पोप : परिवार और विवाह के बंधन को मजबूत करती है कलीसिया

पोप फ्राँसिस ने काथलिक विश्वविद्यालयों से आग्रह किया कि वे इस बात पर शोध करें कि विभिन्न संस्कृतियाँ विवाह को किस तरह से देखती हैं, उन्होंने कहा कि कलीसिया पवित्रता के मार्ग पर परिवारों का साथ देना चाहती है।

सोमवार को पोप जॉन पॉल द्वितीय विवाह एवं परिवार विज्ञान संस्थान के प्रोफेसरों और कर्मचारियों से मुलाकात करते हुए संत पापा फ्राँसिस ने कलीसिया के जीवन में परिवार की केंद्रीयता को बरकरार रखा।

उन्होंने कहा, "हम जानते हैं कि विवाह और परिवार लोगों के जीवन के लिए कितने निर्णायक हैं: कलीसिया ने हमेशा उनकी देखभाल की है, उनका समर्थन किया है और उनका प्रचार किया है।"

पोप ने दुख जताया कि ऐसे देश हैं जहां सार्वजनिक अधिकारी "हर इंसान की गरिमा और स्वतंत्रता का सम्मान नहीं करते हैं, जिसका ईश्वर की संतान होने के नाते उसका अविभाज्य अधिकार है।"

उन्होंने कहा कि इस रवैये के कारण महिलाओं पर सबसे अधिक प्रतिबंध लगते हैं, जो अक्सर उन्हें अधीनस्थ भूमिकाओं तक सीमित कर देते हैं।

पोप ने कहा कि पुरुष और महिला के बीच के अंतर को मिटाने के बजाय, कलीसिया सिखाती है कि दोनों के बीच कोई भेदभाव नहीं हो सकता, क्योंकि सभी मसीह के हैं और ईवर की मुक्तिदायी योजना का हिस्सा हैं।

अतीत के घावों से जूझने वालों का साथ देना
पोप फ्राँसिस ने आगे कहा कि परिवार का सुसमाचार विवाह के संस्कार पर आधारित है, जो सभी संस्कृतियों के लोगों को पवित्रता में बढ़ने का मार्ग प्रदान करता है।

उन्होंने कहा, "आज कलीसिया अपने विश्वास की यात्रा पर संघर्ष करने वालों के लिए अपने दरवाजे बंद नहीं करती है।" "इसके बजाय, वह उन्हें व्यापक रूप से खोलती है क्योंकि 'सभी को दयालु और उत्साहजनक प्रेरितिक देखभाल की आवश्यकता होती है'।"

पोप ने अपने प्रेरितिक पत्र अमोरिस लेतिसिया का हवाला देते हुए, प्रेरितिक कार्यकर्ताओं को ऐसे लोगों के साथ जाने के लिए आमंत्रित किया, जो "अपनी वैवाहिक प्रतिबद्धता को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करते हुए एकसाथ रहते हैं", साथ ही उन लोगों के साथ भी, जिन्होंने तलाक ले लिया है और दोबारा शादी कर ली है।

उन्होंने कहा, "कलीसिया में उनकी उपस्थिति दर्दनाक अनुभवों के घावों के बावजूद विश्वास में दृढ़ रहने की उनकी इच्छा की गवाही देती है।"

पोप ने कहा कि कलीसिया किसी को भी बाहर नहीं करती, बल्कि लगातार परिवार को बढ़ावा देती है, प्यार में विवाह के बंधन को मजबूत करने की कोशिश करती है।

विवाह और परिवार की संस्कृति और धारणा का अध्ययन
पोप फ्राँसिस ने कहा कि संस्कृति विवाह और परिवार के बारे में लोगों के दृष्टिकोण से निकटता से जुड़ी हुई है। अतः संस्कृति का प्रचार करते समय सुसमाचार को संस्कृति में शामिल किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, "इन चुनौतियों का समाधान करने की हमारी क्षमता यह निर्धारित करती है कि हम किस हद तक कलीसिया के सुसमाचार प्रचार मिशन को पूरी तरह से पूरा कर सकते हैं, जिसमें हर ख्रीस्तीय शामिल है।"

पोप ने कहा कि पोप जॉन पॉल द्वितीय का परमधर्मपीठीय ईशशास्त्रीय संस्थान कलीसिया को इस मिशन में योगदान दे सकता है कि विभिन्न समाज और संस्कृतियां विवाह और परिवार को कैसे देखती हैं।

पोप फ्राँसिस ने अपने संदेश को विराम देते हुए कहा,, "संस्थान दुनिया भर में अपने मिशन में पति-पत्नी और परिवारों का समर्थन करे, उन्हें कलीसिया के जीवित पत्थर बनने और निष्ठा, सेवा, जीवन के प्रति खुलेपन और आतिथ्य के गवाह बनने में मदद करे।" "आइए हम मसीह के पदचिन्हों पर एक साथ चलें!"