पोप ने बच्चों को दृढ़ीकरण के वरदानों को ग्रहण करने हेतु आमंत्रित किया

पोप फ्राँसिस ने शनिवार को बारी -बितोंतो महाधर्मप्रांत के दृढ़ीकरण संस्कार ग्रहण करने की तैयारी कर रहे बच्चों, उनके माता-पिताओं, प्रचारकों एवं महाधर्मप्रांत के विश्वासियों से वाटिकन के पौल षष्ठम सभागार में मुलाकात की और दृढ़ीकरण संस्कार के महत्व के साथ-साथ, बपतिस्मा के दौरान की गई प्रतिबद्धताओं के बीच गहरे संबंध पर जोर दिया।

पोप ने दृढ़ीकरण संस्कार ग्रहण करने की तैयारी कर रहे बच्चों से कहा, “आप दृढ़ीकरण संस्कार ग्रहण करने की तैयारी कर रहे हैं, इसे दृढ़ीकरण इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह बपतिस्मा के वरदान एवं समर्पण को सुदृढ़ करता है।”

बपतिस्मा संस्कार की तिथि याद रखने की सलाह देते हुए संत पापा ने कहा, “बपतिस्मा संस्कार का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। वास्तव में, उस दिन हम ख्रीस्तीय जीवन के लिए, येसु में जीवन जीने के लिए पैदा हुए, जो हमेशा बना रहता है, अनन्त है! इस तरह हमने कलीसिया के विशाल परिवार में प्रवेश किया और पवित्र आत्मा हममें निवास करने आया, जो हमें कभी नहीं छोड़ते; और अंततः हमें सबसे बड़ी विरासत स्वर्ग प्राप्त हुई!” इसलिए बपतिस्मा संस्कार सचमुच एक महान वरदान है।

दृढ़ीकरण संस्कार के बारे बतलाते हुए संत पापा ने कहा कि इसके द्वारा बपतिस्मा संस्कार में प्राप्त विश्वास का वरदान सुदृढ़ हो जाता है। उन्होंने कहा, “सबसे पहले, हम पवित्र आत्मा के द्वारा मजबूत किये जाते हैं जो हमें अपने वरदानों से नवीकृत करते, उसके बाद कलीसिया के द्वारा जो हमें येसु और उनके सुसमाचार की घोषणा करने का दायित्व सौंपती है और अंततः अपने आपसे, क्योंकि हम मिशन को व्यक्तिगत समर्पण के रूप में ग्रहण करते हैं, एक मूक दर्शक के रूप में नहीं बल्कि नायक के रूप में।”

इसका एक सटीक उदाहरण देते हुए पोप ने कहा, “मैं आपको, आप जैसे एक लड़के का उदाहरण याद दिलाना चाहता हूँ, जो वास्तव में एक विशेष लड़का था: उसका नाम कार्लो अकुतिस था। दुर्भाग्य से, बहुत छोटी उम्र में साल 2006 में उसका निधन हो गया, जब वह केवल 15 साल का था। लेकिन अपने जीवन के कम ही समय में उसने बहुत सुन्दर चीजें कीं।” सबसे खास बात थी कि वह येसु के प्रति बहुत अधिक उत्साही था और चूँकि वह इंटरनेट का काफी अच्छा ज्ञान रखता था, उसने इसका प्रयोग सुसमाचार की सेवा में, प्रार्थना के प्रति प्रेम जगाने, विश्वास का साक्ष्य देने और दूसरों की भलाई करने के लिए किया।

पोप ने बच्चों को बतालाया कि धन्य कार्लो अकुतिस ने प्रार्थना, साक्ष्य और उदारता को गहरे समर्पण के साथ जीया। येसु के साथ समय व्यतीत किया, विशेषकर, ख्रीस्तयाग के माध्यम से। वह हर रोज गिरजा जाता एवं पवित्र संदुक के सामने विन्ती करता था, तत्पश्चात् इसकी घोषणा भी करता था अपने शब्दों और अपने प्रेम के भाव से।

अतः पोप ने दृढ़ीकरण संस्कार के उम्मीदवारों को सलाह दी कि वे भी धन्य कार्लो अकुतिस के उदाहरणों को अपनायें। येसु के पास जाएँ, उनसे मुलाकात करें एवं सभी लोगों को बतलायें कि उनके साथ रहना कितना सुन्दर है क्योंकि येसु हमें प्यार करते और हमारा इंतजार करते हैं।

पोप ने उन्हें इस राह पर आगे बढ़ने की शुभकामनाएँ देते हुए दूसरों की मदद करने का प्रोत्साहन दिया, खासकर, सबसे जरूरतमंद लोगों की। और अंत में, सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।