पोप फ्राँसिस ने युवाओं को ‘आनन्द और सत्यता’ के लिए आमंत्रित किया

पोप फ्राँसिस ने लोकधर्मी, परिवार और जीवन के लिए गठित परमधर्मपीठीय परिषद के युवाई प्रेरिताई विभाग द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के प्रतिभागियों से मुलाकात की तथा उन्हें साहस के साथ आगे बढ़ने और सभी युवों को सुसमाचार का संदेश देने के लिए आमंत्रित किया कि येसु जीवित हैं और वे ही हमारे प्रभु हैं।

पोप ने सम्मेलन के प्रतिभागियों से शनिवार को मुलाकात करते हुए उन्हें धन्यवाद दिया, “सबसे पहले, मैं उन सभी के प्रति अपना आभार व्यक्त करना चाहता हूँ जिन्होंने लिस्बन में विश्व युवा दिवस की सफलता में अपना योगदान दिया।”  

उन्होंने याद किया कि महामारी के बाद, और इतने सारे अंतरराष्ट्रीय तनावों के बीच, युवाओं को आशा की जरूरत थी। और लिस्बन के कार्यक्रमों ने युवाओं को जीवित एवं ख्रीस्तीय होने का आनन्द महसूस कराया। आशा का वह उत्सव आज भी युवाओं के दिल में है।

जुबली वर्ष 2025 एवं आगामी विश्व युवा दिवस की तैयारी, साथ ही सामान्य समय में युवा प्रेरिताई को याद करते हुए संत पापा ने युवा संचालकों से कहा, “मेरा "सपना" यह है कि इन आयोजनों से कई युवाओं को - जिनमें चर्च नहीं जानेवाले युवा भी शामिल होंगे- येसु से मिलने और आशा के सुसमाचार के संदेश को सुनने में मदद मिलेगी।”

पोप ने उन युवाओं को विशेष रूप से याद किया जो निराश हैं, जिन्होंने अपने सपनों को अलग कर दिया है और अब जीवन की कई समस्याओं से जूझ रहे हैं।

उन्होंने एशिया को एक युवा महाद्वीप कहा जो जीवन से भरपूर होते हुए भी वहाँ के “कई युवा, विशेषकर बड़े शहरों में, आशा के अभाव से पीड़ित हैं और कुछ रिश्तों, कुछ रुचियों के साथ खुद में सिमट रहे हैं। रोम और सियोल के कार्यक्रम हमारे लिए, दुनिया भर के युवाओं को यह कहने हेतु ईश्वर प्रदत्त अवसर हैं: येसु आशा हैं, मेरे लिए, आपके लिए, हमारे लिए, हर किसी के लिए!”

पोप ने युवाओं को तैयारी के इस विशेष अवसर में अपने सामान्य दैनिक जीवन को दरकिनार नहीं करने की सलाह दी। उन्होंने कहा, छोटी छोटी चीजें जिनपर ध्यान भले ही कम जाता है लेकिन ये ही हैं जो हमारे हृदय को छूते एवं स्थायी फल लाते हैं।

पोप ने प्रतिदिन की युवा प्रेरिताई के लिए कुछ महत्पूर्ण सलाहें दीं। संत पापा ने कहा, युवाओं को जीवन में कुछ बुनियादी निश्चितताओं, हृदय की सच्चाइयों तक पहुंचने में मदद करना है: “ईश्वर प्रेम हैं”, “ख्रीस्त हमें बचाते हैं”, “वे जीवित हैं” और “पवित्र आत्मा जीवन देता है।” उन्होंने कहा कि इन चार सच्चाईयों की घोषणा करने से हमें कभी नहीं थकना चाहिए।

पोप ने कहा, आत्मपरख एक कला है जिसे पहले स्वयं प्रेरिताई में लगे संचालकों को सीखना है। क्योंकि आत्मपरख कर पाना एक खजाने को पाना है। युवाओं की मदद करने हेतु संत पापा ने संचालकों को आमदर्शन के दौरान दी गई अपनी धर्मशिक्षा से सीखने की सलाह दी। जहाँ उन्होंने आत्मपरख के तीन आयामों के बारे बतलाया है।

पोप ने कहा, “इन दिनों जब व्यक्तिवाद का बोल बाला है जिसमें व्यक्ति अपने ही रास्ते चलना चाहता और हरेक जन अपने लिए जीवन के अर्थ, मूल्य और सच्चाई की खोज करते हैं, कलीसिया ऐसे भाई-बहनों को प्रदान करती है जो एक साथ यात्रा करने, आंतरिक विकास करने एवं समृद्ध होने में मदद करती है। इस तरह आत्मपरख सिनॉडल है।


अंत में पोप ने कहा, “मैं युवाओं को सुनना जारी रखने के महत्व पर जोर देकर अपनी बात समाप्त करना चाहता हूँ। सही में सुनना "आधा-अधूरा" सुनना या केवल "ऊपरी दिखावा" नहीं होता। युवाओं को सशक्त बनाया जाना चाहिए, संवाद में, गतिविधियों की योजना बनाने में, निर्णयों में शामिल किया जाना चाहिए। उन्हें यह महसूस कराया जाना चाहिए कि वे कलीसिया के जीवन का एक सक्रिय और पूर्ण हिस्सा हैं; और सबसे बढ़कर, उन्हें वे साथियों के लिए सुसमाचार संदेश ले जानेवाले प्रथम व्यक्ति बनने के लिए बुलाये जाते हैं।”

पोप ने सभी युवा संचालकों को युवाओं का साथ देने और युवाओं के लिए उनकी प्रतिबद्धता हेतु धन्यवाद दिया तथा प्रोत्साहन दिया कि वे “साहस के साथ आगे बढ़ें, सभी को यह अच्छी खबर दें कि येसु जीवित हैं और प्रभु हैं। यह खुशी, सांत्वना और आशा का संदेश है जिसका हमारी दुनिया में बहुत से लोग इंतजार कर रहे हैं।   मैं आप सभी को दिल से आशीर्वाद देता हूँ और आपसे अनुरोध करता हूँ कि कृपया मेरे लिए प्रार्थना करें।”