के खजाने को उंडेलने” के लिए कहते हैं, ताकि हमारी दुनिया, जो युद्धों, सामाजिक-आर्थिक असमानताओं और प्रौद्योगिकी के प्रयोग के बावजूद आगे बढ़ रही है, जो हमारी मानवता को खतरे में डाल रही है, वह सबसे महत्वपूर्ण और आवश्यक चीज हृदय” को पुनः प्राप्त कर सके।(31)

5 जून को आमदर्शन समारोह के अंत में दस्तावेज की तैयारी की घोषणा करते हुए, पोप ने स्पष्ट किया था कि प्रभु के प्रेम के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देना हमारे लिए बहुत अच्छा होगा, जो कलीसियाई नवीनीकरण के मार्ग को रोशन करेगा, और उस दुनिया को कुछ सार्थक कह सकेगा जो अपना साहस खो चुकी है।”

यह विश्वपत्र ऐसे समय में आया है जब 1673 में संत मार्गरेट मेरी अलाकोक को येसु के पवित्र हृदय के प्रथम दिव्य दर्शन की 350वीं वर्षगांठ का समारोह चल रहा है; वर्षगांठ समारोह 27 जून 2025 को समाप्त होगा।

हृदय की ओर लौटने का महत्व
एक संक्षिप्त परिचय के साथ शुरू होकर पाँच अध्यायों में विभाजित, येसु के पवित्र हृदय के प्रति समर्पण पर विश्वपत्र में, जैसा कि जून में घोषित किया गया था, "पिछले धर्मशिक्षा दस्तावेजों के अनमोल चिंतन और पवित्र धर्मग्रंथ में वापस जानेवाले एक लंबे इतिहास को शामिल किया गया है, ताकि आज पूरी कलीसिया के लिए आध्यात्मिक सुंदरता से ओतप्रोत इस भक्ति को फिर से प्रस्तुत किया जा सके।"

पहला अध्याय, “हृदय का महत्व” बताता है कि एक ऐसी दुनिया में “हृदय की ओर लौटना” क्यों ज़रूरी है जहाँ हम “अतृप्त उपभोक्ता और बाजार के तंत्र के गुलाम” बनने के लिए लुभाए जाते हैं (2)। यह विश्लेषण करता है कि हम “हृदय” से क्या मतलब रखते हैं: बाइबल इसे एक ऐसे केंद्र के रूप में बताती है “जो सभी बाहरी दिखावे के नीचे छिपा हुआ है” (4), एक ऐसी जगह जहाँ बाहर से जो दिखाया जाता है या छिपा हुआ है, उसका कोई मतलब नहीं है; वहाँ, वास्तव में हम खुद हैं। (6) हृदय उन सवालों की ओर ले जाता है जो मायने रखते हैं: मैं अपने जीवन, अपने विकल्पों या अपने कार्यों के लिए क्या अर्थ चाहता हूँ? मैं ईश्वर के सामने कौन हूँ?(8)

पोप बताते हैं कि हृदय का वर्तमान "घिसावट" ग्रीक और ईसाई-पूर्व तर्कवाद, ईसाई-उत्तर आदर्शवाद और भौतिकवाद में इसके विभिन्न रूपों में उत्पन्न हुआ है, जहाँ महान दार्शनिक विचार ने "तर्क, इच्छा या स्वतंत्रता" जैसी अवधारणाओं को प्राथमिकता दी।

पोप लिखते हैं, "हृदय के लिए जगह बनाने में विफलता... के परिणामस्वरूप व्यक्तिगत केंद्र के विचार में बाधा उत्पन्न हुई है, जिसमें प्रेम, अंत में, एक ऐसी वास्तविकता है जो बाकी सभी को एकजुट कर सकती है।"(10)

पोप फ्राँसिस के लिए, यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि "मैं अपना हृदय हूँ, क्योंकि मेरा हृदय ही मुझे अलग करता है, मेरी आध्यात्मिक पहचान को आकार देता है और मुझे अन्य लोगों के साथ जोड़ता है।" (14)

'दुनिया हृदय से शुरू होकर बदल सकती है'
यह हृदय ही है जो टुकड़ों को जोड़ता है और "सभी प्रामाणिक बंधनों को संभव बनाता है, क्योंकि हृदय द्वारा आकार न दिया गया रिश्ता व्यक्तिवाद के कारण होनेवाले विखंडन को दूर करने में असमर्थ है।" (17)