पोप लियो ने पुरोहितों को एकता एवं शांति निर्माता बनने का आह्वान किया

पुरोहितों के पवित्रीकरण दिवस पर अपने संदेश में, पोप लियो ने अपने भाई पुरोहितों को एकता और शांति के निर्माता बनने तथा येसु के पवित्र हृदय के प्रति अपनी भक्ति को नवीनीकृत करने के लिए आमंत्रित किया।
पोप लियो ने पुरोहितों को दिए संदेश में लिखा, पुरोहिती प्रेरिताई का सच्चा स्वभाव "प्रेम के लिए छेदे गए ख्रीस्त के हृदय में प्रकट होता है... जीवित और जीवन देनेवाले शरीर में जो हम में से प्रत्येक को गले लगाता और हमें भले चरवाहे की छवि के अनुरूप बनाता है।"
पुरोहितों के पवित्रीकरण दिवस के अवसर पर, अपने संदेश में, जिसको हर साल येसु के पवित्र हृदय के महापर्व के दिन मनाया जाता है, पोप लियो ने गौर किया कि यह पर्व "हमारे अपने दिलों में ईश्वर की पवित्र प्रजा की सेवा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध होने के आह्वान को नवीनीकृत करता है।” यह प्रेरिताई "प्रार्थना से शुरू होती और ईश्वर से संयुक्ति में की जाती है।"
एकता एवं शांति के निर्माता बनें
पोप कहते हैं कि पवित्र हृदय में प्रवेश करने से पुरोहितों को "उस वरदान का अनुभव करने और उसे नवीनीकृत करने का अवसर मिलता है जिसे प्रभु ने हमें सौंपा है और हमें उनके नाम पर आगे बढ़ाने का आदेश दिया है," ईश्वर के लोगों तक "वचन और संस्कारों को लाकर... प्रेम में सामंजस्य स्थापित करनेवाली दुनिया लाने के लिए।" इस कारण से, वे आगे कहते हैं, "मैं आज आप सभी से यह हार्दिक अपील करना चाहता हूँ: एकता और शांति के निर्माता बनें!"
पोप लियो कहते हैं कि पुरोहितों को "विवेकशील आत्मपरख करनेवाले चरवाहे बनना चाहिए", "जटिल परिस्थितियों को समझना और व्याख्या करने की क्षमता" के साथ, "ऐसे प्रेरितिक समाधान प्रदान करना, जो अच्छे संबंध, एकजुटता और समुदायों का निर्माण करके विश्वास को बढ़ाते हैं और पुनर्जीवित करते हैं जिसमें सहभागिता की शैली चमकती है।"
उन्होंने जोर दिया कि शांति एवं एकता के निर्माता होने का अर्थ है सेवा करना, न कि तानाशाही करना। पुरोहितों के बीच आपसी भाईचारा बनाये रखने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए पोप ने कहा कि यह ईश्वर की उपस्थिति का एक विश्वसनीय चिन्ह बन सकता है।
प्रार्थना और निकटता में निहित प्रेरिताई
संत पापा ने अपने संदेश को पुरोहितों से अपील के साथ समाप्त करते हुए कहा कि वे अपने अभिषेक के समय कहे गए "हाँ" को नवीनीकृत करें, खुद को पवित्र आत्मा द्वारा आकार देने दें, और व्यक्तिगत कमजोरियों से नहीं "डरें"। "प्रभु परिपूर्ण पुरोहितों की तलाश नहीं करते, लेकिन विनम्र दिलों की तलाश करते हैं जो मन-परिवर्तन के लिए खुले हैं और दूसरों से प्यार करने के लिए तैयार हैं बैसे ही जैसे प्रभु हमसे प्यार करते हैं।"
और अंत में, अपने पूर्वाधिकारी द्वारा पुरोहितों को येसु के पवित्र हृदय के प्रति अपनी भक्ति को नवीनीकृत करने के लिए दिए गए निमंत्रण की याद दिलाते हुए, पोप ने उन्हें अपनी प्रेरिताई को “प्रार्थना और क्षमा में, तथा गरीबों, परिवारों और सच्चाई की खोज करनेवाले युवाओं के साथ निकटता में” स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया, तथा उन्हें याद दिलाया कि “एक पवित्र पुरोहित अपने चारों ओर पवित्रता को पनपने देता है।”