पोप फ्राँसिस: 'हमें अपनी पुरोहितीय पहचान को अपनाना चाहिए'

पोप फ्राँसिस ने रोम में अध्ययन कर रहे अर्जेंटीनी पुरोहितों के लिए स्थापित आवास के सदस्यों से मुलाकात करते हुए उन्हें अपनी पुरोहितीय पहचान को अपनाना की सलाह दी। उन्होंने उन्हें संत जोसेफ गाब्रिएल डेल रोसारियो ब्रोकेरो के समान पुरोहितीय मनोभाव धारण करने की सलाह दी।

संत जोसेफ गाब्रियल, प्रीस्ट ब्रोकेरो के नाम से भी जाने जाते हैं। वे जीवनभर कुष्ठ रोग से पीड़ित रहे। उन्हें गरीब और बीमार लोगों के लिए उनके व्यापक काम के लिए जाना जाता है।

संत फ्राँसिस ने गुरुवार को वाटिकन में अर्जेंटीना के पुरोहितों को संबोधित करते हुए सुझाव दिया कि वे अपनी पुरोहितीय पहचान को दृढ़ता से अपनायें।”

अपने सम्बोधन में पोप ने अर्जेंटीना के संत जोश गाब्रिएल डेल रोसारियो ब्रोकेरो के महान उदाहरण की ओर इशारा किया, जिन्हें अक्सर "गौको पुरोहित" कहा जाता है। 2016 में संत घोषित ब्रोकेरो का उदाहरण देते हुए संत पापा ने पुरोहितों को सुझाव दिया कि वे संत के आदर्शों को अपनायें जिन्होंने प्रभु के लिए अपना जीवन अर्पित किया।

पोप ने पुरोहितों से कहा "हमारी बुलाहट अन्य उद्देश्यों की पूर्ति के लिए एक साधन नहीं है," बल्कि "यह हमारे जीवन के लिए ईश्वर की योजना है, यह ईश्वर हममें क्या देखते, उनकी प्रेमपूर्ण दृष्टि हमें क्या प्रेरित करती वही है।"

उन्होंने कहा, "मैं यह कहने का साहस करूँगा कि एक तरह से यह हमारे प्रति उनका प्रेम है।"

पूर्ण समर्पण
यह कहते हुए कि पुरोहित इस तरह अपना सच्चा मूल पाते हैं, पोप ने उन्हें लोगों की भलाई के लिए काम करने का आग्रह किया, खुद को पूरी तरह समर्पित करते हुए, अपनी सेवा के माध्यम से ईश्वर को भेंट चढ़ाने का आग्रह किया।

पोप ने इस बात पर जोर दिया कि पुरोहितों के लिए यह कितना महत्वपूर्ण है कि वे अपने आंतरिक जीवन का ध्यान रखें, बड़ी विनम्रता के साथ "अपनी अग्नि को प्रज्वलित रखें" तथा पुरोहितीय भ्रातृत्व को अपनाएँ।

उन्होंने जोर देकर कहा, "पुरोहितों को अपने भाई पुरोहितों के साथ, अपनी सारी बातें साझा करने की इच्छा रखनी चाहिए, और जब दूसरे उन्हें सुधारते हैं तो उसे स्वीकार करना चाहिए। इसके अलावा, संत पापा ने कहा कि उन्हें उनके साथ ईमानदारी से ऐसा करना और उनसे लगातार पापस्वीकार के द्वारा गहरी धार्मिकता का जीवन जीने का आग्रह करना चाहिए।

संत पापा ने पुरोहितीय जीवन में यूखारीस्त के अपरिहार्य स्थान को भी रेखांकित किया तथा स्मरण दिलाया कि संत ब्रोकेरो ने कभी भी इसकी उपेक्षा नहीं की तथा एकत्रित लोगों को येसु एवं धन्य माता की सुरक्षा में सिपुर्द किया।